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*राधावल्लभ शारदा की रपट*
देश के भविष्य के निर्माताओं ने कल भोपाल के तुलसीनगर स्थिति अंबेडकर मैदान में सभा की यहां तक तो ठीक है हमारे देश में बोलने कि आजादी है अपनी बात और मांग रखने की आजादी की भी एक सीमा है।
कल अथिति शिक्षकों ने सारी मर्यादाओं को लांघ कर देश के ध्वज जिस पर हमें गर्व है को पेरों तलें रोदा देखकर मन में इन अथिति शिक्षकों को गुरु का दर्जा नहीं दिया जाना चाहिए यह बात मन में घर कर गई।
चूंकि मैं सेकंड स्टाप तुलसीनगर भोपाल में ही रहता हूं यह सब देखकर मैंने पुलिस आयुक्त हरीनारायण चारी को मोबाइल किया सो भाग्यशाली हूं कि उन्होंने मोबाइल उठा लिया मैंने अपना परिचय दिया और वस्तु स्थिति से अवगत कराया।
अथिति शिक्षकों को मुख्यमंत्री निवास तक अपनी बात रखने जाना था परन्तु अनुमति नहीं होने से उन्हें रोका गया था।
जिस तरह लाल रंग देखकर जानवर भागता है और बह यह नहीं देखता है कि उसके भागने से क्या होगा क्या नफा नुकसान होगा आखिर जानवर ही है।
जब अथिति शिक्षकों को पुलिस ने रोका तो उन्होंने बेरीकेट्स लांघकर आगे बढ़ने का प्रयास किया तब पुलिस ने रोका नहीं माने तो लाठी चार्ज किया और वहीं हुआ कि जानवर को जब डंडा पड़ता है तो फिर चाहे जिधर भागता है और इसी भागमभाग में सेकंड स्टाप तुलसीनगर स्थिति पार्क की फेंसिंग टूट गई, छोटे छोटे पौधे जो भविष्य में बट वृक्ष बनकर आक्सीजन देने वाले थे उन्हें पैरों तले रौंदा और नष्ट कर दिया।
मुझे एक घटना याद आ गई एक बार 1970 से पूर्व चतुर्थ श्रेणी एवं तृतीय श्रेणी कर्मचारीयों का 15 दिन तक आंदोलन जारी रहा उस समय तृतीय श्रेणी कर्मचारीयों के नेता अष्ठाना और चतुर्थ श्रेणी कर्मचारियों के नेता देवीलाल हुआ करते थे तब सरकार ने आम सभा के लिए भोपाल नगर निगम सीमा से बाहर सभा देने की अनुमति दी थी तब भोपाल नगर निगम की सीमा हवीवगंज फाटक के बाद थी।
उस घटना को याद करते हुए मैंने कलेक्टर भोपाल कोशलेंद्र सिंह से चर्चा करते हुए कहा कि अम्बेडकर मैदान में सभा आदि होने से बहा के निवासी घर में कैद हो जातें हैं और सारा आवागमन ठप्प हो जाता है अतः भविष्य में अंबेडकर मैदान में धरना प्रदर्शन आम सभा पर पाबंदी लगाई जानी चाहिए कलेक्टर कोशलेंद्र सिंह ने मेरी बात को गंभीरता से लेते हुए कहा कि पुलिस आयुक्त हरीनारायण चारी से चर्चा कर इस समस्या का निदान किया जाएगा।
सरकार के मुखिया प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव जी को भी इस बात पर गंभीरता से विचार करना होगा।
अपनी बात को विराम देने से पहले मेरा सरकार को सुझाव है कि बच्चों के भविष्य निर्माताओं को जिन्हें यह ज्ञान नहीं है राष्ट्रीय ध्वज जिसके आगे महामहिम राष्ट्रपति महोदया से लेकर देश के तीनों स्तंभ ही नहीं कथित चौथा स्तंभ भी नतमस्तक होता है उस ध्वज का अपमान करने वाले सभी और कल के आंदोलन में शामिल होने बाले सभी व्यक्तियों को किसी भी स्थिति में फिर से अथिति शिक्षक नहीं बनाना चाहिए।
पुलिस विभाग की गोपनीय शाखा ने हो सकता है सरकार तक वस्तुस्थिति नहीं पहुंचाई होगी।
मैं समझता हूं कि सरकार, प्रशासन और पुलिस विभाग कल की घटना से सबक लेकर भविष्य में इस तरह की घटना नहीं होने देगा पत्रकार होने के नाते मैं अपनी बात रख रहा हूं बैसे भी भोपाल की पुलिस निकम्मी है और बड़े नेताओं पर कार्यवाही करने से डरती है उसका उदाहरण मैं हूं। मैंने पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह के द्वारा किए गए भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज बुलंद की तो मुझे 14 नवंबर 2018 में दो अनजान व्यक्तियों ने घर आकर न्यायालय से प्रकरण से हटने का कहां और नहीं हटने पर जान से मारने की बात कही।
मैंने 15 नवंबर को डाक से घटना का पूरा विवरण लिखकर डाक से पुलिस थाना प्रभारी टी टी नगर, तत्कालीन मुख्यमंत्री तत्कालीन गृहमंत्री को डाक से शिकायत भेजी और एफआईआर दर्ज करने का निवेदन किया परंतु यह कलयुग है मां लक्ष्मी के आगे सब नतमस्तक हैं और आज तक एफआईआर दर्ज नहीं हुई,जब मी टू पर दस वर्ष बाद एफआईआर दर्ज हो सकती है तो फिर मेरे साथ इतनी बड़ी घटना पर पुलिस विभाग की चुप्पी कुछ और ही कहानी कहती हैं।
कल अथिति शिक्षकों के आंदोलन को पुलिस का खुफिया विभाग समझ नहीं पाया अतः भोपाल में पदस्थ सभी खुफिया विभाग के पुलिस कर्मचारियों अधिकारियों को तत्काल प्रभाव से भोपाल के मुख्यालय में अटैच करना चाहिए।