*Pm Awas Yojana ही नहीं सभी सरकारी काम में घोटाला
बिहार के 10 जिलों में जांच, अधिकारी नेताओं की आंखों में मिर्च डालकर घोटाला करते हैं यह तो सिर्फ आवास घोटाला है*
पटना से रमेश कुमार की रपट भोपाल से आरती परिहार की रपट *विशेष टिप्पणी – जिस भी सरकारी काम पर उंगली रखोगे बहा घोटाला मिलेगा जब तक एसे लोगो के लिए सख्त कानून नहीं बनेगा ये घोटाले रुकने बाले नहीं क्योंकि पूरा सिस्टम पैसे की हबस में जी रहा है*। जानकारी के अनुसार ऐसे ऐसों को ‘लिफ्ट’ कराया कि बिहार में पीएम आवास योजना की सच्चाई जानने के लिए एक जांच की गई। इस जांच में जो बातें सामंने आईं, उसे जान कर सरकार भी हैरान रह गई। इस योजना का लाभ ऐसे लोगों को दिया गया जो इसके योग्य ही नहीं थे। और जो योग्य थे, उन्हें अंगूठा दिखा दिया गया। ये जांच सीतामढ़ी समेत बिहार के कुल 10 जिलों में की गई थी।
बिहार में पीएम आवास योजना ग्रामीण का धरातल पर क्या हाल है, इसकी जांच हुई है। जांच में जो सच्चाई सामने आई है, उसे जानकर सरकार हैरान है। महालेखाकार, बिहार ने अपनी टीम से 10 जिलों में पीएम आवास योजना ग्रामीण की सच्चाई का पता लगाया है। पाया गया है कि एक-दो नहीं बल्कि कई गड़बड़ियां है। इसकी रिपोर्ट मिलते ही राज्य सरकार ने सभी डीएम और डीडीसी को पता चली गड़बड़ियों से अवगत कराया है और मार्गदर्शिका के अनुरूप उक्त योजना का कार्यान्वयन कराने की बात कही है। ये मामला जान कर आप भी हैरान रह जाएंगे
पीएम आवास योजना ग्रामीण योजना का धरातल पर हाल, अभिलेख एवं आवास सॉफ्ट पर रहे आंकड़ों के आधार पर जांच/अंकेक्षण में पाया गया है कि उक्त योजना को लेकर वार्षिक कार्य योजना का निर्धारण नहीं किया जाता है। इससे लक्ष्य की प्राप्ति में कठिनाई होती है। योजना में पारदर्शिता लाने के लिए चयनित लोगों की सूची पंचायत भवन पर प्रदर्शित की जानी है, पर नहीं की जाती है। ग्राम सभा से चयनित की सूची को अनुमोदित करानी है, लेकिन इसकी खानापूर्ति कर ली जाती है। रिपोर्ट के अनुसार, सीतामढ़ी के बैरगनिया प्रखंड में ऐसा हुआ है कि एक प्रस्ताव में जिस व्यक्ति को योजना के लाभ के अयोग्य करार दिया गया, उसे दूसरे प्रस्ताव में योग्य बता दिया गया
दिव्यांग को भी नहीं
जांच दल की माने, तो आवास योजना में दिव्यांग को पांच फीसदी का आरक्षण है, जिसे नजरअंदाज किया जा रहा है। प्राकृतिक आपदा पीड़ितों को भी आवास का लाभ दिया जाना है, इसका अनुपालन नहीं किया जा रहा है। भूमिहीनों को वास भूमि उपलब्ध करानी है। जांच में पाया गया है कि भूमि के लिए राशि दे दी गई और वास भूमि का निबंधन कराए बिना लाभुकों को आवास की राशि दे दी गई। हद तो यह कि सूची को भंग कर भी कई लाभुकों को योजना का लाभ देने का मामला सामने आया है। ग्रामीण विकास विभाग के सचिव ने कहा है कि प्रतीक्षा सूची में यदि अवयस्क सदस्य का नाम शामिल हो, तो आवास की स्वीकृति के पूर्व प्रखंड स्तर से इसकी जांच करा ले कि परिवार में कोई वयस्क सदस्य तो नहीं है। वयस्क सदस्य नहीं होने और लाभुक के योग्य होने पर उन्हें अभिभावक के साथ संयुक्त रूप से सहायता राशि का भुगतान किया जाये।
महालेखाकार की टीम ने दस जिलों में पाया कि गरीब लोगों को वास भूमि क्रय को राशि दी गई, तो विलंब से क्रय किया अथवा क्रय किया ही नहीं। ऐसा अनुश्रवण के अभाव में हो रहा है। राज्य सरकार ने कहा है कि जो लाभुक वास भूमि क्रय नहीं करते है, उनसे राशि की वसूली की कार्रवाई करें। साथ ही भूमि निबंधन के बाद ही पीएम आवास योजना की स्वीकृति दी जाए। इधर, पता चला है कि आवास के योग्य गरीबों का नाम आवास सॉफ्ट ऐप पर अपलोड नहीं होने के कारण वो फायदे से वंचित रह गए हैं। रिपोर्ट में अयोग्य व्यक्तियों को भी योजना का लाभ देने पर सवाल खड़ा किया गया है। महिला सदस्य के नाम पर आवास की स्वीकृति देने की बात कही गई है। कई जिलों में इसका अनुपालन नहीं किया जा रहा है। इस तरह की और भी कई गड़बड़ियां पकड़ी गई हैं।