Supreme Court: ‘बकीलों का काम साइन करना नहीं, क्या मुकदमा दाखिल हो रहा इसकी भी जवाबदेही’; जे
नई दिल्ली से वेदप्रकाश रस्तोगी की रपट भोपाल से राधावल्लभ शारदा के साथ
सुप्रीम कोर्ट ने अदालत में दाखिल हो रहे मुकदमों की जवाबदेबी तय करने को लेकर बड़ी टिप्पणी की है। शीर्ष अदालत ने कहा कि एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड (AoR) का काम केवल साइन करना नहीं है। क्या मुकदमा दाखिल हो रहा है, इसकी जवाबदेही भी उनकी है।
संविधान के अनुच्छेद 145 के तहत सुप्रीम कोर्ट की तरफ से बनाए गए नियमों के अनुसार, केवल एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड (AoR) के रूप में नामित वकील ही शीर्ष अदालत में किसी पक्ष की पैरवी कर सकते हैं। एक मुकदमे की सुनवाई के दौरान शीर्ष अदालत ने कहा कि एडवोकेट ऑन रिकॉर्ड सिर्फ हस्ताक्षर करने वाला प्राधिकारी नहीं हो सकता। अदालत ने साफ किया कि वकीलों (AoR) को शीर्ष अदालत में जो भी दाखिल किया जाता है उसकी जिम्मेदारी लेनी होगी।
जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा, अदालत की प्राथमिक चिंता यह है कि एओआर अपने कर्तव्यों का ठीक तरीके से पालन करे। कोर्ट मुकदमों के दाखिल करने पर किसी वकील के गैर-जिम्मेदाराना तरीके से हस्ताक्षर करने की इस प्रणाली को रोकना चाहता है। संविधान के अनुच्छेद 20 और 22 को ‘अधिकारातीत भाग 3’ घोषित करने की मांग वाली याचिका पर सुनवाई कर रही थी। दलीलों के समय एओआर से संबंधित कुछ मुद्दे शीर्ष अदालत के समक्ष उठे।
शीर्ष अदालत ने बीते 31 अक्तूबर को अपने आदेश में कहा था, कोर्ट इस तथ्य से परेशान है कि इस अदालत के एक मान्यता प्राप्त एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड (AoR) ने ऐसी याचिका पर हस्ताक्षर किए होंगे। कोर्ट ने कहा था कि वकील गौरव अग्रवाल भी हमारी सहायता करेंगे। अदालत ने गौरव से जानना चाहा था कि एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड की ऐसी प्रणाली कैसे विकसित की जा सकती है, जहां ऐसे वकील केवल मुकदमों पर हस्ताक्षर करने / अग्रेषित करने वाले प्राधिकारी बनकर नहीं रह जाएं।
संविधान का अनुच्छेद 20 अपराधों के लिए दोषसिद्धि के संबंध में संरक्षण से संबंधित है। वहीं, अनुच्छेद 22 कुछ मामलों में गिरफ्तारी और हिरासत से संरक्षण से जुड़ा है। याचिका में संविधान के अनुच्छेद 20 और 22 को अनुच्छेद 14 (विधि के समक्ष समानता) और 21 (जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा) सहित कुछ अन्य अनुच्छेदों का उल्लंघन करने वाला घोषित करने की मांग की गई है।
इससे पहले बीते 23 अक्तूबर को इसी मामले में सुप्रीम कोर्ट ने सवाल किया था कि अनुच्छेद 20 और 22 को संविधान का उल्लंघन करने वाला घोषित करने के लिए याचिका कैसे दायर की जा सकती है। इस बारे में बताने के लिए कोर्ट ने एक एडवोकेट-ऑन-रिकॉर्ड (एओआर) सहित दो वकीलों को कोर्ट के समक्ष पेश होने का निर्देश दिया था।