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मध्यप्रदेश में 181 पर शिकायत दर्ज कराना मुशिवत मोल लेना कई फोन आते पर होता कुछ नहीं

*मध्यप्रदेश में 181 पर शिकायत दर्ज कराना मुशिवत मोल लेना कई फोन आते पर होता कुछ नहीं।* *मध्यप्रदेश में नागरिक के शिकायती पत्र जो प्रधानमंत्री कार्यालय से कार्यवाही के लिए जारी होते हैं को सचिवालय में रद्दी की टोकरी में डाल दिया जाता है।*
10 साल की सरकार में ‘जहांगीरी घंटा’ साबित हुआ P M O का शिकायत-सुझाव पोर्टल
मुगल काल में बादशाह जहांगीर ने लोगों को त्वरित न्याय देने के लिए किले के दरवाजे पर एक बड़ा घंटा लटकवाया था. जिसे कोई भी फरियादी दिन-रात कभी भी बजाकर सीधे मुल्क के बादशाह से अपनी शिकायत दर्ज कर न्याय प्राप्त कर सकता था. इसी जहांगीरी घंटे की तर्ज पर मोदी जी ने खूब तामझाम व प्रचार प्रसार के साथ पीएमओ पोर्टल प्रारंभ किया. सोशल मीडिया के इस प्लेटफार्म पर लोग अपनी जायज शिकायत सीधे प्रधानमंत्री तक पहुंचा सकते थे और उन शिकायतों पर त्वरित कार्यवाही व निराकरण कर उन्हें राहत पहुंचाने का दावा किया गया था, कहा गया था कि इस पोर्टल पर देश का हर नागरिक, देश-निर्माण में अपनी सीधी भागीदारी सुनिश्चित करने हेतु अपने उपयोगी सुझाव, योजनाएं सीधे अपने प्रधानमंत्री को भेज सकता है.

प्रधानमंत्री के इस पीएमओ पोर्टल का वास्तविक हस्र क्या हुआ ये समझने के लिए हमें पहले इनकी कार्य प्रणाली समझनी होगी. मोदी जी के पिछले लगभग 10 सालों के कार्यकाल की अगर एक वाक्य में व्याख्या करनी हो तो इसे वादों, नारों, जुमलों और भव्य आयोजनों की सरकार कहा जा सकता है. मोदी जी ने देश को भले कुछ और दिया हो अथवा ना दिया हो, लेकिन निश्चित रूप से इन्होंने कई लोकप्रिय नारे हमें दिए हैं. इन्हीं नारों में इनका एक प्रमुख नारा था – ‘सबका साथ, सबका विश्वास.’ लेकिन ये सरकार और मोदी जी साथ और विश्वास तो सबका चाहते हैं, परन्तु किसी को भी, उसके योगदान हेतु श्रेय देना तो जैसे इन्होंने सीखा ही नहीं, बल्कि इस बात का ध्यान रखा जाता है कि हर कार्य और उपलब्धियों का शत-प्रतिशत श्रेय मोदी जी और केवल मोदी जी को ही जाना चाहिए. किसी भी उपलब्धि का श्रेय वो अपनी पार्टी यहां तक की संबंधित विभाग के मंत्रियों के साथ भी बांटने को तैयार नहीं हैं.
अब आते हैं जहांगीरी घंटे यानी पीएमओ पोर्टल पर. इस पोर्टल पर आनलाइन शिकायत दर्ज होने के बाद शिकायत के बारे में पोर्टल पर और कभी-कभी फोन पर आपकी शिकायत पर की गई कार्यवाही की जानकारी दी जाती है और शिकायतकर्ता को आशा बंधती है कि शायद उसकी शिकायत का अब निराकरण होगा. लेकिन शिकायत के निराकरण के नाम पर संबंधित विभाग या अधिकारियों से उनका पक्ष पूछकर, अंततः आपको बता दिया जाता है कि आपकी शिकायत निराधार है और आपकी शिकायत की फाईल या खिड़की बंद कर दी जाती है ।

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