*पत्रकार भवन की*
*जमीन पर नगर निगम का कब्जा, एक करोड़ प्रापर्टी टैक्स देना है।*
*अंधेरे में रही दोनों सरकार*
*कचरा हटाने के लिए एम पी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के स्व गोविंद तोमर, विजय नेमा और मैंने धरने कि चेतावनी दी थी तब कचरा हटा*
भोपाल, 24 मार्च 2015 को मध्यप्रदेश शासन जनसंपर्क विभाग मंत्रालय भोपाल से एक आदेश जारी किया गया था।
भोपाल कलेक्टर के न्यायलय ने प्रकरण क्रमांक 01 ,अ -20 ,4,/13-14 दिनांक 2-2-2015 के निर्णय का पालन करते हुए पत्रकार भवन के पुनर्निर्माण हेतु समिति में अनुभवी और बड़े समाचार पत्रों के पत्रकारों को सामिल किया गया।
सर्व श्री महेश श्रीवास्तव
श्री लज्जाशंकर हरदेनिया
डॉ सुरेश मेहरोत्रा
श्री मृगेंद्र सिंह
श्री अरुण दीक्षित
श्री राजेश सिरोठिया
श्री अनुराग उपाध्याय
श्री ब्रजेश राजपूत
श्री मनोज शर्मा
श्री दिनेश शर्मा
श्री अरुण चौहान
श्री अनिल शर्मा
श्री सुनील शुक्ला
श्री मनीष श्रीवास्तव
श्री नितेंद्र शर्मा
श्री एस आर सिंह
श्री विजय दास
श्री एन पी अग्रवाल
श्री अवधेश भार्गव
श्री राधावल्लभ शारदा
श्री ओमप्रकाश मेहता
श्री सुरेश शर्मा
श्री गिरीश उपाध्याय
समिति के संयोजक तत्कालीन अपर संचालक श्री मंगला मिश्रा को बनाया गया था।
समिति की बैठक हुई और समिति के सदस्यों से विचार मांगे गए। जिसने विचार दिए उन्हें फाइल में रखा गया।
2015 से 2019 तक सरकार और जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों सहित समिति के सदस्य गहरी नींद में हो गये।
तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान और जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों ने पत्रकार भवन की तत्कालीन स्तिथि नहीं समझी, अवैध कब्जा और नगर निगम का प्रापर्टी टैक्स दो समस्या थी।
समिति के तीन सदस्यों को पूरी जानकारी थी परन्तु फटे में कौन टांग फंसाए या यह कहें कि आ बैल मुझे मार,
भाजपा सरकार के स्थान पर कांग्रेसी सरकार बनी।
कांग्रेस सरकार के मुख्यमंत्री श्री कमलनाथ और जनसंपर्क मंत्री श्री पी सी शर्मा ने हिम्मत दिखाई और पुराने भवन पर जे सी बी चला दी और इस तरह अवैध कब्जा और जीर्ण-शीर्ण अवस्था के भवन को धराशाई कर दिया।
इस सरकार ने भी एक गलती कर दी की नगरनिगम के प्रापर्टी टैक्स पर नजर नहीं डाली।
सरकारी समिति में कौन नहीं आना चाहता भवन निर्माण समिति में अनेक पत्रकार जुड़ गए जिसका नजारा होटल पलाश में हुई बैठक में दिखा।
उपस्थित पत्रकारों से सुझाव मांगे गए सबने अपने अपने हिसाब से सुझाव दिए,
जब अंत में मेरा नंबर आया तो मैंने सुझाव दिया कि नये भवन में 10 कमरे सर्व सुविधायुक्त रुपए 300 प्रति दिन के किराए पर ग्रामीण अंचल से आने वाले पत्रकारों के लिए रखे जाने चाहिए।
इसी दौरान नगर निगम ने उक्त स्थल को कचरा घर बना दिया, स्व श्री तोमर, विजय नेमा और मैंने जनसंपर्क विभाग के आयुक्त को कचरा हटाने का नोटिस दिया न हटने पर धरना देने का उल्लेख किया।
तीन दिन में कचरा हट गया।
आगे जो कुछ हुआ जागरूक पत्रकारों को ज्ञात है।
प्रापर्टी टैक्स जमा नहीं करने पर नगर निगम ने उक्त स्थल को अपना स्थल बताकर नोटिस बोर्ड लगा दिया है।
समिति और सरकार दोनों ही धुरंधर बल्लेबाज हैं देखना है कि मीडिया सेंटर का निर्माण बगैर किसी रुकावट के कैसे शुरू होगा।
*वर्तमान में मुख्यमंत्री मोहन यादव जी के पास जनसंपर्क विभाग भी है*।
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