*POK केंद्रीय गृहमंत्री ने अमित शाह ने संसद में कहा कि
‘अगर 2 दिन रुक जाते तो पूरा PoK तिरंगे के तले आ जाता…’, * दिल्ली से वेदप्रकाश रस्तोगी के साथ भोपाल से राधावल्लभ शारदा के द्वारा संपादित रपट देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार के लिए केंद्र द्वारा लोकसभा में पेश किए गए तीन नए आपराधिक कानून विधेयकों को संसदीय स्थायी समिति की सिफारिशों के बाद सरकार ने वापस ले लिया है. समिति की सिफारिशों के आधार पर विधेयकों के नए संस्करण तैयार किए जाएंगे.
देश में आपराधिक न्याय प्रणाली में सुधार के लिए केंद्र द्वारा लोकसभा में पेश किए गए तीन नए आपराधिक कानून विधेयकों को संसदीय स्थायी समिति की सिफारिशों के बाद सरकार ने वापस ले लिया है. समिति की सिफारिशों के आधार पर विधेयकों के नए संस्करण तैयार किए जाएंगे.
भारतीय न्याय संहिता विधेयक 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता विधेयक, 2023 और भारतीय साक्ष्य विधेयक 2023 11 अगस्त को मानसून सत्र के दौरान संसद में पेश किए गए थे. उपरोक्त तीनों विधेयक क्रमशः भारतीय दंड संहिता, आपराधिक प्रक्रिया संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम के बदले लाए गए थे.
फिर तीनों विधेयकों को विस्तृत मूल्यांकन के लिए संसद की एक चयन समिति के पास भेजा गया और समिति को तीन महीने के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपने के लिए कहा गया था. लोकसभा में बिल पेश करने के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि इन बिलों को लाने का मकसद सजा नहीं, बल्कि न्याय दिलाना है
राज्यसभा को संबोधित करते अमित शाह ने कहा कि
‘अगर 2 दिन रुक जाते तो पूरा PoK तिरंगे के तले आ जाता…’,
‘370 के खिलाफ सारे स्टैंड न्याय के लिए नहीं थे’, शाह का विपक्ष पर वार
बिल पेश करने के दौरान शाह ने कहा था, ‘मौजूदा कानूनों का ध्यान ब्रिटिश प्रशासन की रक्षा और उसे मजबूत करने पर था, विचार दंड देने पर था न कि न्याय देने पर. उन्हें प्रतिस्थापित करके, तीन नए कानून भारतीय नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने की भावना से लाएंगे.’
IPC क्या है?
गंभीर अपराधों के मामले में आईपीसी की धाराएं लगाई जाती हैं. IPC भारतीय नागरिकों के अपराधों की परिभाषा के साथ उसके लिए तय दंड को बताती है. सिविल लॉ और क्रिमिनल भी IPC यानी भारतीय दंड संहिता के तहत आते हैं. IPC में 23 चैप्टर हैं और 511 धाराएं हैं.
CrPC क्या है?
इसका पूरा नाम है- कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर है. आमतौर पर थानों में मामले आईपीसी की धाराओं के तहत दर्ज होते है, लेकिन इनकी जांच में CrPC का इस्तेमाल किया जाता है. इसका पूरा नाम है- कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर पुलिस अपराधिक मामलों को आईपीसी के तहत दर्ज करती है, लेकिन उसके बाद की प्रक्रिया सीआरपीसी के तहत चलती है.
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