*कोचिंग राष्ट्र’ बनने को मजबूर है भारत**शिक्षा पर आई रिपोर्ट दुखी और चौंकाने वाली है*
भोपाल से वैंकटेश शारदा द्वारा संपादित रपट
किसी भी देश का विकास काफी हद तक उस देश के एजुकेशन सिस्टम पर निर्भर करता है और वर्तमान के समय में इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि भारत की शिक्षा का स्तर साल दर साल गिरता जा रहा है.
कुछ महीने पहले ही नेशनल सैंपल सर्वे की एक चौंकानी वाली रिपोर्ट आई है. इस पर किए गए अध्ययन से पता चलता है कि सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक पश्चिम बंगाल, बिहार, उड़ीसा जैसे कई राज्यों के सरकारी स्कूलों में पढ़ रहे ज्यादातर छात्रों को प्राइवेट कोचिंग लेने की जरूरत पड़ रही है. यानी भारत के कई ऐसे ग्रामीण इलाके हैं जहां सरकारी स्कूलों में शिक्षा की हालत इतनी खराब है कि माता-पिता को अपने बच्चों के बेहतर भविष्य के लिए अलग से कोचिंग करवाना पड़ रही है.
अब ग्रामीण भारत में बच्चों की स्कूली शिक्षा और सीखने की स्थिति पर ASER 2023 की एक और रिपोर्ट आई है. इसके अनुसार देश में 14 से 18 साल की उम्र के एक चौथाई बच्चे अपनी क्षेत्रीय भाषाओं में दूसरी क्लास के चैप्टर भी अच्छे नहीं पढ़ पा रहे हैं.
एएसईआर 2023 “बियॉन्ड बेसिक्स” सर्वे में 26 राज्यों के 14-18 उम्र के 34,000 से ज्यादा छात्रों का सर्वेक्षण किया गया है. सर्वे से पता चलता है कि इसमें शामिल 56 प्रतिशत छात्र अंग्रेजी का एक वाक्य भी नहीं पढ़ पा रहे है.
स्मार्टफोन कर रहा छात्रों का हाल बुरा
नई शिक्षा नीति 2020 के तहत केंद्र और राज्य सरकारों ने डिजिटल एजुकेशन को जमकर बढ़ावा दिया था. लेकिन इस रिपोर्ट के अनुसार आजकल के बच्चे स्मार्टफोन का इस्तेमाल पढ़ाई से ज्यादा मनोरंजन के लिए कर रहे है. सर्वे में शामिल 14 से 18 साल के 91 प्रतिशत बच्चे सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं.
एएसईआर रिपोर्ट 2023 से पता चलता है कि स्मार्टफोन की समस्या सिर्फ शहरी क्षेत्रों के छात्रों तक सीमित नहीं है. बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में इसका इस्तेमाल बढ़ गया है. इस सर्वे में शामिल 95% ग्रामीण घरों में स्मार्टफोन थे और लगभग 90 प्रतिशत महिलाएं और 95 प्रतिशत पुरुष उपयोग कर सकते थे .
‘कोचिंग राष्ट्र’ बनने को मजबूर है भारत, शिक्षा पर आई रिपोर्ट दुखी करने वाली
*शिक्षा की वार्षिक स्थिति रिपोर्ट (ASER) क्या है?*
एएसईआर रिपोर्ट ग्रामीण भारत के जिलों और राज्यों में बच्चों की स्कूली शिक्षा की स्थिति और मूलभूत शिक्षा की जांच करती है. देश के सभी ग्रामीण क्षेत्रों में साल 2005 से हर साल एक सर्वे आयोजित किया जाता है. यह भारत में नागरिकों के नेतृत्व वाला सबसे बड़ा सर्वेक्षण है.
