Sciatica*कमर से संबंधित नसों में से अगर किसी एक में भी सूजन आ जाए तो पूरे पैर में असहनीय दर्द होने लगता है, जिसे गृध्रसी या सायटिका (Sciatica) कहा जाता है।*
*यह तंत्रिकाशूल (Neuralgia) का एक प्रकार है, जो बड़ी गृघ्रसी तंत्रिका (sciatic nerve) में सर्दी लगने से या अधिक चलने से अथवा मलावरोध और गर्भ, अर्बुद (Tumour) तथा मेरुदंड (spine) की विकृतियाँ, इनमें से किसी का दबाव तंत्रिका या तंत्रिकामूलों पर पड़ने से, व ब्लड सेर्कुलेसन फ्लो में 10 से 15% की कमतर्ता जिससे सेलुलर लेवल पर ऑक्सीजन की कमी से उत्पन्न होता है।*
*कभी-कभी यह तंत्रिकाशोथ (Neuritis) से भी होता है।*
*पीड़ा, नितंबसंधि (Hip joint) के पीछे प्रारंभ होकर, धीरे धीरे तीव्र होती हुई, तंत्रिकामार्ग से अँगूठे तक फैलती है।*
*घुटने और टखने के पीछे पीड़ा अधिक रहती है।*
*पीड़ा के अतिरिक्त पैर में शून्यता (numbness) भी होती है। तीव्र रोग में असह्य पीड़ा से रोगी बिस्तरे पर पड़ा रहता है।*
*पुराने (chronic) रोग में पैर में क्षीणता और सिकुड़न उत्पन्न होती है।*
*रोग प्राय एक ओर तथा दुश्चिकित्स्य होता है..*
*बड़ी उम्र में हड्डियों तथा हड्डियों को जोड़ने वाली चिकनी सतह के घिस जाने के कारण ही व्यक्ति इस समस्या का शिकार बनता है।*
*‘सायटिका’*
*आमतौर पर यह समस्या 50 वर्ष की उम्र के बाद ही देखी जाती है।*
*व्यक्ति के शरीर में जहां जहां भी हड्डियों का जोड़ होता है, वहां एक चिकनी सतह होती है जो हड्डियों को जोड़े रखती है।*
*जब यह चिकनी सतह घिसने लगती है तब हड्डियों पर इसका बुरा असर होता है जो असहनीय दर्द का कारण बनता है।*
*सायटिका की समस्या मुख्य रूप से रीढ़ की हड्डी व कमर की नसों से जुड़ी हुई है जिसका सीधा संबंध पैर से होता है। इसीलिए सायटिका में पैरों में तीव्र दर्द उठने लगता है।*
*कारण*
*नसों पर दबाव का मुख्य कारण प्रौढ़ावस्था में हड्डियों तथा चिकनी सतह का घिस जाना होता है। मुख्य रूप से इस परेशानी का सीधा संबंध उम्र के साथ जुड़ा है।*
*अधिक मेहनत करने वाले या भारी वजन उठाने वाले व्यक्तियों में यह परेशानी अधिकतर देखी जाती है क्योंकि ऐसा करने से चिकनी सतह में स्थित पदार्थ पीछे की तरफ खिसकता है।*
*ऐसा बार-बार होने से अंतत: उस हिस्से में सूखापन आ जाता है और वह हिस्सा घिस जाता है।*
*क्या होता है?*
*सायटिका में पैरों में झनझनाहट होती है तथा खाल चढ़ने लगती है।*
*पैर के अंगूठे व अंगुलियां सुन्न हो जाती हैं।*
*कभी कभी कुछ पलों के लिए पैर बिल्कुल निर्जीव से लगने लगते हैं।*
*इस समस्या के लगातार बढ़ते रहने पर यह आंतरिक नसों पर भी बुरा असर डालना प्रारंभ कर देती है।*
*निदान*
*इस प्रकार के रोग का निदान एक्स-रे से संभव नहीं।* *इसलिए एमआरआई कराना आवश्यक होता है। उपचार की बात करें तो सही उपचार पद्धति से लगभग 85-90 प्रतिशत लोगों को सायटिका से निजात मिल जाती है।*
*फिर भी इसमें पूरी तरह ठीक होते होते 4 से 6 हफ्तों का समय लग ही जाता है।*
*बड़े पैमाने पर 4-5 दिनों के पूर्ण शारीरिक आराम और दवाओं व इंजेक्शन की मदद से दर्द नियंत्रण में लाया जा सकता है। अगर बहुत ज्यादा दर्द हो रहा हो तो ‘स्टेराइड’ का उपयोग भी करना पड़ता है और कभी-कभी कमर के अंदर तक इंजेक्शन द्वारा दवाओं को पहुंचाना पड़ता है।*
*इसके अलावा कसरत और फिजियोथैरेपी से भी बहुत आराम मिलता है।*
*इस तरह की तमाम प्रक्रियाओं के बाद भी अगर दर्द की समस्या लगातार बनी रहे तो फिर व्यक्ति के पास एकमात्र विकल्प ही शेष रह जाता है और* *वह है- मैग्नेटिक थेरेपी।*
