वध*ED ई डी के समन की अनदेखी पर गिरफ्तार हो सकते हैं मुख्यमंत्री सोरेन और अरविंद केजरीवाल समन की अनदेखी पर पी एम एल ए की धारा 19 पर गिरफ्तारी*
दिल्ली से वेदप्रकाश रस्तोगी के साथ भोपाल से राधावल्लभ शारदा के द्वारा संपादित रपट भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों पर कार्रवाई कर रही ईडी के समन की दो राज्यों के मुख्यमंत्री और एक राज्य के उपमुख्यमंत्री लगातार अनदेखी कर रहे हैं। ईडी के पास समन की बार-बार अनदेखी करने पर पी एम एल ए की धारा 19 के तहत लगातार तीन बार समन भेजने पर उपस्थित न होने पर गिरफ्तार कर सकती है।ईडी के पास कार्रवाई के अधिकार हैं लेकिन उसकी सीमाएं भी हैं। इस कारण हेमंत सोरेन अरविंद केजरीवाल और तेजस्वी के मामले में उसके हाथ बंधे हुए हैं
अरविंद केजरीवाल को शराब घोटाला मामले में ईडी ने तीन बार समन भेजा
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी पूछताछ के लिए ईडी के समक्ष उपस्थित नहीं हुए
देशभर में भ्रष्टाचार और मनी लॉन्ड्रिंग के मामलों पर कार्रवाई कर रही ईडी के समन की दो राज्यों के मुख्यमंत्री और एक राज्य के उपमुख्यमंत्री लगातार अनदेखी कर रहे हैं। ईडी के पास समन की बार-बार अनदेखी करने पर कार्रवाई के अधिकार हैं, लेकिन उसकी सीमाएं भी हैं।
इस कारण हेमंत सोरेन, केजरीवाल और तेजस्वी के मामले में उसके हाथ बंधे हुए हैं। बताया जा रहा है कि इन मामलों में ईडी कानूनविदों की राय ले रही है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ईडी के छह समन के बाद भी जवाब देने के लिए पूछताछ के लिए उपस्थित नहीं हुए हैं। रांची में जमीन घोटाला मामले में पूछताछ के लिए ईडी ने उन्हें पूरे परिवार की संपत्ति के विवरण के साथ आने को कहा हैं
सीएम सोरेन के अलावा दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी शराब घोटाला मामले में ईडी की ओर से तीन बार समन भेजे जाने के बाद भी पूछताछ के लिए नहीं पहुंचे हैं। ऐसे ही बिहार के उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव को भी लैंड फार जाब घोटाले में ईडी ने दूसरी बार समन भेजकर पांच जनवरी को पूछताछ के लिए बुलाया है।
यह है कार्रवाई का प्रावधान
पीएमएलए की धारा -19 के तहत ईडी को यह अधिकार है कि लगातार तीन बार समन के बाद भी अगर कोई आरोपित पूछताछ के लिए उपस्थित नहीं होता है तो ईडी उसे गिरफ्तार कर सकती है, लेकिन उसके पास गिरफ्तारी वारंट के लिए पुख्ता आधार होने चाहिए।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने भी एक मामले की सुनवाई के दौरान ईडी को कहा था कि अगर कोई ईडी के समन के बावजूद पूछताछ में उसे सहयोग नहीं कर रहा है तो केवल यह उसकी गिरफ्तारी का आधार नहीं हो सकता है। गिरफ्तारी तभी हो सकती है जब अधिकारी को यह विश्वास हो कि आरोपित अपराध में संलिप्त है। अक्टूबर में सुप्रीम कोर्ट ने मनी लॉन्ड्रिंग एक्ट के तहत गिरफ्तार किए गए एक रियल इस्टेट के दो निदेशकों की गिरफ्तारी को अवैध करार देते हुए यह टिप्पणी की थी।