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letter असेंबली आफ एमपी जर्नलिस्ट्स के प्रांतीय अध्यक्ष ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव को लिखा पत्र*

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*letter असेंबली आफ एमपी जर्नलिस्ट्स के प्रांतीय अध्यक्ष ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव को लिखा पत्र*

पत्रकारों की विभिन्न समस्याओं को लेकर मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव के नाम एक पत्र लिखा गया है।
माननीय मुख्यमंत्री जी आप अच्छे से जानते हैं कि आपके और जनता के मध्य सेतु का काम पत्रकार करता है।
आजादी की लड़ाई में भी पत्रकारों का बड़ा योगदान रहा था। इतना ही नहीं आपातकाल के समय में भी यातनाएं सहते हुए पत्रकारों ने अपना धर्म नहीं छोड़ा था जेल जाना पसंद किया था परन्तु झुकना पसंद नहीं किया।
बड़ा दुर्भाग्य है कि आजादी दिलाने में अहम भूमिका निभाने वाले पत्रकारों को संबिधान में कोई स्थान नहीं दिया गया।
आम आदमी जानता है कि तीन पहियों की गाड़ी ठीक से नहीं चलती दुर्घटनाग्रस्त होने की संभावना बनी रहती है और आज भी देश में यही स्थिति है।
हम सब संविधान निर्माताओं में अग्रणी भूमिका निभाने वाले बाबा साहेब डॉ भीमराव अम्बेडकर जी को नमन करते हैं इसमें देश के सभी राजनीतिक दल एक से बढ़कर एक आगे बढ़कर चल रहे हैं परन्तु किसी भी राजनीतिक पार्टी ने आजादी मिलने के बाद से कभी भी इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि पत्रकारों को संविधान में स्थान दिया जाना चाहिए।
खैर संविधान में स्थान मिलेगा या नहीं परंतु जो काम आप कर सकते हैं उस तरफ आपका ध्यान आकर्षित करना चाहता हूं।
1 – पत्रकार सुरक्षा कानून बनाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान के समय एक समिति गठित की गई थी आपको मुख्यमंत्री बने एक वर्ष हो गया है, पत्रकार सुरक्षा कानून पर अभी तक क्या हुआ कोई बताने वाला नहीं है।
गृह विभाग के आदेश 2010 का पालन भी पुलिस विभाग द्वारा नहीं किया जा रहा है।
एक अति आवश्यक विषय यह है कि किसी भी संस्था या व्यक्ति के खिलाफ किसी मामले को लेकर समाचार प्रकाशन पर पत्रकार के खिलाफ दुर्भावना से पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई जाती है तो हमारा संगठन मांग करता है कि शिकायत दर्ज कराने वाले की गतिविधियों और उसके व्यवसाय की जांच आवश्यक है उसके बाद यदि पत्रकार दोषी पाए जाता है तो प्रकरण दर्ज किया जाना चाहिए।
पुलिस समझती है कि अधिस्वीकृत मीडिया मतलब अधिमान्यता प्राप्त पत्रकार, पुलिस का सोच गलत है अधिस्वीकृत मीडिया का मतलब है कि केंद्र सरकार के पंजीयक कार्यालय से पंजीकृत समाचार पत्र से है।
अधिमान्यता नियमों में प्रसार संख्या के आधार पर कोटा निर्धारित है।इस भ्रम को भी दूर करना होगा।
ग्रामीण अंचल के पत्रकारों को उनके सेवाकाल एवं समाचारों के आधार पर कम से कम 10 वर्ष का अनुभव प्राप्त पत्रकारों को स्वतंत्र पत्रकार की श्रेणी में लेकर अधिमान्यता दी जानी चाहिए क्योंकि समाचार पत्रों के मालिकों द्वारा ग्रामीण अंचल के पत्रकारों को नियुक्ति पत्र के साथ वेतन भी नहीं दिया जाता है।
अब मैं आपका ध्यान उन पत्रकारों की समस्यायों पर विचार करने के लिए लिख रहा हूं कि जिन पत्रकारों ने अपने जीवन के पत्रकारिता के क्षेत्र में लम्बी अवधि निकाल दी और आज 70 वर्ष से अधिक उम्र के है और सम्मान निधि मिल रही है बढ़ती मंहगाई में 20 हजार रुपए कम है अतः बढ़ाकर रुपए 30 हजार रुपए करने का निर्णय लिया जाना चाहिए।
70 वर्ष से अधिक उम्र वाले अधिमान्यता प्राप्त पत्रकारों को मेडिकल सहायता के रूप में रुपए 10 हजार रुपए देने का अनुरोध है।
पत्रकारों का जिनका बीमा नहीं है उन्हें आयुष्मान योजना में शामिल कर लाभान्वित किया जाना चाहिए।
छोटे समाचार पत्रों को जिसमें मासिक पत्रिका, साप्ताहिक समाचार पत्र को दैनिक समाचार पत्रों की तरह वर्ष में 6 विज्ञापन जारी किया जाना चाहिए प्रत्येक विज्ञापन की राशि रुपए 30 हजार करनी चाहिए,
अंतिम तो नहीं परंतु एक अतिआवश्यक कार्य यह है कि जनसमपर्क विभाग की विभिन्न समितियों में श्रम विभाग में पंजीकृत संगठन के अध्यक्ष के माध्यम से नाम लेकर रखा जाना चाहिए क्योंकि ग्रामीण अंचल के पत्रकारों से भली भांति परिचित होते हैं।
राधावल्लभ शारदा
प्रांतीय अध्यक्ष
असेंबली आफ एमपी जर्नलिस्ट्स मुख्यालय, भोपाल,
9425609484

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