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4 Remaining Freedom Fighters कोई नेताजी का सिपाही, कोई 12 साल में गया जेल… दिल्ली के 4 बचे हुए आजादी के योद्धाओं के बारे में बताने जा रहे हैं,

4 Remaining Freedom Fighters
कोई नेताजी का सिपाही, कोई 12 साल में गया जेल… दिल्ली के 4 बचे हुए आजादी के योद्धाओं के बारे में बताने जा रहे हैं,

दिल्ली से वेदप्रकाश रस्तोगी के साथ भोपाल से राधावल्लभ शारदा द्वारा संपादित रपट
नई दिल्ली: 26 जनवरी को देश ने 75वां गणतंत्र दिवस मनाया। इस गणतंत्र दिवस पर यह देखा गया कि दिल्ली में अब स्वतंत्रता सेनानी कम ही बचे हैं। 1980 के दशक में राजधानी में जहां 592 रजिस्टर्ड स्वतंत्रता सेनानी थे, लेकिन अब केवल चार ही बचे हैं। इस जीवित स्वतंत्रता के नायकों में आजाद हिंद फौज के आर माधवन, ओम प्रकाश और दो बहनें सुभद्रा और निर्मल कांता शामिल हैं। इन सभी का भारत की स्वतंत्रता के लिए लड़ने का उल्लेखनीय इतिहास है। आज हम दिल्ली के इन चारों जीवित स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में बता रहे हैं।
कोई नेताजी का सिपाही, कोई 12 साल में गया जेल… दिल्ली के 4 बचे हुए आजादी के योद्धाओं से मिलिए
1. आर माधवन
स्वतंत्रता सेनानी आर माधवन का जन्म 13 मार्च 1926 को हुआ था। माधवन किशोरावस्था में ही भारतीय स्वतंत्रता लीग में शामिल हो गए थे। नेताजी सुभाष चंद्र बोस के आजादी के आह्वान से प्रेरित होकर, माधवन आजाद हिंद फौज में भी भर्ती हो गए। उन्होंने आजाद हिंद फौज और आजादी के आंदोलन के लिए बर्मा में विभिन्न स्थानों से पैसे इकट्ठे किए। माधवन को 1945 में अंग्रेजों ने 6 महीने की जेल की सजा सुनाई थी। 97 वर्ष की आयु में माधवन अब दिल्ली के वसंत विहार में रहते हैं। माधवन ने कहा, ‘आइए हम प्रत्येक भारतीय के लिए न्याय, स्वतंत्रता और समान अधिकारों की खोज के लिए खुद को प्रतिबद्ध करें, साथ ही इस गौरवशाली राष्ट्र के सभी भाग्यशाली निवासियों के बीच शांति और एकता के लिए भी।’
2. ओम प्रकाश
दिल्ली के दूसरे स्वतंत्रता सेनानी ओम प्रकाश का जन्म 1926 में हुआ था। ओम प्रकाश मूल रूप से यूपी के अलीगढ़ के रहने वाले हैं। वो बचपन से ही आजादी के आंदोलन से प्रभावित थे। वजीराबाद में अपने स्कूल के दिनों में ओम प्रकाश स्वतंत्रता सेनानियों के संपर्क में आ गए। उन्होंने अंग्रेजी शासकों के खिलाफ आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लिया। उन्होंने राष्ट्रवादी नारों के साथ पर्चे बांटने और विरोध प्रदर्शन के लिए रेलवे ट्रैक को उखाड़ने जैसे काम किए। ओम प्रकाश को मुल्तान सेंट्रल जेल में कैद किया गया था, जहां उन्होंने बीमार स्वतंत्रता सेनानी राम किशन के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी। देश की प्रगति पर विचार करते हुए, ओम प्रकाश ने अपनी खुशी व्यक्त की और कहा, ‘मेरा मानना है कि हमारा देश फलफूल रहा है और इसका भविष्य आशाजनक है। मैं दिल्ली के बारे में सब कुछ संजोता हूं।’
3. सुभद्रा खोसला
दिल्ली की तीसरी स्वतंत्रता सेनानी सुभद्रा खोसला हैं, जिन्हें स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान 12 साल की उम्र में जेल में डाल दिया गया था। खोसला सबसे कम उम्र के स्वतंत्रता सेनानियों में से हैं। लाहौर महिला जेल में कैद रहने के दौरान, उन्होंने अंग्रेजों के खिलाफ प्रदर्शन करते हुए बिना डरे भारतीय झंडा फहराया। फिलहाल सुल्तानपुर में रहने वाली खोसला के परिवार का महात्मा गांधी के विचारों से गहरा नाता था, क्योंकि वे सक्रिय रूप से खादी को बढ़ावा देने और विदेशी कपड़ों का बहिष्कार करने में भाग लेते थे।
4. निर्मल कांता
सुभद्रा की बहन और एक अन्य स्वतंत्रता सेनानी निर्मल कांता अब मंदाकिनी एन्क्लेव में रहती हैं। गांधी के आह्वान से प्रेरित होकर उनका पूरा परिवार आजादी के आंदोलन में कूद गया। उनके पिता ने स्वतंत्रता आंदोलन में शामिल होने के लिए अपनी मेडिकल की पढ़ाई बीच में ही छोड़ दी। वहीं निर्मल कांता उस वक्त युवा स्वतंत्रता सेनानी के रूप में आजादी के आंदोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लेने लगीं।

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