Breaking News

*Wed दुर्भाग्य था देश के नागरिकों का कि न्याय की देवी की आंखों पर पट्टी बंधी थी तो न्याय कहां था अब पट्टी खुल गई न्याय मिलेगा*

*Wed दुर्भाग्य था देश के नागरिकों का कि न्याय की देवी की आंखों पर पट्टी बंधी थी तो न्याय कहां था अब पट्टी खुल गई न्याय मिलेगा*

भोपाल से राधावल्लभ शारदा के द्वारा संपादित रपट,

भोपाल, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आने के बाद विदेशी आक्रांताओं और विदेशी प्रभुता के निसान और नामों में परिवर्तन का सिलसिला शुरू किया एक शुभ संकेत था परन्तु कुछ राजनीतिक दल जो इन दोनों से अपने आप को मुक्त नहीं कर पाए और नरेंद्र मोदी के साथ एन डी ए सरकार के घोर विरोधी दलों ने न्याय की देवी की मुर्ती में परिवर्तन चुप्पी साध रखी है कारण सुप्रीमकोर्ट के चीफ जस्टिस के काम की आलोचना कैसे करें क्योंकि सभी पर भ्रष्टाचार के मामले सुप्रीमकोर्ट में विचाराधीन है और जमानत पर हैं।
न्याय की देवी के आंखों पर बंधी काली पट्टी को हटाने का साहस सुप्रीमकोर्ट के चीफ जस्टिस ने अपने सेबा निवृत होने के पूर्व दिया इस कार्य ने देश और दुनिया को एक नहीं बहुत कुछ संदेश दिया पहला गुलामी की मानसिकता से मुक्ति दूसरा देश में न्याय अंधा था का मतलब सीधा था कि जो भी निर्णय न्यायपालिका के द्वारा लिए दिए जाते थे उससे एक पक्ष दुखी होता था जिसे न्याय मिलने की उम्मीद होती थी।
न्याय की देवी की आंखों पर बंधी हुई काली पट्टी की बात है तो कुछ उसका सच भी दिखाना चाहिए आप बीती के उदाहरण है एक प्रकरण सुप्रीमकोर्ट ने क्रिमिनल केस दर्ज किया लगभग दो साल चला प्रकरण रसूखदार और वे हिसाब दौलत के मालिक से संबंधित था जिसमें दस्तावेज में कूट रचना , सरकार को आर्थिक रूप से नुकसान, मुख्यमंत्री चुनने पर ली गई शपथ का उल्लंघन भी,
दूसरा उदाहरण मिलते जुलते नाम से भ्रमित का तो आज देश में मिलते-जुलते नाम के कई लोग,शहर, होटल, सड़क और पता नहीं कितने हो सकते हैं।
तीसरा उदाहरण न्यायालय में चल रहे प्रकरण के दौरान प्रकरण से हटने की जान से मारने की धमकी न पुलिस ने एफआईआर दर्ज की और न्यायपालिका ने प्रकरण खारिज कर दिया। भोपाल जिला न्यायालय, हाईकोर्ट जबलपुर और सुप्रीमकोर्ट की कहानी है आप बीती है।

देर आए दुरुस्त आए न्याय की देवी की नई प्रतिमा स्थापित की गई है। इस नई प्रतिमा में न्याय की देवी की आंखों से पट्टी हटा दी गई है और एक हाथ में तलवार की जगह संविधान थमा दिया गया है। एक हाथ में पहले की ही तरह तराजू रखा गया है। इसके अलावा प्रतिमा का वस्त्र भी बदला गया है। देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के निर्देश पर इसे शिल्पकार विनोद गोस्वामी ने बनाया है। उन्होंने बताया कि तीन महीने की मेहनत के बाद इस प्रतिमा को तैयार किया गया है।
*तीन चरणों से गुजरी प्रतिमा निर्माण का प्रक्रिया*
शिल्पकार विनोद गोस्वामी ने एक देश के सबसे बड़े न्यूज चैनल को बताया कि इस प्रतिमा को बनाने में तीन महीने के दौरान तीन प्रक्रियाओं से गुजरनी पड़ी है। उन्होंने इसकी प्रकिया के बारे में बताया कि सबसे पहले एक ड्राइंग बनाई, इसके बाद एक छोटी प्रतिमा बनाई गई। जब मुख्य न्यायाधीश को वह प्रतिमा पसंद आ गई, तब बाद ये छह फीट ऊंची दूसरी बड़ी प्रतिमा बनाई गई। नई प्रतिमा का वजन सवा सौ किलो है।
उन्होंने बताया कि चीफ जस्टिस के मार्गदर्शन और दिशा निर्देश के अनुसार ही न्याय की नई मूर्ति बनाई गई है। उन्होंने बताया कि चीफ जस्टिस ने कहा था कि नई प्रतिमा कुछ ऐसी हो जो हमारे देश की धरोहर, संविधान और प्रतीक से जुड़ी हुई हो। गोस्वामी ने कहा कि इसी को ध्यान में रखते हुए गाउन की जगह प्रतिमा को साड़ी पहनाई गई है। ये नई प्रतिमा फाइबर ग्लास से बनाई गई है।

About Mahadand News

Check Also

Journalist*असेम्बली ऑफ़ एमपी जर्नलिस्ट्स के प्रांतीय अध्यक्ष राधावल्लभ शारदा ने श्रम मंत्री प्रहलाद पटेल को लिखा पत्र मांग की पत्रकारों को वेतन, नियुक्ति पत्र मिले

Journalist*असेम्बली ऑफ़ एमपी जर्नलिस्ट्स के प्रांतीय अध्यक्ष राधावल्लभ शारदा ने श्रम मंत्री प्रहलाद पटेल को …