*ए एस ईआर रिपोर्ट 2023 की मुख्य बातें भी जान लीजिए*
रिपोर्ट के अनुसार भारत में कुल मिलाकर, 14-18 साल के 86.8 फीसदी बच्चे किसी न किसी शैक्षणिक संस्थान में नामांकित हैं. हालांकि इन बच्चों का उम्र के साथ नामांकन प्रतिशत भी कम हो जाता है.
इतना ही रिपोर्ट में इस बात का भी जिक्र किया गया है कि कक्षा 11वीं और 12वीं के लगभग 55 प्रतिशत से ज्यादा छात्र-छात्राएं ह्यूमैनिटीज स्ट्रीम यानी Arts को चुनते हैं. दूसरा स्थान साइंस का है और तीसरा नंबर कॉमर्स है. एएसईआर रिपोर्ट 2023 में यह बात भी सामने आई है कि भारत में छात्रों की तुलना में छात्राएं कम साइंस टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग, मैथ्स में रजिस्टर्ड होती हैं.
इस समय तक बेटे शुरू कर सकते हैं काम करना
*रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण भारत में अब बदलते* सामाजिक परिदृश्य को देखते हुए लड़कियों के लिए कॉलेज स्तर तक की पढ़ाई करने के मौके बढ़े हैं. वहीं सर्वे के दौरान यह भी सामने आया कि घर के बेटों के दिमाग में जल्द से जल्द पैसा कमाने की चाहत होती है और घर में पैसे की कमी के कारण बेटे अपनी स्कूल की फीस तक निकालने के लिए काम शुरू कर देते हैं.
‘कोचिंग राष्ट्र’ बनने को मजबूर है भारत, शिक्षा पर आई रिपोर्ट दुखी करने वाली
*इन सब्जेक्ट से भाग रही हैं लड़कियां* *
एएसईआर की रिपोर्ट बताती है कि कक्षा 11 में लड़कों के एसटीईएम (साइंस, टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और मैथ) स्ट्रीम चुनने की संभावना लड़कों से काफी कम होती है. सर्वेक्षण के अनुसार 28.1 प्रतिशत लड़कियों के आर्ट स्ट्रीम से पढ़ाई करती हैं जबकि लड़कों में 36.3 प्रतिशत छात्र एसटीईएम स्ट्रीम चुनते हैं.
*स्कूलों में पढ़ाई के बाद भी ट्यूशन क्यों पढ़ाना पड़ता है?*
ASER यानी एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट 2022 में कुछ चौंकाने वाले तथ्य सामने आए थे. इस रिपोर्ट के अनुसार एर सर्वे में सर्वेक्षकों ने प्राथमिक कक्षाओं वाले 17,002 सरकारी स्कूलों का अवलोकन किया था. इन 17 हजार छात्रों में 9,577 प्राथमिक विद्यालय के छात्र थे और 7,425 उच्च प्राथमिक विद्यालय छात्र थे.
पहली कक्षा के बच्चों को गणित के बेसिक स्किल समझने में दिक्कत हो रही थी. इतना ही नहीं पहली, दूसरी और तीसरी के बच्चों को अक्षर तक समझने में परेशानी हो रही थी. इसी तरह ये रिपोर्ट कहती है कि सरकारी स्कूलों का पढ़ाई लिखाई का स्तर इतना ज्यादा खराब है कि बच्चों को अलग से ट्यूशन लेना ही पड़ता है.
एएसईआर की 2022 की रिपोर्ट क्या कहती है
भारत के शिक्षा स्तर पर वार्षिक रिपोर्ट (एएसईआर) 2022 में सरकारी स्कूलों में हुए नामांकन में पिछले चार सालों में तेज वृद्धि देखी गई थी. इस साल की रिपोर्ट के अनुसार जहां साल 2018 में 65.6% नामांकन हुए थे वहीं साल 2022 तक यह बढ़कर 72.9% हो गया था. इस रिपोर्ट में साल 2006 के बाद छात्र नामांकन में लगातार आई गिरावट में भी सुधार देखने को मिला था.