Supreme court सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला राजस्थान में अब दो से अधिक बच्चे होने पर नहीं मिलेगी सरकारी नौकरी
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक बड़ा फैसला सुनाया है। इस फैसले के अनुसार, राजस्थान में जिन माता-पिता के दो से अधिक बच्चे हैं, उन्हें सरकारी नौकरी नहीं मिलेगी। यह निर्णय राजस्थान राज्य के लिए विशेष रूप से लागू किया गया है और पूरे भारत पर लागू नहीं होता।
फैसले की पृष्ठभूमि
यह फैसला जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस विश्वनाथ की एक बेंच द्वारा दिया गया। बेंच ने पूर्व सैनिक रामलाल जाट की याचिका को खारिज कर दिया। रामलाल जाट 2017 में सेवानिवृत्त हुए थे और उन्होंने इस मामले में अपील की थी।
राजस्थान में नियम का इतिहास
यह ध्यान देने योग्य है कि राजस्थान में पंचायती चुनाव लड़ने के लिए यह नियम 2003 में ही लागू कर दिया गया था। उस समय से ही, पंचायती चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवारों के लिए दो से अधिक बच्चे न होने का नियम लागू था।
नए फैसले का प्रभाव
अब सुप्रीम कोर्ट के इस नए फैसले के बाद, यह नियम सरकारी नौकरियों पर भी लागू हो गया है। इसका मतलब है कि राजस्थान में अब जिन लोगों के दो से अधिक बच्चे हैं, वे न केवल पंचायती चुनाव नहीं लड़ सकते, बल्कि सरकारी नौकरी भी नहीं पा सकते।
नियम का उद्देश्य
इस नियम का मुख्य उद्देश्य जनसंख्या नियंत्रण है। सरकार का मानना है कि इस तरह के नियमों से लोग छोटे परिवार की अवधारणा को अपनाएंगे, जिससे जनसंख्या वृद्धि पर अंकुश लगेगा।
नियम के समर्थक और आलोचक
इस नियम के समर्थकों का कहना है कि यह जनसंख्या नियंत्रण के लिए आवश्यक है और राज्य के संसाधनों पर दबाव कम करेगा। वहीं आलोचकों का मानना है कि यह नियम मौलिक अधिकारों का उल्लंघन करता है और गरीब तबके को अधिक प्रभावित करेगा।
भविष्य में संभावित प्रभाव
यह फैसला राजस्थान में रोजगार के पैटर्न और परिवार नियोजन पर गहरा प्रभाव डाल सकता है। यह संभव है कि अन्य राज्य भी इसी तरह के नियम लागू करने पर विचार करें।
सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला राजस्थान में जनसंख्या नियंत्रण और सरकारी नौकरियों के लिए एक नया मानदंड स्थापित करता है। हालांकि यह केवल राजस्थान तक सीमित है, लेकिन इसका प्रभाव देश के अन्य हिस्सों में भी महसूस किया जा सकता है। यह देखना दिलचस्प होगा कि भविष्य में यह नीति कैसे लागू होती है और इसके क्या परिणाम होते हैं।