*DIG आंतरिक जांच न कर सिपाही को किया था बर्खास्त, इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कर दिया बहाल*;
लखनऊ से निर्मल यादव के साथ भोपाल से राधावल्लभ शारदा की रपट
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि किसी व्यक्ति की आंतरिक जांच न कर केवल बाह्य जांच यह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं है कि उसने शराब पी थी। व्यक्ति में नशे की पुष्टि के लिए खून और मूत्र की जांच आवश्यक है। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने वाराणसी पुलिस लाइन में तैनात सिपाही की बर्खास्तगी रद कर दी है।
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने कहा है कि किसी व्यक्ति की आंतरिक जांच न कर केवल बाह्य जांच यह साबित करने के लिए पर्याप्त सबूत नहीं है कि उसने शराब पी थी। व्यक्ति में नशे की पुष्टि के लिए खून और मूत्र की जांच आवश्यक है। इस टिप्पणी के साथ कोर्ट ने वाराणसी पुलिस लाइन में तैनात सिपाही की बर्खास्तगी रद कर दी है और उसे सेवाजनित परिलाभों के साथ बहाल कर दिया है।
न्यायमूर्ति सौमित्र दयाल सिंह तथा न्यायमूर्ति अनीस कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने जयमंगल राम की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने कहा, कारण बताओ नोटिस देने से पहले ही राय बनाकर उसकी बर्खास्तगी का प्रस्ताव कर लिया गया और बाद में बर्खास्तगी आदेश जारी किया गया, यह विधि प्रक्रिया के खिलाफ है।
याची के खिलाफ शिकायत थी कि उसने वाराणसी पुलिस लाइन के सामने शराब के नशे में अशोभनीय हरकत और अमर्यादित आचरण किया। जांच के बाद उसे सेवा से बर्खास्त कर दिया गया। याची ने डीआइजी के इस आदेश को चुनौती दी। कोर्ट ने कहा कि डीआइजी द्वारा जारी किए गए कारण बताओ नोटिस में याची के आचरण और नोटिस के आधार पर उसकी बर्खास्तगी की कड़ी सजा प्रस्तावित थी जो स्पष्ट रूप से याची के प्रति पूर्वाग्रह को दर्शाता है।