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Superm court ने हलाल सर्टिफिकेशन पर बैन के खिलाफ याचिका पर दिया उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस,

Superm court ने हलाल सर्टिफिकेशन पर बैन के खिलाफ याचिका पर दिया उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस,
दिल्ली से वेदप्रकाश रस्तोगी के साथ भोपाल से राधावल्लभ शारदा द्वारा संपादित रपट
सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस संदीप मेहता ने इस मामले में दाखिल जमीयत उलेमा ए हिंद हलाल ट्रस्ट की अर्जी पर सुनवाई करने का फैसला किया है। कोर्ट ने हलाल इंडिया प्राइवेट लिमिटेड और जमीयत उलेमा ए महाराष्ट्र की अर्जी पर पहले ही नोटिस जारी कर चुकी है। इन दोनों संगठनों ने भी यूपी सरकार द्वारा हलाल सर्टिफिकेशन पर बैन पर चुनौती दी है। पिछले साल 18 नवंबर को यह बैन लगाया गया था और इसके बाद पुलिस ने तमाम मॉल और अन्य जगहों पर जहां भी हलाल सर्टिफिकेट वाले प्रोडक्ट था उसे सीज किया है। याचिकाकर्ता ने कहा है कि बैन के कारण नागरिकों के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन हुआ है और इस कारण कानूनी तौर पर तय ट्रेड प्रैक्टिस को प्रभावित किया गया है।
सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान यूपी सरकार के बैन को चुनौती देते हुए याचिकाकर्ता के वकील ने सुप्रीम कोर्ट से कहा कि इस बैन का पैन इंडिया असर हुआ है और इस कारण अंतर राज्यीय स्तर पर बिजनेस पर फर्क पड़ा है। जमीयत के वकील एमआर शमशाद ने दलील दी कि संगठनों ने इस मामले में छानबीन में सहयोग किया है और तमाम दस्तावेज पेश किए हैं फिर भी राज्य सरकार ने ट्रस्ट के प्रेसिडेंट को समन जारी किया और कहा कि वह व्यक्तिगत तौर पर पेश हों जबकि इसकी क्या जरूरत है? तब जस्टिस गवई ने कहा कि उन्हें बताएं कि मामला सुप्रीम कोर्ट सुन रहा है। इस पर शमशाद ने कहा कि हमने कहा है कि सुप्रीम कोर्ट मामला सुन रहा है। लेकिन वह कह रहे हैं कि प्रेसिडेंट की पेशी चाहते हैं। वह राज्यसभा के पूर्व सदस्य भी हैं और उन्हें प्रोटेक्ट किया जाए। सुप्रीम कोर्ट ने मामले में नोटिस जारी किया और कहा कि मामले में याचिकाकर्ता संगठन और उनके पदाधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई न की जाए।

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