*M P में महिला पत्रकार एवं अन्य पत्रकार की आवाज मुख्यसचिव प्रशासन एवं पुलिस महानिदेशक की अधीनस्थ कर्मचारी नहीं सुनते* *
जी हां एक पत्र एम पी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के प्रांतीय अध्यक्ष के द्वारा पुलिस महानिदेशक को नवंबर 2023 को लिखा गया था और उसमें पांच प्रकरण की जांच की मांग की गई थी ।
गृह विभाग के 2010 के आदेश में स्पष्ट रूप से लिखा गया है कि पत्रकार पर किसी के द्वारा किसी भी तरह की शिकायत है तो उस प्रकरण की जांच पुलिस अधीक्षक अथवा डी आई जी स्तर के अधिकारी द्वारा की जायेगी इस आदेश का घोर उल्लंघन पुलिस कर्मियों द्वारा किया जा रहा है।
इतना ही नहीं भोपाल की एक महिला पत्रकार की एफआईआर दर्ज नहीं की तो न्यायालय की शरण में जाना पड़ा, न्यायाधीश महोदया ने थाना प्रभारी महिला थाना को जांच कर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया, महिला पत्रकार के बयान मोबाइल पर बात कर बुला कर लिए, नियम कहता है कि वयान लेने के लिए लिखित में सूचना दी जानी चाहिए परंतु ऐसा नहीं हुआ और उस महिला पत्रकार को बयान की एक प्रति भी नहीं दी।
दूसरी महिला पर झूठी रिपोर्ट के आधार पर एफआईआर दर्ज हो जाती है और वह प्रताड़ित होती है। शिकायत दर्ज कराने वाले आपस में समझोता कर लेते हैं परंतु बह महिला मानसिक रूप से प्रताड़ित होती है। उस महिला ने पुलिस महानिदेशक के यहां सूचना के अधिकार के तहत एम पी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के प्रांतीय अध्यक्ष द्वारा दिए गए पत्र पर कार्यवाही मांगी है बह भी नहीं मिली है,
एक प्रकरण में एक पत्रकार ने एफआईआर दर्ज करने के साथ यह भी जानकारी मांगी है कि क्या न्यायालय में विचाराधीन प्रकरण के चलते एफआईआर दर्ज नहीं हो सकती है। न्यायालय में विचाराधीन प्रकरण से हटने का कहां न हटने पर जान से मार दिया जाएगा मामला 2018 नवंबर का है। जान से मारने की घर आकर धमकी देना वगैर कारण कोई नहीं देगा।
इसी तरह से दो प्रकरण और है।
एम पी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के प्रांतीय अध्यक्ष ने पुलिस महानिदेशक से पांचों प्रकरण की उच्च स्तरीय अधिकारियों से जांच करने की बात रखी।
कोई कार्यवाही नहीं होने से लगता है कि मध्यप्रदेश के पुलिस महानिदेशक की बात को नीचे के अधिकारी नहीं मानते है।
वर्तमान समय में लगता है कि अधिकारियों एवं कर्मचारियों पर किसी का भी अंकुश नहीं है। इसी तरह प्रधानमंत्री कार्यालय से आए पत्र को मुख्य सचिव के कार्यालय में डस्ट बिन में डाल दिया जाता है। जबकि प्रधानमंत्री कार्यालय से आए हुए पत्र में लिखा है कि आवेदक को की जा रही कार्यवाही से अवगत कराया जाना है।
यह हाल है मध्यप्रदेश में पुलिस महानिदेशक एवं मुख्य सचिव के अधिनस्थ अधिकारी वर्ग का।
क्या मुख्यमंत्री मोहन यादव इस पत्र पर कार्यवाही करेगी उन्हें भी स्पीड पोस्ट से सारी जानकारी दी गई है। मुख्यमंत्री मोहन यादव जी को भी पता नहीं होगा कि आम जनता नहीं जब पत्रकारों के मामले में सुनवाई नहीं हो रही है तो फिर आम जनता का क्या होगा,
अब मैं तो कह सकता हूं कि भ्रष्टाचार का बोलबाला है।
राधावल्लभ शारदा,भोपाल