*Bhrastachar भ्रष्टाचार में लिप्त शासकीय विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों के साथ काम करने वाली एजेंसी से हो बसूली के साथ जेल*
*काम न करने वाले को नौकरी से निकाल दिया जाए*
*दास मलूका कह गए सबके दाता राम*
जी हां यही हालत है मध्यप्रदेश सरकार के सभी विभागों में कार्यरत अधिकारियों से लेकर चपरासी तक, भाजपा सरकार में अफसरशाही हावी रही है और हैं। प्रधानमंत्री कार्यालय से आए पत्र पर मुख्य सचिव कार्यालय में कार्यरत अधिकारियों के द्वारा चुप्पी।यह व्यवस्था कैसे सुधरेगी यह सोचना मुख्यमंत्री मोहन यादव और उनके मंत्रियों का है।
सबसे बुरी हालत पुलिस विभाग की है। डी जी पी तो तत्काल आदेश करते हैं परन्तु टी आई स्तर के अधिकारी कहते हैं कि एफआईआर दर्ज होगी या नहीं यह उपर बाले अधिकारी से बात करने के बाद तय होगा।
2 – प्रधानमंत्री कार्यालय से आए पत्र पर मुख्य सचिव के संज्ञान में लाया जाता है या नहीं यह तो मुख्य सचिव ही बता सकती है।
3 181 पर शिकायत दर्ज कराने के कुछ दिन बाद एक संदेश आता है कि आपकी शिकायत का निराकरण किया जा चुका है शिकायत कर्ता से बगैर सम्पर्क किए।
आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में शिकायत करने पर उनके द्वारा संबंधित विभाग के प्रमुख सचिव को पत्र भेजा जाता है उसमें उल्लेख होता है कि अमुक की शिकायत मिली है।
संबंधित विभाग के प्रमुख सचिव की अनदेखी या उनके अधिनस्थ अधिकारी एवं कर्मचारी की निष्क्रियता इसमें एक मुद्दा जोड़ा जा सकता है बह है भ्रष्टाचार,
भ्रष्टाचार कि बात इसलिए कर रहा हूं कि जो शिकायत होती है बह भ्रष्टाचार से संबंधित होती है।
*मुद्दई लाख बुरा चाह तो क्या होता बही है जो उपर बाला चाहे*
भ्रष्टाचार के मामले बगैर ढूंढे सब जगह मिल जाते हैं।
*सरकारी काम प्रधानमंत्री मुख्यमंत्री या मंत्री नहीं करते काम का निर्देश देते है*
काम कराने और उसकी गुणवत्ता देखने का कार्य सरकारी नोकरशाही का है।
ताजा मुद्दा नीट परीक्षा, फिर हवाई अड्डे का इसके निरीक्षण का काम नौकरशाही का है परन्तु कई वर्षों के नासूर बना भ्रष्टाचार एक दिन में या एक व्यक्ति के द्वारा समाप्त नहीं हो सकता है। इस नासूर को समाप्त करने के लिए सख्त कानून की आवश्यकता है।
*कानून में बदलाव कर जबावदारी तय करनी होगी* जैसे सड़क खस्ताहाल हो गई तो किस ठेकेदार ने बनाई उससे वसूली और भविष्य में बह कहीं भी काम करने योग्य नहीं करना चाहिए।
जिस अधिकारी की जबावदारी है उसे नौकरी से निकाल कर उसकी सम्पत्ती राज सात और जेल,
न्यायालय को भी सचेत रहने की आवश्यकता जमानत याचिका खारिज कर जेल भेजने के आदेश।
कहावत है डंडे के आगे भूत भी भागता है।
*अरब देशों मे चोरी करने वाले के हाथ काट दिए जाते हैं,* फिर से चोरी करने लायक नहीं रहता।
क्या सरिया कानून के अनुसार सजा तय करनी चाहिए।
