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One एक देश एक चुनाव बिल होगा संसद में पेश! शीतकालीन सत्र में ही ला सकती है केंद्र सरकार

One एक देश एक चुनाव
बिल होगा संसद में पेश! शीतकालीन सत्र में ही ला सकती है केंद्र सरकार

*दिल्ली से वेदप्रकाश रस्तोगी के साथ वैंकटेश शारदा द्वारा संपादित*

एक देश एक चुनाव को लागू करने के लिए संविधान में संशोधन के लिए कम से कम छह विधेयक लाने होंगे और सरकार को संसद में दो-तिहाई बहुमत की जरूरत होगी.
वन नेशन-वन इलेक्शन बिल होगा संसद में पेश! शीतकालीन सत्र में ही ला सकती है केंद्र सरकार
वन नेशन वन इलेक्शन विधेयक होगा पेश

सरकार एक देश एक चुनाव के लिए तैयार है और संसद के शीतकालीन सत्र में विधेयक पेश कर सकती है. कैबिनेट ने एक देश एक चुनाव पर रामनाथ कोविंद समिति की रिपोर्ट को पहले ही मंजूरी दे दी है. सूत्रों ने बताया कि सरकार अब विधेयक पर आम सहमति बनाना चाहती है और इसे विस्तृत चर्चा के लिए संयुक्त संसदीय समिति या जेपीसी के पास भेज सकती है.
एनडीटीवी ने सूत्रों के हवाले से अपनी रिपोर्ट में बताया है कि जेपीसी सभी राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से चर्चा करेगी. सूत्रों के मुताबिक इस प्रक्रिया में अन्य हितधारकों को भी शामिल किया जाएगा. देश भर के बुद्धिजीवियों के साथ-साथ सभी राज्य विधानसभाओं के अध्यक्षों को भी बुलाया जा सकता है. आम लोगों की राय भी ली जाएगी. सूत्रों ने बताया कि शुरुआत में सरकार लोगों को इसमें शामिल करना चाहती है और इसे हासिल करने के तरीकों और साधनों पर बाद में चर्चा की जा सकती है.
आम सहमति के अभाव में वर्तमान प्रणाली को बदलना अत्यंत चुनौतीपूर्ण होगा. एक देश एक चुनाव स्कीम को लागू करने के लिए संविधान में संशोधन के लिए कम से कम छह विधेयक लाने होंगे और सरकार को संसद में दो-तिहाई बहुमत की आवश्यकता होगी. हालांकि एनडीए के पास संसद के दोनों सदनों में बहुमत है, फिर भी किसी भी सदन में दो-तिहाई बहुमत हासिल करना एक कठिन काम हो सकता है.

राज्यसभा की 245 सीटों में से एनडीए के पास 112 और विपक्षी दलों के पास 85 सीटें हैं. दो तिहाई बहुमत के लिए सरकार को कम से कम 164 वोटों की जरूरत है. लोकसभा में भी एनडीए के पास 545 में से 292 सीटें हैं. दो तिहाई बहुमत का आंकड़ा 364 है लेकिन स्थिति परिवर्तनशील हो सकती है, क्योंकि बहुमत की गणना केवल उपस्थित और मतदान करने वाले सदस्यों के आधार पर की जाएगी.

सरकार कुछ समय से एक साथ चुनाव कराने पर जोर दे रही है, उसका तर्क है कि मौजूदा प्रणाली समय, धन और प्रयास की बर्बादी है. इसके अलावा चुनाव से पहले घोषित आदर्श आचार संहिता का सवाल भी है, जो विकास के काम काज पर ब्रेक लगाती है. कोविंद रिपोर्ट ने सुझाव दिया है कि सरकार को द्विदलीय समर्थन और देशव्यापी आख्यान तैयार करना चाहिए. रिपोर्ट में सिफारिश की गई है कि “एक राष्ट्र एक चुनाव” का क्रियान्वयन 2029 के बाद ही हो सकता है.

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