*जी हाँ मैग्नेटिक गद्दे द्वारा और उसका इस्तमाल करके आप अपने ब्लड सेर्कुलेसन को इंप्रूब कर,ऑक्सीजन लेवल बढ़ा सकते हैं, जिससे नेचुरल तरीके से 3 से 4 महीने में इस तकलीफ से 100% फायदा होता है।*
*बचाव*
*इस बात से कतई इंकार नहीं किया जा सकता कि प्रकृति के नियम को कभी बदला नहीं जा सकता।*
*अर्थात बढ़ती उम्र पर किसी भी व्यक्ति का बस नहीं है।*
*अत: उम्र से जुड़ी ‘सायटिका’ जैसी समस्या को भी रोक पाना किसी के लिए भी संभव नहीं है। हां, लेकिन इसके लिए सुरक्षात्मक उपाय जरूर अपनाएं जा सकते हैं, जिससे कि समस्या विकराल रूप न धारण कर सके और हो सकता है कि ये समस्या आये ही न।*
*लंबे समय तक एक ही जगह पर बैठे रहने से बचें। हर आधे-एक घंटे में कुछ देर के लिए खड़े रहने की कोशिश करें
*उपचार और बचाव*
*(1). आलू का रस*
*आलू का रस 300 ग्राम नित्य 2 माह तक पीने से साईटिका रोग नियंत्रित होता है। इस उपचार का प्रभाव बढाने के लिये आलू के रस मे गाजर का रस भी मिश्रित करना चाहिये।*
*(2). लहसुन की खीर*
*लहसुन की खीर इस रोग के निवारण में महत्वपूर्ण है। 100 ग्राम दूध में 4-5 लहसुन की कली चाकू से बारीक काटकर डालें।*
*इसे उबालकर ठंडी करके पीलें।*
*यह विधान 2-3 माह तक जारी रखने से साईटिका रोग को उखाड फ़ैंकने में भरपूर मदद मिलती है।*
*लहसुन में एन्टी ओक्सीडेन्ट तत्व होते हैं जो शरीर को स्वस्थ रखने हेतु मददगार होते है । हरे पत्तेदार सब्जियों का भरपूर उपयोग करना चाहिये। कच्चे लहसुन का उपयोग साईटिका रोग में अत्यंत गुणकारी है।*
*सुबह शाम 2-3 लहसुन की कली पानी के साथ निगलने से भी फायदा होता है।*
*हरी मटर, पालक, कलौंजी, केला, सूखे मेवे ज्यादा इस्तेमाल करें।*
*(3). नींबू*
*साईटिका रोग को ठीक करने में नींबू का अपना महत्व है।*
*रोजाना नींबू के रस में दो चम्मच शहद मिलाकर पीने से आशातीत लाभ होता है।*
*(4). सरसों के तेल में लहसुन*
*सरसों के तेल में लहसुन पकालें।*
*दर्द की जगह इस तेल की मालिश करने से तुरंत आराम लग जाता है।*
*(5). हरसिंगार (पारिजात)*
*हरसिंगार (पारिजात) के ढाई सौ ग्राम पत्ते साफ करके एक लीटर पानी में उबालें।*
*जब पानी लगभग 700ml बचे तब उतारकर ठण्डा करके छान लें, पत्ते फेंक दें और 1-2 रत्ती केसर घोंटकर इस पानी में घोल दें।*
*इस पानी को दो बड़ी बोतलों में भरकर रोज सुबह-शाम एक कप मात्रा में इसे पिएँ।*
*ऐसी चार बोतलें पीने तक सायटिका रोग जड़ से चला जाता है। किसी किसी को जल्दी फायदा होता है फिर भी पूरी तरह चार बोतल पी लेना अच्छा होता है।*
*इस प्रयोग में एक बात का खयाल रखें कि वसन्त ऋतु में ये पत्ते गुणहीन रहते हैं अतः यह प्रयोग वसन्त ऋतु में लाभ नहीं करता।*
श
*प्रतिदिन सामान्य व्यायाम करेँ।*
*वजन नियंत्रण मेँ रखेँ।*
*पौष्टिक आहार लें।*
*रीढ़ की हड्डी को चलने फिरने और उठते बैठते समय सीधा रखेँ।*
*भारी वजन ना उठाये।*
*कुछ देसी उपाय*
*उपाय नम्बर 1..*
*200 ग्राम लहसुन +एक लीटर देसी गाय का दूध + 8 लीटर पानी मिक्स करके पका लीजिए..*
*ज़ब केवल दूध दूध बचा रहे तब इसे पी लीजिए…*
*रोज 15 दिन कीजिये.*
*उपाय नम्बर 2*
*लहसुन की कली 1 किलो छीलकर + 1 किलो गाय का दूध दोनों को एक साथ पका लीजिये..*
*ज़ब दूध का मावा बन जायेगा तब 1 किलो मिश्री या खांड मिला कर इसका हलवा बना लीजिए…*
*मात्रा..*
*इस हलवे की 25 ग्राम मात्रा रोज खाये..*
*कुछ ही दिनों मे जोड़ो के कही भी दर्द बिलकुल ठीक हो जायेगे… उपचार है करके देखें
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