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*Bhopal भोपाल के गैस पीड़ितों के साथ साज़िश है। सांसद भोपाल आलोक शर्मा को सुप्रीमकोर्ट के आदेश को पढ़कर वयान देना चाहिए*।

*Bhopal भोपाल के गैस पीड़ितों के साथ साज़िश है । सांसद भोपाल आलोक शर्मा को सुप्रीमकोर्ट के आदेश को पढ़कर वयान देना चाहिए*।

राधावल्लभ शारदा की रपट

दुर्भाग्य है भोपाल के गैस पीड़ितों का जिस व्यक्ति को सांसद बनने के लिए मतदान किया बही भोपाल मेमोरियल को समाप्त करने पर उतारू

भोपाल के सांसद आलोक शर्मा ने एम्स भोपाल में आयोजित एक कार्यक्रम में भोपाल मेमोरियल अस्पताल एवं अनुसंधान केंद्र, भोपाल को एम्स भोपाल में मर्ज करने के लिए केंदीय स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री को प्रस्ताव दिये जाने की जानकारी दी ।

सुप्रीम कोर्ट ऑफ इंडिया की रिट पिटीशन क्रमांक 50/1998 में बिन्दु क्रमांक 35 के उपबिंदु क्रमांक 11 में बी एम एच आर सी को टीचिंग संस्थान बनाने और आटोनोमी देने की सिफ़ारिश को नकारते हुये, इसे एम्स में मर्ज करके गैस पीड़ितों के हित में काम कर रहे संस्थान के अस्तित्व को मिटाने की साजिश की जा रही है।

भोपाल के गैस पीड़ितों है कि सांसद आलोक शर्मा भोपाल की जनता के साथ हैं या नहीं।
लोगों को यह समझ नहीं आता कि सांसद आलोक शर्मा भोपाल से सांसद हैं अथवा दिल्ली का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं जो चर्चा का विषय है ।सूत्रों का कहना है कि होना ये चाहिए था कि बी एम एच आर सी संस्थान, जिसका गठन एक विशेष अधिनियम के तहत हुआ है और सन 2012 में ही इसको आटोनोमस बनाने और एक पीजी संस्थान के रूप में विकसित किए जाने का प्रस्ताव था। आज जबकि बीएमएचआरसी संस्थान के 7 विभागों में पीजी कोर्स शुरू किया जा चुका है, तब इसे आटोनोमस बनाने की जगह इसको मर्ज करने की बात कहा से उठ गई।

आम गैस पीड़ित का मानना है कि मर्ज करने से गैस पीड़ित मरीजों का सिर्फ नुकसान ही नुकसान है और गैस पीड़ितों को स्वास्थ्य सुविधा की राहत दिए जाने के उद्देश्य हेतु गठित अस्पताल अपने मूल लक्ष्य से भटक जाएगा।
जानकार सूत्रों का कहना है कि एम्स भोपाल की ओपीडी में प्रतिदिन आने वाले मरीजों की संख्या करीब 5600 है और उनके लिए ही एमआरआई, सीटी स्केन की वेटिंग लगभग एक साल की है। बीएमएचआरसी में मरीजों की ओपीडी प्रतिदिन करीब 2500 है। ऐसे में क्या एम्स भोपाल में बीएमएचआरसी के गैस पीड़ित मरीजों को वरीयता दी जाएगी या उन्हें भी बहुप्रतीक्षित वेटिंग सूची में डाल दिया जाएगा, जहां कोई इलाज का पुरसाने हाल बयान किया जाना मुश्किल है।

*ऐसा प्रतीत होता है कि मर्जर के पीछे कतिपय स्वार्थी तत्वों की मंशा बी एम एच आर सी के 1200 करोड़ के कार्पस फंड को हजम कर जाने की है*।

यह कहने की जरूरत नहीं है कि इसमें राजनैतिक तत्वों की मिलीभगत भी सम्मलित है। गैस त्रासदी का दंश झेल रहे गैस पीड़ित मरीज इन सभी की साजिश का शिकार बनेंगे और इलाज तो नहीं लेकिन राजनैतिक बदइंतजामी की गाज तो उन्हीं पर गिरेगी।

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