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Gas kand गैस पीडी़तों को बेसहारा छोड़ने बाले 9 दोषी अधिकारियों को सेवा मुक्त करना चाहिए , कोर्ट की अवमानना के दोशी     

Gas kand गैस पीडी़तों को बेसहारा छोड़ने बाले 9 दोषी अधिकारियों को सेवा मुक्त करना चाहिए , कोर्ट की अवमानना के दोशी                                        जबलपुर से प्रशांत चोरसिया के साथ                      भोपाल से राधावल्लभ शारदा द्वारा संपादित रपट। इकबाल सिंह बैंस, मोहम्मद सुलेमान, राजेश भूषण, आरती आहूजा सहित 9 अफसर अवमानना के दोषी ।इन अधिकारियों में मानवता नहीं है। प्रदेश एवं देश के कर्मचारियों एवं अधिकारियों को मानवता का पाठ पढ़ाना आवश्यक है।

जबलपुर – हाई कोर्ट मध्य प्रदेश ने मध्य प्रदेश शासन के पूर्व मुख्य सचिव श्री इकबाल सिंह बैंस सहित 9 अफसरों को हाई कोर्ट की अवमानना का दोषी घोषित किया है। सभी के खिलाफ न्यायालय की अवमानना अधिनियम 1971 की धारा 2 के तहत मुकदमा चलाया जाएगा। यह फैसला भोपाल गैस त्रासदी मामले से जुड़ी एक याचिका पर किया गया।

*भोपाल गैस पीडीतो के संगठनों की याचिका पर निर्णय*

सर्वाेच्च न्यायालय ने 2012 में भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन सहित अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए भोपाल गैस पीड़ितों के उपचार व पुनर्वास के संबंध में 20 निर्देश जारी किए थे। इन बिंदुओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित कर मॉनिटरिंग कमेटी का गठित करने के निर्देश भी जारी किए थे। मॉनिटरिंग कमेटी को प्रत्येक तीन माह में अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट के समक्ष पेश करने के निर्देश दिए गए थे। इस रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट को केन्द्र व राज्य सरकार को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने को कहा गया था। इसके बाद उक्त याचिका पर हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा था। याचिका के लंबित रहने के दौरान मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं का परिपालन नहीं करने के खिलाफ भी उक्त अवमानना याचिका 2015 में दायर की गई थी।

मॉनिटरिंग कमेटी की रिपोर्ट में से सिर्फ तीन बिंदुओं का कार्य हुआ
अवमानना याचिका में कहा गया कि गैस त्रासदी के पीड़ित व्यक्तियों के हेल्थ कार्ड तक नहीं बने हैं। अस्पतालों में आवश्यकतानुसार उपकरण व दवाएं उपलब्ध नहीं हैं। बीएमएचआरसी के भर्ती नियम का निर्धारण नहीं होने के कारण डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ स्थाई तौर पर अपनी सेवाएं प्रदान नहीं करते हैं। मॉनिटरिंग कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर बिंदुओं में से सिर्फ तीन बिंदुओं का कार्य हुआ है। इस कारण पीड़ितों को उपचार के लिए भटकना पड रहा है। मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं का पालन नहीं किया जा रहा है।
हाई कोर्ट का फैसला पढ़िए
युगल पीठ ने 28 नवम्बर को पूर्व में पारित आदेश का हवाला देते हुए कहा कि आदेश के बावजूद भी मॉनिटरिंग कमेटी को स्टेनोग्राफर तक उपलब्ध नहीं करवाया गया है। बीएमएचआरसी को एम्स में नहीं तब्दील किया गया। युगल पीठ ने बीएमएचआरसी के लिए स्वीकृत 1247 पदों में 498 पद रिक्त हैं। युगल पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि इन अधिकारियों ने गैस पीड़ितों को बेसहारा छोड दिया है।

न्यायालय की अवमानना के दोषी अधिकारियों की लिस्ट
राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र से संबंधित राज्य सूचना अधिकारी अमर कुमार सिन्हा तथा विजय कुमार विश्वकर्मा।
अतिरिक्त मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान।
केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण।
रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय की सचिव एमएस आरती आहूजा।
प्रदेश के तत्कालीन मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के वरिष्ठ उप-महानिदेशक आर. रामकृष्णन।
भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर के निदेशक डॉ. प्रभा देसिकन तथा डॉ. राजनारायण तिवारी। साभार जन हित में

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