*Sugar Mill Fraud Case
यूपी में 1300 करोड़ की धोखाधड़ी मामले की सी बी आई जांच, हाई कोर्ट ने दिया आदेश* लखनऊ से निर्मल यादव की रपट भोपाल से वैंकटेश शारदा के द्वारा संपादित
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सिभोली सुगर मिल और सात बैंकों के अधिकारियों की मिलीभगत से 1300 करोड़ की धोखा धड़ी मामले में कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने इस मामले की सीबीआई जांच के आदेश दिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि सीबीआई मनी लॉन्ड्रिंग पाए जाने पर ईडी की मदद से सकता है।
सिंभोली शुगर मिल और 7 बैंकों के अधिकारियों की मिलीभगत पर कोर्ट सख्त
केन कमिश्नर को बताया जिम्मेदार,
प्रयागराज में 1300 करोड़ के धोखा धडी मामले की सीबीआई जांच होगी। सिंभोली शुगर मिल लिमिटेड की ओर बैंक अधिकारियों की मिलीभगत से करोड़ों की धोखाधड़ी के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने सीबीआई जांच का आदेश दिया है। कोर्ट ने सीबीआई को छूट दी है कि अगर मनी लॉन्ड्रिंग की गई हो तो प्रवर्तन निदेशालय की मदद लेकर कार्रवाई की जाए। यह आदेश जस्टिस एमसी त्रिपाठी और जस्टिस प्रशांत कुमार की बेंच ने मेसर्स सिंभोली शुगर लिमिटेड की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। दरअसल, एसबीआई ने कंपनी के मालिकों को वसूली के लिए नोटिस दिया था। इसी नोटिस को कोर्ट में चुनौती दी गई थीं
कोर्ट ने कहा कि आरबीआई ने 1 जुलाई 2009 को सर्कुलर जारी कर सभी बैंकों को निर्देश दिया था कि जहां पांच करोड़ से अधिक की धोखाधड़ी की गई हो, बैंक उसकी रिपोर्ट बैंकिंग सिक्यॉरिटी ऐंड फ्रॉड सेल को तुरंत दे। किसी बैंक ने गाइडलाइंस का पालन करना उचित नहीं समझा और एनपीए घोषित याची कंपनी को सात बैंकों से 1,300 करोड़ रुपये का लोन मिल गया। केन कमिश्नर ने भी किसानों का वर्ष 2022-23 का 376 करोड़ का भुगतान न करने वाली मिल को गन्ना खरीद की अनुमति जारी रखी और बैंक अधिकारियों ने लोन वसूली के ठोस प्रयास ही नहीं किए।
कोर्ट ने कहा कि एक बैंक का धन हड़पने के बाद याची कंपनी एक के बाद दूसरे बैंक से लोन हड़पती रही। यह भी बताया गया कि इससे पहले यूपी की चीनी मिलों पर 1700 करोड़ रुपये का बकाया था। 150 किसानों के द्वारा एफआईआर दर्ज करवाने के बाद भुगतान हुआ। लेकिन, एफआईआर पर अधिकारियों के खिलाफ कोई ऐक्शन नहीं लिया गया।
मिल डिफॉल्टर हुई और खाता एनपीए घोषित किया गया। फिर भी वसूली का प्रयास किए बैंक अधिकारियों ने मिल को लोन देना जारी रखा। इसकी भी जांच की जानी चाहिए।
केन यूनियन के अधिवक्ता ने कहा कि याची मिल की तीन इकाइयों पर किसानों का 379 करोड़ का बकाया है। कोर्ट ने कहा कि मिल, बैंक अधिकारियों सहित केन कमिश्नर भी जिम्मेदार हैं। केन कमिश्नर ने भी कोई ऐक्शन नहीं लिया। करोड़ों रुपये हड़पे गए और अधिकारी मूक दर्शक बने रहे। वसूली नहीं की गई। कोर्ट के मुताबिक, आरबीआई गाइडलाइंस के विपरीत बैंक अधिकारियों द्वारा लोन देने की भी जांच की जाए ।