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Meat Shops *मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने यह नहीं कहा कि मांस पर प्रतिबंध परन्तु खुले में मांस की दुकानों पर सख्त, अधिकारियों को समझना होगा*

Meat Shops
*मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने यह नहीं कहा कि मांस पर प्रतिबंध परन्तु खुले में मांस की दुकानों पर सख्त, अधिकारियों को समझना होगा*
*भोपाल से राधावल्लभ शारदा की रपट टिप्पणी के साथ, मुख्यमंत्री मोहन यादव ने कही नहीं कहा कि मांस नहीं विकेगा उनका कहना है कि खुले स्थान पर या खुला हुआ मांस पर प्रतिबंध लगाया है। बात को समझना होगा और फिर उस पर टिप्पणी करना होगा।मुझे लगता है कि प्रशासनिक अधिकारियों ने भी बात नहीं समझी है। जांच का विषय है कि बुल्डोजर किन परिस्थितियों में चला*

मध्यप्रदेश के में नए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने जब से शपथ ली है, तभी से वह ताबड़तोड़ फैसलों की वजह से चर्चा में हैं। पहली कैबिनेट मीटिंग के बाद ही उन्होंने फरमान जारी कर दिया कि अब धार्मिक स्थलों पर ढ़ेर सारे लाउडस्पीकर और डीजे की तेज आवाज बर्दाश्त नहीं की जाएगी। इसके अलावा मांस बेचने वाली दुकानें अब बदले हुए नियमों के अधीन होंगी मतलब साफ है कि अवैध दुकानें और खुला मांस पर प्रतिबंध लगाया है । मुझे लगता है कि प्रशासनिक अधिकारियों ने भी बात नहीं समझी है। जांच का विषय है कि बुल्डोजर किन परिस्थितियों में चला।* इसको लेकर प्रशासन हरकत में आया और प्रदेश के कई स्थानों पर मांस-मीट की दुकानों पर बुलडोजर चला।
नए सीएम के आदेश पर ताबड़तोड़ कार्रवाई, महाकाल मंदिर के पास मीट की दुकानों पर ‘योगी स्टाइल’ में चलवा दिया बुलडोजर
दूसरी तरफ राजस्थान विधानसभा चुनाव में भाजपा की जीत के कुछ घंटे बाद विधायक बालमुकुंद हरि का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वह मांस की दुकान बंद कराते दिखे और दुकानदारों को धमकी भी दी। जयपुर में उनके हवा महल निर्वाचन क्षेत्र में मांस का मामला सोशल मीडिया पर
ये दो घटनाक्रम नए नहीं हैं। बीजेपी शासित राज्यों में पिछले कुछ वर्षों में ऐसे फैसले लिए गए हैं। यह फैसले शाकाहार को भोजन के शुद्ध रूप में चुनने और मांस व्यापार में लगे एक विशेष समुदाय को अलग करने जैसे लगते हैं। तमाम सरकारें हिंदू धार्मिक त्योहारों जैसे कि नवरात्रि और धार्मिक स्थलों के आसपास मांस की बिक्री पर प्रतिबंध से लेकर सरकार के मध्याह्न भोजन से अंडे हटाने तक के फैसले लेती हैं।
एमपी के नए सीएम संघ की विचारधारा से आते हैं। हालांकि संघ की सोच भोजन के मामले में अलग है। संघ का मानना है कि हिंदू धर्म में सात्विक और तामसिक दोनों तरह के भोजन शामिल हैं। भाजपा और न ही उसके वैचारिक स्रोत आरएसएस को ऐतिहासिक रूप से मांसाहार से कोई समस्या रही है। अतीत की बात करें तो दोनों ही संगठन गोमांस के लिए अपना विरोध दर्ज कराते रहे हैं। गाय के मांस पर संघ और बीजेपी का रुख स्पष्ट है।
ब्रह्मार्पणं ब्रह्महविर्ब्रहमाग्नौ ब्रह्मणा हुतम्। ब्रह्मैव तेन गन्तव्यं ब्रह्मकर्मसमाधिना॥ आरएसएस के कार्यक्रमों में जब भी भोजन किया जाता है तो ये भोजन मंत्र सामूहिक तौर से दोहराया जाता है।
जिन वस्तुओं को हम खुद को खिलाने के लिए उपयोग करते हैं वे ब्रह्मा हैं। भोजन ही ब्रह्मा है। भूख की आग में हम ब्रह्मा महसूस करते हैं। हम ब्रह्मा हैं और भोजन खाने और पचाने की प्रक्रिया ब्रह्मा की क्रिया है। अंत में, प्राप्त परिणाम भी ब्रह्मा है।
*संघ के भोजन मंत्र का अर्थ*
कोई भी सरकारी आदेश भोजन विकल्पों पर प्रतिबंध नहीं लगा सकता है। संघ मांस के सेवन को वर्जित नहीं मानता क्योंकि खाने का विकल्प अन्य कारणों के अलावा भौगोलिक और जलवायु परिस्थितियों पर आधारित होता है।
*जे नंदकुमार, संघ के थिंक टैंक प्रज्ञा प्रवाह के प्रमुख*
इससे समझा जा सकता है कि संघ मांसाहार को वर्जित नहीं मानता है। हालांकि गोमांस को लेकर संघ का रूख स्पष्ट है, इसे किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। बीजेपी शासित राज्यों में हो रही मांस की दुकानों पर कार्रवाई संघ के दृष्टिकोंण से नहीं देखी जा सकती है। यह सरकार की निजी राय है। मध्य प्रदेश में मांस की दुकानों पर हो रही बुलडोजर कार्रवाई को भी संघ की विचारधारा से नहीं जोड़ा जा सकता है।

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