High court दूसरे पक्षकार को सुनें विना एकतरफा पारित नहीं जा सकता गुजारा भत्ता का आदेश: इलाहाबाद हाई कोर्ट
लखनऊ से निर्मल यादव की रपट भोपाल से वैंकटेश शारदा के द्वारा संपादित इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि सीआरपीसी की धारा 125 के तहत गुजारा भत्ते के लिए परिवार न्यायालय दूसरे पक्षकार को सुने बिना एकतरफा आदेश पारित नहीं कर सकता । इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने याची के खिलाफ जारी बकाया गुजारा भत्ता वसूली वारंट रद कर दिया है। *यह आदेश न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा ने ललित सिंह की पुनर्विचार याचिका निस्तारित करते हुए दिया है।*
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि सीआरपीसी की धारा 125 के तहत गुजारा भत्ते के लिए परिवार न्यायालय दूसरे पक्षकार को सुने बिना एकतरफा आदेश पारित नहीं कर सकता । इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने याची के खिलाफ जारी बकाया गुजारा भत्ता वसूली वारंट रद कर दिया है। साथ ही प्रधान न्यायाधीश परिवार न्यायालय आगरा को निर्देश दिया है कि वह फिर सुनवाई कर छह महीने में गुजारे भत्ते की अर्जी को नए सिरे से निस्तारित करें।
यह आदेश न्यायमूर्ति राम मनोहर नारायण मिश्रा ने ललित सिंह की पुनर्विचार याचिका निस्तारित करते हुए दिया है। साथ ही कोर्ट ने याची को अपनी पत्नी और नाबालिग बेटे के गुजारे के लिए पांच हजार रुपये प्रतिमाह और एक लाख रुपये बकाये की राशि का भुगतान करने का आदेश दिया।
याची की पत्नी ने परिवार न्यायालय आगरा के समक्ष धारा 125 दंड प्रक्रिया संहिता के तहत अर्जी दाखिल की। कोर्ट ने पत्नी को छह हजार रुपये और नाबालिग बेटे को तीन हजार रुपये प्रतिमाह देने का एकपक्षीय आदेश पारित किया। इसके साथ ही 2.52 लाख रुपये बकाया राशि के भुगतान का आदेश दिया।
याची ने जब राशि नहीं दी तो पत्नी ने आदेश का अनुपालन कराने के लिए अर्जी दाखिल की, जिस पर परिवार न्यायालय ने वसूली वारंट जारी कर दिया। याची ने इसके खिलाफ हाई कोर्ट में पुनर्विचार याचिका दाखिल की। याची अधिवक्ता की ओर से दलील दी गई कि परिवार न्यायालय ने एकतरफा आदेश पारित किया है। उसे वारंट जारी होने के बाद इसकी जानकारी हो सकी । और समाचार पढ़ने के लिए mahadand news.com पर