CJI चंद्रचूड़ ने मंदिरों की ध्वजा को देश को एक सूत्र में जोड़ने का प्रतीक बताया,
दिल्ली से वेदप्रकाश रस्तोगी के साथ भोपाल से वैंकटेश शारदा द्वारा संपादित रपट अयोध्या के निर्माणाधीन राम मंदिर का पहला चरण पूरा होने को है। 22 जनवरी को प्राण प्रतिष्ठा कार्यक्रम है। इस बीच देश में ‘धर्म’ चर्चा का विषय बना हुआ है। क्या नेता, क्या अभिनेता, सब धर्म की बात कर रहे हैं। टीवी, अखबार, सोशल मीडिया, आदि पर भी भारत की बहुसंख्यक आबादी का धर्म यानी ‘हिंदू धर्म’ छाया हुआ है
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ गुजरात यात्रा के दौरान मंदिरों की यात्रा पर गए थे तो इस पर भी बहस छिड़ गई। CJI चंद्रचूड़ ने गुजरात यात्रा के दौरान द्वारका और सोमनाथ मंदिर में अपनी पत्नी के साथ दर्शन किया था। इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने जस्टिस चंद्रचूड़ की यात्रा की आलोचना की है।
डीवाई चंद्रचूड़ की द्वारका और सोमनाथ यात्रा
6 और 7 जनवरी को सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ गुजरात की दो दिवसीय यात्रा पर गए थे। उन्हें राजकोट में जामनगर रोड पर 110 करोड़ रुपये की लागत से बने नए न्यायालय भवन का उद्घाटन करना था। इसी यात्रा के दौरान जस्टिस चंद्रचूड़ परिवार समेत द्वारकाधीश मंदिर और सोमनाथ मंदिर भी गए।
अपनी यात्रा पर बात करते हुए सार्वजनिक कार्यक्रम में जस्टिस चंद्रचूड़ ने बताया कि न्यायपालिका के सामने आने वाली चुनौतियों को समझने और उनके समाधान की पहचान के लिए महात्मा गांधी के जीवन और आदर्शों से प्रेरणा लेकर उन्होंने विभिन्न राज्यों का दौरा करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि उनकी दो दिवसीय गुजरात यात्रा उसी प्रयास का हिस्सा थी।
जस्टिस चंद्रचूड़ ने कहा, “मैंने पिछले एक साल में विभिन्न राज्यों का दौरा करने की कोशिश की ताकि मैं उच्च न्यायालयों के न्यायाधीशों और जिला न्यायपालिका के अधिकारियों से मिल सकूं, उनकी समस्याओं को सुन सकूं और इस तरह, हम न्यायपालिका के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान ढूंढ सकें।”
जस्टिस चंद्रचूड़ ने मंदिरों पर लगे ध्वजों से प्रेरणा मिलने की भी बात कही। द्वारका और सोमनाथ मंदिर के ऊपर लगे ध्वजा का जिक्र करते हुए सीजेआई ने कहा, “मैं आज सुबह द्वारकाधीश जी के ऊपर लहरा रही ध्वजा से प्रेरित हुआ। उसी तरह की ध्वजा मैंने जगन्नाथ पुरी में देखी थी। हमारे देश की परंपरा की इस सार्वभौमिकता को देखिए, जो हम सभी को एक साथ बांधती है। इस ध्वजा का हमारे लिए विशेष अर्थ है। वह अर्थ कि वकीलों के रूप में, न्यायाधीशों के रूप में, नागरिकों के रूप में हम सभी के ऊपर कोई एकजुट करने वाली शक्ति है। वह एकीकृत शक्ति हमारी मानवता है, जो कानून के शासन और भारत के संविधान द्वारा शासित होती है।”