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CJI बोले- एग्जाम लेना जजों की गरिमा के खिलाफ; 15 फरवरी को अगली सुनवाई, पांच साल पढ़ने और परीक्षा देने के बाद डॉक्टर की डिग्री मिलती है

CJI बोले- एग्जाम लेना जजों की गरिमा के खिलाफ; 15 फरवरी को अगली सुनवाई, पांच साल पढ़ने और परीक्षा देने के बाद डॉक्टर की डिग्री मिलती है

दिल्ली से वेदप्रकाश रस्तोगी के साथ भोपाल से यावर खान एडवोकेट के द्वारा संपादित रपट – संपादक राधावल्लभ शारदा की टिप्पणी — परीक्षा सभी की वर्ग की होती है, भोपाल में एक प्रकरण सिर्फ इसलिए निरस्त कर दिया गया कि दायर की गई याचिका में घटना का समय नहीं लिखा जबकि फरियादी ने पुलिस को जो आवेदन डाक द्वारा भेजा गया उसमें समय, दिनांक, स्थान और वर्ष लिखा हुआ है मैं समझता हूं कि माननीय न्यायाधीश महोदय को फरियादी का वयान और उसके आवेदन के आधार पर कार्रवाई करनी चाहिए थी। परंतु ऐसा नहीं हुआ।सी जे आई से निवेदन है कि न्यायाधीश महोदयों को भी परीक्षा देना चाहिए, डाक्टर को 5 वर्ष पढ़ाई के बाद भी परीक्षा देनी पड़ती है।
डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच ने राज्य एवं जिला उपभोक्ता विवाद निवारण आयोगों (SCDRCS) के अध्यक्ष और सदस्यों की चयन प्रक्रिया पर शुक्रवार (2 जनवरी) को सुनवाई की। बेंच ने आयोग के अध्यक्ष और सदस्य के लिए हाईकोर्ट और जिला कोर्ट के रिटायर जजों को रिटन टेस्ट और इंटरव्यू से गुजरने पर ऐतराज जताया।
सी जे आई ने केंद्र सरकार की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता से अनुरोध किया कि वे कंज्यूमर अफेयर्स मिनिस्ट्री को फैसले के प्रभाव का मूल्यांकन करने, रिटायर जजों के लिए एग्जाम की जरूरत और इसमें छूट देने के लिए आवेदन दायर करने के लिए कहें।
SG ने कहा कि वे आवेदन को एक हफ्ते के भीतर सुप्रीम कोर्ट में दाखिल करेंगे। अब बेंच इस मामले में 15 फरवरी को आगे की सुनवाई करेगी।

खारिज की गई रिटन टेस्ट और इंटरव्यू की आवश्यकता
वहीं, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सी जे आई की बात पर सहमति जताई, लेकिन उन्होंने कहा कि सरकार ने चयन नियमों में संशोधन करके SCDRC अध्यक्ष बनने के लिए रिटायर जजों को रिटन टेस्ट और इंटरव्यू की आवश्यकता को खत्म कर दिया है।

उन्होंने आगे कहा कि संशोधन को जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस एमएम सुंदरेश की पीठ ने 3 मार्च 2023 को खारिज कर दिया था।

सुप्रीमकोर्ट ने संविधान के आर्टिकल 142 के तहत अपनी शक्तियों का इस्तेमाल करते हुए कहा था कि राज्य आयोग और जिला फोरम में अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति के लिए दो पेपर वाली लिखित परीक्षा में प्रदर्शन के आधार पर की जाएगी।
लिखित पेपर में 50 फीसदी नंबर लाना जरूरी, इंटरव्यू 50 नंबर का
अध्यक्ष और सदस्यों के पद की नियुक्ति के लिए तय किया गया कि दो रिटन टेस्ट होंगे जो 100-100 नंबर के होंगे। इनमें सामान्य ज्ञान, संवैधानिक कानून और उपभोक्ता कानून के सवाल होंगे।
जितने भी रिटायर जज इस एग्जाम में शामिल होंगें उन्हें व्यापार, वाणिज्य के साथ-साथ कंजूमर से जुड़े मुद्दों और सार्वजनिक मामलों पर निबंध लिखना होगा।
साथ ही केस स्टडी भी लिखनी होगी, जिसमें जजों को अपनी विश्लेषण क्षमता और क्षमताओं के बारे में बताना होगा।
सुप्रीमकोर्ट ने यह भी कहा था कि दोनों रिटन टेस्ट में पास होने के लिए कम से कम 50 फीसदी नंबर लाना जरूरी है। इंटरव्यू 50 नंबर का रहेगा। कुल मार्किंग 250 नंबर में से की जाएगी।
क्या होता है उपभोक्ता फोरम? ​​​​​उपभोक्ता फोरम भी एक अदालत है। इसे कानून द्वारा एक सिविल कोर्ट को दी गई शक्तियों की तरह ही शक्तियां प्राप्त हैं। उपभोक्ता अदालतों की जननी उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 है। इस अधिनियम के साथ उपभोक्ता फोरम की शुरुआत हुई। उपभोक्ता का मतलब ग्राहक होता है।

पहले इंडिया में उपभोक्ता के लिए कोई परफेक्ट लॉ नहीं था जो सिर्फ ग्राहकों से जुड़े हुए मामले ही निपटाए। किसी भी ग्राहक के ठगे जाने पर उसे सिविल कोर्ट में मुकदमा लगाना होता था।

इंडिया में सिविल कोर्ट पर काफी कार्यभार है ऐसे में ग्राहकों को परेशानी का सामना करना पड़ता था फिर सिविल कोर्ट में मुकदमा लगाने के लिए कोर्ट फीस भी अदा करनी होती थी, इस तरह ग्राहकों पर दोगनी मार पड़ती थी, एक तरफ वह ठगे जाते थे और दूसरी तरफ उन्हें रुपए खर्च करके अदालत में न्याय मांगने के लिए मुकदमा लगाना पड़ता था।

इन सभी बातों को ध्यान में रखकर ही भारत में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 1986 बनाया गया है, जिसे इंग्लिश में कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट 1986 कहा जाता है। अभी हाल ही में इस एक्ट में 2019 में काफी सारे संशोधन किए गए हैं जिसने इस कानून को ग्राहकों के हित में और ज्यादा सरल कर दिया है।

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