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Gas kand अफसर करें न चाकरी पंछी करे न काम दास मलूका कह गए सबके दाता राम की थीम पर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, एसीएस मोहम्मद सुलेमान समेत नो को कोर्ट की अवमानना का दोषी पाया

Gas kand अफसर करें न चाकरी पंछी करे न काम दास मलूका कह गए सबके दाता राम की थीम पर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, एसीएस मोहम्मद सुलेमान समेत नो को कोर्ट की अवमानना का दोषी पाया था।
जबलपुर से रविन्द्र चढ्ढा महादण्ड संवाददाता के साथ भोपाल से राधावल्लभ शारदा द्वारा संपादित रपट
भोपाल गैस त्रासदी मामले से संबंधित अवमानना याचिका में मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार के एसीएस मोहम्मद सुलेमान, पूर्व मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र के दो अधिकारियों समेत नौ अफसरों को अवमानना का दोषी करार दिया है। हाईकोर्ट ने याचिका में अनावेदक बनाए गए छह अधिकारियों के खिलाफ भी अवमानना की कार्यवाही के निर्देश जारी किए हैं। याचिका में अनावेदक बनाए गए सभी नौ अधिकारियों पर न्यायालय के अवमानना की तलवार लटक रही है। अवमानना मामले में हाईकोर्ट में बुधवार को सुनवाई निर्धारित है।

सर्वाेच्च न्यायालय ने 2012 में भोपाल गैस पीड़ित महिला उद्योग संगठन सहित अन्य की याचिका पर सुनवाई करते हुए भोपाल गैस पीड़ितों के उपचार व पुनर्वास के संबंध में 20 निर्देश जारी किए थे। इन बिंदुओं का क्रियान्वयन सुनिश्चित कर मॉनिटरिंग कमेटी का गठित करने के निर्देश भी जारी किए थे। मॉनिटरिंग कमेटी को प्रत्येक तीन माह में अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट के समक्ष पेश करने के निर्देश दिए गए थे। इस रिपोर्ट के आधार पर हाईकोर्ट को केन्द्र व राज्य सरकार को आवश्यक दिशा-निर्देश जारी करने को कहा गया था। इसके बाद उक्त याचिका पर हाईकोर्ट सुनवाई कर रहा था। याचिका के लंबित रहने के दौरान मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं का परिपालन नहीं करने के खिलाफ भी उक्त अवमानना याचिका 2015 में दायर की गई थी।
हेल्थ कार्ड तक नहीं बने
अवमानना याचिका में कहा गया था कि गैस त्रासदी के पीड़ित व्यक्तियों के हेल्थ कार्ड तक नहीं बने हैं। अस्पतालों में आवश्यकतानुसार उपकरण व दवाएं उपलब्ध नहीं हैं। बी एम एच आर सी के भर्ती नियम का निर्धारण नहीं होने के कारण डॉक्टर व पैरामेडिकल स्टाफ स्थाई तौर पर अपनी सेवाएं प्रदान नहीं करते हैं। मॉनिटरिंग कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर बिंदुओं में से सिर्फ तीन बिंदुओं का कार्य हुआ है। इस कारण पीड़ितों को उपचार के लिए भटकना पड रहा है। मॉनिटरिंग कमेटी की अनुशंसाओं का पालन नहीं किया जा रहा है।

युगल पीठ ने 28 नवम्बर को पूर्व में पारित आदेश का हवाला देते हुए कहा कि आदेश के बावजूद भी मॉनिटरिंग कमेटी को स्टेनोग्राफर तक उपलब्ध नहीं करवाया गया है। बी एम एच आर सी को एम्स में नहीं तब्दील किया गया। युगल पीठ ने बीएमएचआरसी के लिए स्वीकृत 1247 पदों में 498 पद रिक्त हैं। युगल पीठ ने अपने आदेश में कहा है कि इन अधिकारियों ने गैस पीड़ितों को बेसहारा छोड दिया है।
*अधिकारी दोषी*
युगल पीठ ने आठ बिंदु निर्धारित करते अपने आदेश में कहा है कि कम्प्यूटीकरण व डिजिटलीकरण की जिम्मेदारी राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र से जुड़े राज्य सूचना अधिकारी अमर कुमार सिन्हा तथा विजय कुमार विश्वकर्मा की थी। प्रक्रिया को पूरी करने की जिम्मेदारी अतिरिक्त मुख्य सचिव मोहम्मद सुलेमान की थी। इन अधिकारियों को अवमानना का दोषी करार देते हुए केंद्रीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव राजेश भूषण, रसायन एवं उर्वरक मंत्रालय की सचिव एमएस आरती आहूजा, प्रदेश के तत्कालीन मुख्य सचिव इकबाल सिंह बैंस, भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद के वरिष्ठ उप-महानिदेशक आर. रामकृष्णन, भोपाल मेमोरियल हॉस्पिटल एवं रिसर्च सेंटर के निदेशक डॉ. प्रभा देसिकन तथा डॉ. राजनारायण तिवारी के खिलाफ अवमानना की कार्यवाही के निर्देश रजिस्ट्री को जारी किए थे।
प्रदेष सरकार की तरफ से दोषी करार दिए गए अधिकारियों को अवमानना से मुक्त करने तथा तत्काल सुनवाई की मांग करते हुए हाईकोर्ट में आवेदन दायर किया था। हाईकोर्ट की युगल पीठ ने 9 दिसम्बर को आवेदन पर सुनवाई स्थगित करते हुए निर्धारित तिथि पर प्रकरण प्रस्तुत करने के आदेश जारी किए थे। साथ ही अवमानना के दोषी करार दिए गए अधिकारियों को अपना पक्ष प्रस्तुत करने के निर्देश दिए थे।

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