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Security of high profile person अति विशिष्ट लोगों की सुरक्षा में चूक के कई उदाहरण हैं संसद में भी एक घटना हमारे सामने है।

Security of high profile person अति विशिष्ट लोगों की सुरक्षा में चूक के कई उदाहरण हैं संसद में भी एक घटना हमारे सामने है। दिल्ली से वेदप्रकाश रस्तोगी के साथ भोपाल से राधावल्लभ शारदा के द्वारा संपादित रपट
विशेष टिप्पणी – खास नेताओं की सुरक्षा में चूक के कई उदाहरण हैं , भारत के प्रधानमंत्री स्व लालबहादुर शास्त्री का निधन , स्व श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या, स्व राजीव गांधी की हत्या , प्रधानमंत्री मंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की पंजाब यात्रा में किसानों के द्वारा सड़क जाम करना यह सब घटनाएं क्या सुरक्षा में चूक नहीं है इतना ही नहीं संसद पर हमला भी इसी श्रेणी में आता है। तब सांसदों ने मामलों को संसद में उठाया था परन्तु मुझे जानकारी है कि किसी भी सांसद को संसद से निष्काशित नहीं किया गया, विपक्षी दलों ने एक रणनीति के तहत संसद की सुरक्षा को लेकर सोर सराबा नहीं किया जानकार सूत्रों का कहना है कि विपक्षी दल पहले चरण में निष्काशित होना फिर सामुहिक रूप से संसद से त्यागपत्र देकर देश को समय से पूर्व चुनाव की तरफ ले जाने का प्लान बनाया था परन्तु इसकी कलई खुल गई और सत्ता पक्ष को जो विधेयक पारित करने थे कर संसद को आगामी तिथि तक स्थगित कर दिया। विपक्षी दलों के सोची समझी रणनीति फैल हो गई । जानकारी के अनुसार संसद की सुरक्षा में चूक मामले के सभी आरोपियों को दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने साइको एने लिसिस टेस्ट करवाया है। पुलिस सभी आरोपियों के नए सिम एक्टिव करवा रही है। इसके बाद क्लाउड के जरिये मोबाइल फोन सिम में दफन साजिश के राज से जल्द पर्दा उठेगा।
पुलिस की पूछताछ में ललित झा ने बड़ा खुलासा करते हुए कहा कि घटना का असल मास्टरमाइंड मनोरंजन है। ललित ने खुलासा किया उसे अंदाजा नहीं था की इस घटना पर सभी आरोपियों पर आतंकवादी गतिविधियां लगेगा। हमें लग रहा था हम जल्द जमानत पर बाहर आकर पब्लिक फिगर बन जाएंगे। सोसायटी में एक मैसेज देगे जमानत पर बाहर आकर और फिर बड़ी फंडिग के जरिए अपने प्रोपोगंडा को आगे ले जाएंगे।
पूछताछ में पता चला है कि संगठन में रिक्रूटमेंट का जिम्मा सागर शर्मा को दिया था। युवाओं के ब्रेन वॉश का जिम्मा सागर शर्मा के पास ही था।
संसद पर 2001 में हुए आतंकवादी हमले की बरसी के दिन इस महीने 13 दिसंबर को सुरक्षा में चूक की बड़ी घटना उस वक्त सामने आई थी जब लोकसभा की कार्यवाही के दौरान दर्शक दीर्घा से सागर शर्मा और मनोरंजन डी सदन के भीतर कूद गए थे और उन्होंने नारेबाजी करते हुए ‘केन’ के जरिये पीले रंग का धुआं फैला दिया था। घटना के तत्काल बाद दोनों को पकड़ लिया गया था। लगभग इसी समय पीले और लाल रंग का धुआं छोड़ने वाली ‘केन’ लेकर संसद भवन के बाहर प्रदर्शन करने वाले दो अन्य लोगों अमोल शिंदे और नीलम देवी को गिरफ्तार कर लिया गया था।
आरोपियों ने लगाया था नारा
गिरफ्तार किए आरोपियों ने ‘तानाशाही नहीं चलेगी’ और कुछ अन्य नारे लगाये थे। पुलिस ने इन चारों आरोपियों के अलावा मामले में ललित झा और महेश कुमावत को भी गिरफ्तार कर लिया है। सभी छह आरोपियों से पुलिस हिरासत में पूछताछ की जा रही है। आज के एक समाचार पत्र में एक फोटो अल्बानिया के संसद का प्रकाशित हुआ है उसमें भी सांसदों ने फांग बम छोड़ा है। प्रश्न चिन्ह लगता है भारत के निर्वाचित सांसदों का मेरी नज़र में ये जनता के नौकर है क्योंकि सरकारी खजाने से इन्हें वेतन भत्ते सहित अन्य सुविधाएं मिलती है जिस तरह सरकारी कर्मचारियों को। दुर्भाग्य है इस देश का कि अपने आप को जन प्रतिनिधि कहने बाले जनता की समस्याओं को संसद में उठाने के स्थान पर संसद को सुचारू रूप से चलने नहीं देते।ये कितने पढ़ें लिखे हैं इसका भी उदाहरण महुआ मोहित्रा है। अब आम जनता को सोचना होगा कि आगामी लोकसभा चुनाव में कैसे उम्मीदवार को लोकसभा में भेजना है।

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