*Myth OF Ashoknagar: मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री बनने के बाद मोहन यादव ने उज्जैन में रात्रि विश्राम किया है।मोहन यादव अशोकनगर जिले का भी मिथक तोड़ सकते हैं
अशोक नगर से दिनेश जैन के साथ भोपाल से राधावल्लभ शारदा के द्वारा संपादित रपट
अशोकनगर: मुख्यमंत्री मोहन यादव ने उज्जैन के उस मिथक को तोड़ दिया है जिसमें कहा जाता था कि कोई भी सीएम यहां रात्रि विश्राम नहीं कर सकते हैं।ऐसा ही एक मिथक अशोकनगर जिले में है। ऐसा कहा जाता है कि जो भी मुख्यमंत्री अशोकनगर जिला मुख्यालय आता है वह दोबारा मुख्यमंत्री की कुर्सी पर नहीं बैठ पाता है। किसी न किसी कारण से उसे अपना मुख्यमंत्री पद गंवाना पड़ता है। ऐसे कई पूर्व मुख्यमंत्री हैं जो अशोकनगर गए और उन्हें कुर्सी गंवानी पड़ी। अब माना जा रहा है कि मोहन यादव इस मिथक को तोड़ सकते हैं।
मध्य प्रदेश में अशोकनगर जिले को लेकर एक मिथक है, जिसमें कहा जाता है कि जो भी मुख्यमंत्री अशोकनगर आता है उसे अपनी कुर्सी गंवानी पड़ती है।
भारतीय जनता पार्टी के जिला अध्यक्ष आलोक तिवारी ने बताया कि हमारे नवनिर्वाचित मुख्यमंत्री पूरे प्रदेश का दौरा कर रहे हैं। जिसको लेकर हमारी भी इच्छा थी कि वह अशोकनगर आएं। यहां कुछ योजनाओं के क्रियान्वयन भूमि पूजन और शिलान्यास उद्घाटन में वह हिस्सा लेंगे और आम लोगों से भी मुलाकात करें। हमने स्वयं व्यक्तिगत रूप से मिलकर उनसे निवेदन किया है कि वह अशोकनगर पधारें। उन्होंने यहां पधारने का भरोसा दिया है। उन्होंने कहा इसको लेकर मैंने एक कार्य योजना भी तैयार की है। सबसे पहले वह शहर के राजराजेश्वर महादेव मंदिर पहुंचेंगे इसके बाद अन्य कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगे
राजनीतिक जानकारों की मानें तो सन 1975 में जब कांग्रेस की सरकार थी तब प्रकाश चंद्र सेठी मुख्यमंत्री रहते हुए अशोकनगर में एक अधिवेशन में आए इसके कुछ दिन बाद ही राजनीतिक कारणों से उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी। 1977 में श्याम चरण शुक्ला भी शहर के तुलसी सरोवर के लोकार्पण कार्यक्रम में पहुंचे। जिसके दो साल बाद राष्ट्रपति शासन लगने के बाद उन्हें कुर्सी छोड़नी पड़ी। 1985 में अर्जुन सिंह मध्य प्रदेश के सीएम रहते हुए वह भी अशोकनगर विधानसभा के दौरे पर आए इसके कुछ दिन बाद ही उन्हें सीएम पद से हटकर पंजाब का गवर्नर बना दिया गया।
, 1988 में मोतीलाल वोरा मध्य प्रदेश के सीएम थे और वह माधवराव सिंधिया के साथ शहर के रेलवे फुटओवर ब्रिज का लोकार्पण करने पहुंचे इसके कुछ दिन बाद ही उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ा। 1992 में सुंदरलाल पटवा को भी अशोकनगर दौरे पर आने के बाद अयोध्या में विवादित ढांचा ढहा दिया गया और प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लग जाने की वजह से अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी। वहीं, 2001 में ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रचार के लिए आए तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह को भी 2003 में अपनी कुर्सी गंवानी पड़ी थी।
शिवराज सिंह चौहान मध्य प्रदेश में सबसे लंबे समय तक मुख्यमंत्री रहे हैं, लेकिन कभी भी अशोकनगर नहीं आए। वह हमेशा अशोकनगर से दूरी बनाए रहे। जब भी शिवराज सिंह चौहान कोई कार्यक्रम करने आते उसके लिए किसी गांव को चुना जाता है। वह कभी भी अशोकनगर जिला मुख्यालय नहीं पहुंचे
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