Government सरकार को बंद कर देना चाहिए पी एम ओ एवं 181 शिकायत प्रकोष्ठ। क्योंकि बगैर जांच पड़ताल के निराकरण का संदेश आता है
भोपाल – सरकारी नोकरशाही का नमूना मुख्यसचिव कार्यालय में भी प्रधानमंत्री कार्यालय से आए पत्र रद्दी की टोकरी में, प्रधानमंत्री कार्यालय में दर्ज शिकायत की जांच हुई न पड़ताल और संदेश आया कि आपकी शिकायत का निराकरण कर दिया गया है।
मध्यप्रदेश में किसी भी राजनीतिक दल की सरकार रही हो अफसरशाही हावी रही है और आज भी बही स्तिथि है।
पी एम ओ से फोन आता है कि आपकी शिकायत का निराकरण कर दिया गया है। जब मैंने हकीकत बताई तो पुनः दर्ज कर लिया।
पी एम ओ से शिकायत पुनः राज्य सरकार को निराकरण के लिए भेजी गई।
शिकायत क्या है कब की है क्यों है पर कोई भी अधिकारी जांच करने के लिए तैयार नहीं नीचे के कर्मचारियों ने जो लिख दिया पत्थर की लकीर हो गई।
अब मैं जो कुछ बताने जा रहा हूं उसे समझना होगा।
एक भ्रष्टाचार की शिकायत मैंने 2002,3 में राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में की, राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने जांच करने के बाद प्रकरण भोपाल न्यायालय में पेश किया।
मामला भोपाल न्यायालय में विचाराधीन था उसी दौरान 14 नवंबर 2018 को दो व्यक्ति मेरे आफिस जो कि घर पर ही है में रात्रि 8 बजे के लगभग आते हैं।
लाइट बंद कर मुझे कुर्सी पर बैठा कर कहते हैं कि न्यायालय प्रकरण से हट जाओ नहीं तो पवन जैन जैसा ही होगा, गाली गलोच अभद्र भाषा में की।
मैंने दूसरे दिन डाक से पुलिस को पत्र लिखा और एफआईआर दर्ज करने का उल्लेख किया।
प्रश्न यह उठता है कि यदि प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन नहीं होता तो मुझे जान से मारने की धमकी क्यों मिलती।
पुलिस विभाग शिकायत का निराकरण यह कह कर समाप्त कर रही है कि प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन है।
मैं यहां यह भी उल्लेख करना आवश्यक समझता हूं कि कांग्रेस सरकार के दौरान जांच एजेंसी ने प्रकरण बापिस 2019 में ले लिया।
मामला भोपाल के आर के डी एफ कालेज जो अब यूनिवर्सिटी है जिनके मालिक सुनील कपूर है।
