Danjorus है अपोलो सेज हास्पिटल, भूल कर भी नहीं जाना मरीज को लेकर*।
अस्पताल में डॉक्टर यादव को जब मरीज़ को दिखाया गया तब बुखार 102 के लगभग था खांसी निरंतर बनी हुई थी।
पैरों में सुजन थी,
सिटी स्कैन हुआ
अंतिम समय तक बुखार 102 तक रहा और खांसी निरंतर बनी रही, खांसी के साथ वलगम भी था ।
चेस्ट एक्स-रे की रिपोर्ट हर दिन की एक जैसी।
यूरिन टेस्ट की रिपोर्ट तीन दिन में, हिमोग्लोबिन 6 तक पहुंच गया। और मेडिकल के अनुसार खून की रोज जांच होती थी। यूरिन मरीज को कभी भी आती थी। किसी मेडिकल विशेषज्ञ से परामर्श कर पूरा पता चलेगा।
भोजन मरीज के लायक नहीं।
हां डाक्टर और स्टाफ का व्यवहार अच्छा,साफ सफाई भी।
कमरे में लगा पंखा बेसुरा।
जो दबा बच गई दबा दुकान बाले ने लेने से मना किया जबकि 10 में से एक ही गोली दी।
यह सही है कि मीठे व्यवहार से मरीज़ आधा ठीक हो जाता है परंतु डाक्टर को मर्ज पकड़ने का ज्ञान नहीं।

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