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*Centre केंद्र सरकार के सूचना प्रसारण मंत्रालय ने नियमों में बदलाव किया जिससे समाचार पत्रों के मालिकों का धन, श्रम,समय और शक्ति का अपव्यय होगा*।

*Centre केंद्र सरकार के सूचना प्रसारण मंत्रालय ने नियमों में बदलाव किया जिससे समाचार पत्रों के मालिकों का धन, श्रम,समय और शक्ति का अपव्यय होगा*।

भोपाल – केंद्र सरकार के सूचना प्रसारण मंत्रालय ने नियमों में बदलाव किया है उस बदलाव से पहले विभाग के अधिकारियों ने साप्ताहिक, मासिक और छोटे समाचार पत्रों की कठिनाईयों को नहीं समझा, इस दौर में समाचार पत्र का प्रकाशन सामान्य नहीं है लेकिन पत्रकारिता के पिरोधा स्व गनेश शंकर विद्यार्थी के पद चिन्हों पर चल रहे हैं।
पत्रकार हो या समाचार पत्र मालिक दोनों ही पत्रकारिता की श्रेणी में आते हैं ‌
आजादी के युद्ध में पत्रकारों का अहम रोल था जिसे भुलाया नहीं जा सकता है । समाचारों का संकलन पत्रकार करते थे और उसका प्रकाशन समाचार पत्रों में होता था और वो समाचार पत्र आम नागरिक तक जाता था।
आम नागरिक उन समाचार को पढ़कर देश को आजाद कराने में मदद करता था और आजादी की लड़ाई में शामिल होते थे। यदि आज भी समाचार पत्र और पत्रकार अपनी भूमिका का निर्वहन बंद कर दे तो आम नागरिक अपने क्षेत्र के विधायक, सांसद ही नहीं विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं को सूरत ही नहीं बल्कि नाम से भी नहीं पहचान पायेगा और यही स्थिति आजादी के समर के समय थी।
पत्रकारों की अहमियत किसी से छुपी नहीं है।
पत्रकारों की ताकत है कि वह व्यक्ति को फर्स से अर्ष तक पहुंचा देता है इसका उल्टा भी हो सकता है।
देश में आजादी के बाद संविधान का निर्माण किया गया, संविधान निर्माताओं ने भारत को तीन खम्भों पर खड़ा कर दिया, तीन पहियों की गाड़ी चलने में डगमगाती है यह सर्व विदित है।
संविधान में यदि पत्रकारिता को चौथे स्तंभ के रूप में जोड़ लिया जाता तो आज यह कथित चौथा स्तंभ कठिनाईयों से नहीं गुजरता।
आज केंद्र सरकार के सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने नियमों में बदलाव किया अच्छी बात है परंतु यदि थोड़ा विचार कर नियम बनाने के पहले प्रशासनिक व्यवस्था कर लेते तो फिर उंगली नहीं उठती।
मध्यप्रदेश में केंद्र सरकार के सूचना प्रसारण विभाग के कार्यालय भोपाल में है और मध्यप्रदेश के कोने कोने से समाचार पत्रों का प्रकाशन होता है नियमों के अनुसार समाचार पत्र की प्रति केंद्र सरकार के सूचना एवं प्रसारण विभाग में जमा कराना अनिवार्य कर दिया है।
यदि समाचार पत्र नियमित प्रकाशित नहीं होता है तो फिर उसे राज्य सरकार से विज्ञापन नहीं मिलेगा। नियमितता प्रमाण पत्र के लिए प्रकाशक को अभी तक जिला जनसंपर्क कार्यालय, संभागीय जनसंपर्क कार्यालय के साथ पत्र सूचना कार्यालय में जमा कराना और प्रमाण पत्र लेना होता है। छोटे समाचार पत्रों के लिए पत्र सूचना कार्यालय आवश्यक नहीं था लेकिन दैनिक समाचार पत्रों को समाचार पत्र माह में एक बार निर्धारित दिनांक को जमा करना होता था जिसके लिए टोकन सुविधा थी।
मैं इस प्रक्रिया को अव्यवहारिक मानता हूं क्योंकि अंचल से प्रकाशित समाचार पत्रों को यदि भोपाल आकर प्रक्रिया पूरी करनी है तो उसे बहुत सी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है जैसे भोपाल आने जाने में समय, श्रम,धन, और तन की आवश्यकता होती है।
जरुरी नहीं है कि अनूपपुर, नीमच, सिंगरौली, अलीराजपुर आदि दूरस्थ क्षेत्रों से आने वाले साधन समय पर भोपाल पहुंचा दे यदि देरी होती है तो उसे एक दिन और भोपाल में रुकना होगा।
इन समस्याओं से निजात का एक विकल्प है बह यह कि प्रदेश के जिला जनसंपर्क कार्यालय में निर्धारित दिनांक को समाचार पत्र जमा हो और उसकी रसीद पत्र सूचना कार्यालय तथा केंद्रीय सूचना प्रसारण विभाग को पावती रसीद मेल अथवा वाट्स एप के माध्यम से भेज दिया जाता है तो समाचार पत्रों के मालिकों को बड़ी राहत मिलेगी।
असेंबली आफ एमपी जर्नलिस्ट्स के प्रांतीय अध्यक्ष राधावल्लभ शारदा ने केंद्र सरकार के सूचना प्रसारण मंत्री के साथ ही देश के प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखा है।
साफ शब्दों में प्रजातंत्र के तीन स्तंभ की निगरानी करने वाले को प्रोत्साहित करना होगा उसे निराशा के कुएं में नहीं फेंकना चाहिए।
सरकार से अनुरोध है कि समाचार पत्रों के मालिकों जो कि समाज सेवा का प्रमुख अंग है को इस कठिनाई से मुक्त करें।
राधावल्लभ शारदा
प्रांतीय अध्यक्ष
असेंबली आफ एमपी जर्नलिस्ट्स मुख्यालय भोपाल,
9425609484
मेरा समस्त समाचार पत्रों के मालिकों से निवेदन है कि यदि आपको मेरे द्वारा दिए गए सुझाव अच्छा लगता है तो आइए हम सब मिलकर सरकार से अनुरोध कर अनावश्यक रूप से हो रही परेशानी से निजात पा सकते हैं।
बटे रहेंगे तो कष्ट उठायगे इसलिए आवश्यक है एक हों।

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