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CM मोहन सरकार ने 50 दिन में फिर लिया कर्ज। मुफ्त राशन , विजली, किसानों का कर्ज माफी, जैसी अनेक योजनाएं व्यक्ति को नाकारा बना रही है

CM मोहन सरकार ने 50 दिन में फिर लिया कर्ज। मुफ्त राशन , विजली, किसानों का कर्ज माफी, जैसी अनेक योजनाएं व्यक्ति को नाकारा बना रही है

हमारे अपने प्रदेश मध्य प्रदेश में डॉक्टर मोहन यादव सरकार द्वारा 26 विभागों के तीन महीने का बजट तय करने के बाद एक बार फिर कर्ज लिया है। इन 50 दिनों में सरकार ने दो बार लोन ले चुकी है। प्रदेश सरकार ने अब आरबीआई से 2,500 करोड़ का लोन लिया है। मध्य प्रदेश पर अब तक 3 लाख 33 हजार करोड़ से अधिक का कर्ज हो चुका है।
प्रदेश में बजट के पहले 26 विभागों को खर्च के लिए राशि आवंटित की गई है। प्रदेश के 26 विभागों को खर्च के लिए 8 हजार 623 करोड़ रुपये मिले हैं। सरकार ने यह राशि तीन महीने के लिए विभागों को दी है। वित्त विभाग ने 26 विभागों को विशेष व्यय सीमा राशि जनवरी-फरवरी और मार्च के लिए आवंटित की है। वहीं प्रदेश में हो रहे निर्माण कार्यों के चलते प्रदेश सरकार ने अब तक लोक निर्माण विभाग, जलसंसाधन और लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को 4 हजार करोड़ रुपये से अधिक दिए हैं। इसमें पीडब्ल्यूडी विभाग को विभिन्न निर्माण कार्यों के भुगतान के लिए 2 हजार 55 करोड़ रुपये दिए गए हैं। जल संसाधन विभाग को एक हजार 255 करोड़ और नर्मदा घाटी विकास को 807 करोड़ रुपये मिले हैं।
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग को जल जीवन मिशन के कार्यों के लिए 991 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं। इस तरह स्वास्थ्य विभाग को 309 करोड़ और स्कूल शिक्षा विभाग की 300 करोड़ रुपये व्यय सीमा है। 26 विभागों के तीन महीने का बजट तय करने के बाद आर्थिक स्थिति बिगड़ गई, जिसके बाद प्रदेश सरकार ने एक बार फिर कर्ज लेने का फैसला कर लिया। इससे पहले मुख्य मंत्री मोहन यादव की सरकार का गठन होने के बाद आर्थिक गतिविधियों और विकास कार्यों का हवाला देकर सरकार ने 2 हजार करोड़ रुपये का लोन लिया था। यह लोन 16 साल के टेन्योर पर लिया गया था। यह रकम सरकार के खाते में 27 दिसंबर को क्रेडिट हुई थी।
यहां पर यह कहना गलत नहीं होगा कि सरकारें चाहे वह केंद्र की हो, अथवा राज्यों की हों, वह जन हितेषी योजनाओं के नाम पर मुफ्त बांटने की जो एक प्रणाली विकसित कर रही है, उसके कारण अर्थव्यवस्था चाहे वह केंद्र की हो, अथवा राज्यों की हो, बिल्कुल बिगड़ती जा रही है । यहां पर यह सोचने का अब समय निश्चित रूप से आ गया है कि जो भी योजनाएं मुफ्त बांटने की हो, किसी को भी बगैर किसी काम के सरकारी कोषालय से किसी भी प्रकार का धन दिया जाना कहीं से भी उचित प्रतीत नहीं होता है। ऐसी स्थिति में अब यह आवश्यक हो गया है कि सरकार इस पर पुनर्विचार करे, कि गरीबों को पेट भर अनाज देने के नाम पर मुफ्त अनाज बांटा जाए और वोट की राजनीति के नाम पर महिलाओं को मुफ्त पैसा बांटा जाए। यह योजनाएं जितनी जल्दी हो, बंद करनी चाहिए। देश की अर्थव्यवस्था को देखते हुए और प्रदेशों की आर्थिक स्थिति को देखते हुए, यह सर्वथा उचित है ।
पता नहीं सरकार की कब तक इस प्रकार की योजना चालू करने की नीयत है। ऐसा प्रतीत होता है कि सरकार जो कि मध्य प्रदेश में तो बन चुकी है, अन्य प्रदेशों में भी बन चुकी है, लेकिन केंद्र की सरकार बनने के लिए लोकसभा के चुनाव अभी होना है। ऐसी स्थिति में यह मुफ्त बांटने की योजनाएं चालू रहेगी, इसमें कोई दो मत नहीं है । परंतु किसी भी हालत में यदि देश के मतदाताओं पर महंगाई और बेरोजगारी की समस्याओं का समाधान करे बिना यह मुफ्त की योजनाएं सरकार चला रही है, यह कहीं से भी उचित नहीं है ।
होना यह चाहिए कि लोगों को काम करने का अवसर मिले और उन्हें आत्म सम्मान के साथ आजीविका कमाने के लिए प्रोत्साहन मिले, ताकि यह जो मुफ्त बांटने की योजनाएं चल रही है, जिन्हें हम रेवड़ी योजना कह सकते हैं, उनको बंद किया जाए और देश को एक स्वस्थ आर्थिक लोकतंत्र की दृष्टि से विकसित किया जाए । इसमें प्रदेश की सरकारें भी शामिल है।

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