Breaking News

रिश्वतखोर को पकड़ने में सीबीआई दो महीने से लगी तब रिश्वखोर सेनेटरी इंस्पेक्टर यादव पकड़ाया

रिश्वतखोर को पकड़ने में सीबीआई दो महीने से लगी तब रिश्वखोर सेनेटरी इंस्पेक्टर पकड़ाया के ,खुले बड़े राज

 भोपाल से राधावल्लभ शारदा की विशेष टिप्पणी वेबसाइट महादण्ड. काम के लिए,यदि केंद्र और राज्य सरकारें चाहें तो रिश्वत देने और लेने का धंधा बंद हो सकता है कुछ नहीं सबसे पहले रिश्वत देने वाले को दोषी करार कर उसे गिरफ्तार करना चाहिए क्योंकि अवैध कार्य करने वाले ही रिश्वत देते हैं। अब बात काम की तो उसकी समय सीमा तय करना होगा जिस तरह प्रधान न्यायाधीश ने एम पी एम एल ए में चल रहे प्रकरणों को एक साल में फैसला सुनाने का निर्देश दिया है उसी तरह हर कार्य के लिए एक माह या अधिकतम तीन माह में कार्य नहीं किया जा रहा है तो अधिकारियों को दोषी करार कर देना चाहिए और कार्यवाही करना चाहिए।

मेरठ। मेरठ में सीबीआई की 15 सदस्यीय टीम ने कैंट बोर्ड के सेनेटरी इंस्पेक्टर योगेश यादव को रिश्वत लेते गिरफ्तार कर लिया। मेरठ में कैंट बोर्ड कार्यालय में गाजियाबाद सीबीआई टीम ने छापा मारा तो हड़कंप मच गया। सेनेटरी इंस्पेक्टर अभिषेक की फोन रिकॉर्डिंग के आधार पर उसके खिलाफ भी जांच शुरू कर दी गई हैउसके घर पर घंटों तक दस्तावेजों की जांच की। देर रात तक सेनेटरी इंस्पेक्टर अभिषेक और सेनेटरी इंस्पेक्टर योगेश यादव के घर और छावनी परिषद कार्यालय में सीबीआई टीम जांच करती रही ।

लालकुर्ती के गोविंद प्लाजा में 200 से अधिक दुकानें हैं। शिकायतकर्ता वरुण अग्रवाल का आरोप है कि सेनेटरी इंस्पेक्ट योगेश यादव और सेनेटरी इंस्पेक्टर अभिषेक यहां दुकान में नवीनीकरण के कार्य के लिए 25 हजार से 50 हजार रुपये रिश्वत लेते हैं। वरुण अग्रवाल ने बताया कि उसने दुकान में शटर लगाया तो कैंट बोर्ड की टीम ने उसे तोड़ दिया। इस बीच दो दुकानों में 50 हजार रुपये देकर शटर लगा लिए गए। उसने इस संबंध में सीबीआई ऑफिस में लिखित में शिकायत की।

टीम इस मामले में दो महीने तक लगातार वरुण अग्रवाल के संपर्क में रही। लगातार सारी गतिविधियों पर नजर रखती रही। कई बार माइक और कैमरा लगाकर पीड़ित को दोनों इंस्पेक्टरों के पास भेजा गया और पूरी बातचीत की रिकार्डिंग करा ली गई। इस बीच योगेश यादव ने फोन पर वरुण अग्रवाल को आश्वस्त किया कि पैसा लेकर शटर लग जाएगा। जिसके बाद सीबीआई सक्रिय हो गई। टीम द्वारा शुक्रवार को रिश्वत लेते हुए योगेश यादव को रंगे हाथ दबोच लिया गया।

सेनेटरी इंस्पेक्टर योगेश यादव सितंबर 2016 में मोटर पंप ऑपरेटर की नियुक्ति के मामले में 10 लाख की रिश्वत मांगने पर फंसे थे। सीबीआई द्वारा की गई कार्रवाई में योगेश यादव को जेल जाना पड़ा था। 2019 में जमानत पर बाहर आने पर सीईओ प्रसाद च्वहाण कार्यकाल में योगेश की ज्वॉइनिंग हुई थी। इसके बाद सीईओ नवेंद्र नाथ द्वारा उसको नौकरी से बर्खास्त किया गया था। इसके बाद सीईओ हरेंद्र सिंह के कार्यकाल में योगेश की फिर से ज्वाइनिंग हुई थी। हाल ही में सीईओ ज्योति कुमार द्वारा योगेश यादव पर भ्रष्टाचार के मामले में कार्रवाई की गई थी।

About Mahadand News

Check Also

Danjorus है अपोलो सेज हास्पिटल, भूल कर भी नहीं जाना मरीज को लेकर*।

Danjorus है अपोलो सेज हास्पिटल, भूल कर भी नहीं जाना मरीज को लेकर*। अस्पताल में …