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Superm court में हिंदू पक्ष की याचिका ज्ञानवापी का तहखाना खोला जाय सील इलाके का हो वैज्ञानिक सर्वे

Superm court में हिंदू पक्ष की याचिका ज्ञानवापी का तहखाना खोला जाय सील इलाके का हो वैज्ञानिक सर्वे

दिल्ली से वेदप्रकाश रस्तोगी के साथ भोपाल से राधावल्लभ शारदा द्वारा संपादित रपट

सुप्रीम कोर्ट में भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) को काशी के ज्ञानवापी परिसर में मौजूद कथित शिवलिंग (हिंदू दावे के मुताबिक) के वैज्ञानिक सर्वेक्षण का आदेश देने की मांग वाली याचिका दाखिल की गई है. इस मामले में हिंदू पक्षकारों ने दो याचिकाएं दाखिल की हैं. एक याचिका में वजूखाना की सील खोलकर वैज्ञानिक सर्वेक्षण कराने की मांग की गई है और दूसरी याचिका में दस तहखानों का सर्वेक्षण कराने की मांग है.
हिंदू पक्षकार ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर कहा है कि ये कि ये सर्वे बिना शिवलिंग को नुकसान पहुंचाए वैज्ञानिक तरीके से कराया जाए. मौजूदा समय में विवादित परिसर में वजूखाना सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद संरक्षित है. यानी वहां सीलबंदी की गई है. वहां हिंदू पक्षकार आदि विश्वेश्वर का शिवलिंग होने का दावा कर रहे हैं. जबकि मुस्लिम पक्ष इसे फव्वारा बताता है.
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हिंदू पक्ष ने कहा है कि इस क्षेत्र का मुसलमानों के लिए कोई धार्मिक महत्व नहीं है क्योंकि उनके अनुसार वहां एक कथित फव्वारा है. आधुनिक निर्माण जानबूझकर शिवलिंग से जुड़ी मूल विशेषताओं जैसे पीठ, पीठिका आदि को छिपाने के लिए किया गया है. हिंदू पक्ष ने कहा है कि शिवलिंग के क्षेत्र को कृत्रिम दीवारें खड़ी करके घेर दिया गया है.
हिन्दू पक्ष की याचिका में ज्ञानवापी मे सील एरिया को भी खोले जाने की मांग की गई है. याचिका में सुप्रीम कोर्ट से सील क्षेत्र में सर्वे पर रोक लगाने के आदेश को वापस लेने की गुहार लगाई गई है. अर्जी में विवादित स्थल को कृत्रिम दीवारों से सील किए गए वाराणसी मस्जिद के 10 तहखानों को खोलने और उनमें ASI के जरिए वैज्ञानिक सर्वेक्षण करने की इजाजत देने की मांग भी की गई है.
इससे पहले विश्व हिंदू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय कार्यकारी अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता आलोक कुमार ने शनिवार को कहा कि ज्ञानवापी संरचना से ASI द्वारा एकत्र किए गए सबूत इस बात की पुष्टि करते हैं कि मस्जिद का निर्माण एक भव्य मंदिर को ध्वस्त करने के बाद किया गया था. उन्होंने कहा था कि मंदिर की संरचना का एक हिस्सा, विशेष रूप से पश्चिमी दीवार हिंदू मंदिर का शेष हिस्सा है. रिपोर्ट यह भी साबित करती है कि मस्जिद के निर्माण में संशोधनों के साथ स्तंभों और स्तंभों सहित पहले से मौजूद मंदिर के कुछ हिस्सों का पुन: उपयोग किया गया था.
आलोक कुमार ने यह भी कहा कि ASI द्वारा एकत्र किए गए साक्ष्य और दिए गए निष्कर्ष यह साबित करते हैं कि इस पूजा स्थल का धार्मिक चरित्र 15 अगस्त, 1947 को अस्तित्व में था और वर्तमान में यह एक हिंदू मंदिर के रूप में है. इस प्रकार, पूजा स्थल अधिनियम, 1991 की धारा 4 के अनुसार भी, संरचना को एक हिंदू मंदिर घोषित किया जाना चाहिए.

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