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Frad गोंडा: विद्युतीकरण योजना में फर्जीवाड़ा, लखनऊ के सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता समेत तीन पर दर्ज हुई एफआईआर

Frad गोंडा: विद्युतीकरण योजना में फर्जीवाड़ा, लखनऊ के सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता समेत तीन पर दर्ज हुई एफआईआर

लखनऊ से प्रेमशंकर अवस्थी के साथ भोपाल से वैंकटेश शारदा द्वारा संपादित रपट

राजीव गांधी ग्रामीण विद्युतीकरण की 11वीं योजना के अन्तर्गत जिले में 696 मजरों के विद्युतीकरण का जिम्मा मैसर्स ओमवीर सिंह नाम की फर्म को मिला था। काम कराने के बाद संस्था ने संबंधित गांवों के ग्राम प्रधान से कार्य पूर्ति प्रमाण पत्र लिखाकर विभाग में जमा कर दिया और भुगतान ले लिया। लेकिन जब संस्था की तरफ से विद्युतीकरण कराए गए मजरों का स्थलीय सत्यापन किया गया 36 गांवों का प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया।
विद्युतीकरण से वंचित रह गए‌।‌ यूपी सिडको की तरफ से कराये गये टेण्डर में सम्बन्धित फर्म मेसर्स ओमवीर सिंह द्वारा संलग्न किये गये प्रपत्रों में से न्यू ओखला औद्योगिक विकास प्राधिकरण, नोएडा, गौतमबुद्धनगर द्वारा जारी अनुभव प्रमाण पत्र भी फर्जी मिला। जांच पड़ताल में यह भी तथ्य‌ सामने आया कि कार्यदायी संस्था के स्वामी ओमवीर सिंह ने अपने नाम से एक मर्सिडीज कार खरीदी और उसे मध्यांचल विद्युत वितरण निगम लिमिटेड लखनऊ के सेवानिवृत्ति मुख्य अभियंता एसपी करगेती के बेटे प्रतीक करगेती के नाम से बिक्री तर दी।
ओमवीर सिंह और सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता एसपी करगेती के बीच कार्य की निष्ठा को लेकर संदेह की स्थिति पायी गयी। जांच रिपोर्ट के आधार पर समाज कल्याण उप निदेशक देवीपाटन मंडल केएल गुप्ता ने ओमवीर सिंह, सेवानिवृत्त मुख्य अभियंता एसपी करगेती व उनके बेटे प्रतीक करगेती के खिलाफ नगर कोतवाली में जालसाजी की धाराओं में रिपोर्ट दर्ज करायी है। नगर कोतवाल राजेश सिंह ने बताया कि रिपोर्ट दर्ज कर मामले की जांच शुरू कर दी गयी है।

समाज कल्याण मंत्री को मिली शिकायत की जांच में हुआ खुलासा
इस मामले की शिकायत गाजियाबाद जिले के स्वर्णजयन्तीपुरम की रहने वाली मेघना चौधरी ने समाज कल्याण विभाग के मंत्री से की थी और कराए गए कार्यों की जांच की मांग की थी। शिकायत का संज्ञान लेते हुए मंत्री ने जिलाधिकारी को पत्र लिखकर विद्युतीकरण कराए गए मजरों का स्थलीय सत्यापन कराए जाने का निर्देश दिया था‌।
डीएम ने मुख्य विकास अधिकारी को मामले की जांच कराए जाने का निर्देश दिया था। सीडीओ ने समाज कल्याण विभाग के अफसरों की तीन सदस्यीय टीम गठित की थी और जांच आख्या तलब की थी। टीम में शामिल सहायक विकास अधिकारी, ग्राम विकास अधिकारी एवं सुपरवाइजर ने रैण्डम आधार पर कुल 100 मजरों का सत्यापन किया जिसमें से 36 मजरों के प्रमाण पत्र फर्जी पाये गये।

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