*Police विभाग पर क्यों उठती है उंगली, जाने पुलिस अधीक्षक की वसूली
बाले पत्र से*
भोपाल, विगत दिनों मंडला में पदस्थ पुलिस अधीक्षक की कारगुजारी या उनका अपढ़ होना या फिर भ्रष्टाचार में लिप्त होने का नमूना सामने आया है।
मंडला से एक पत्र वायरल हुआ पत्र था पुलिस अधीक्षक का जो उनके द्वारा समस्त थाना प्रभारी सहित अन्य पुलिस कर्मियों को भेजा गया।
पुलिस अधीक्षक के पत्र में लिखा गया है कि फर्जी पत्रकार जिले के झोलाछाप डॉक्टरों एवं सरकारी राशन दुकानों को तंग करते हैं अतः फर्जी पत्रकारों पर कार्यवाही की जाय।
पुलिस अधीक्षक ने अपने पत्र में लिखा है कि कुछ तथाकथित लोग पत्रकारिता की आड़ में यह कृत्य कर रहे हैं।
इस पत्र से यह तो सिद्ध होता है कि पुलिस अधीक्षक को झोलाछाप डॉक्टरों एवं सरकारी राशन दुकानों के कार्यों का कार्य मालूम है, सीधी सी बात है कि अवैध कारोबार करने वालों को नजरंदाज करना और यह नजरंदाज करना के पीछे क्या कारण है जांच का विषय है।
एम पी बक्रिंग जर्नलिस्ट यूनियन के द्वारा इस महत्वपूर्ण मामले से मध्यप्रदेश के पुलिस महानिदेशक को अवगत कराया गया था।
भ्रष्टाचार में लिप्त शासकीय कर्मचारी, अधिकारी को स्थानांतरित करना सजा नहीं है क्योंकि ये जहां भी पदस्थ रहेंगे अपनी आदत के अनुसार भ्रष्टाचार में लिप्त रहेंगे,
देश के जाने-माने वकील दिल्ली के अश्विनी कुमार को प्रकरण दिया गया है।
पी आई एल लगाई जाएगी कि भ्रष्टाचार में लिप्त शासकीय कर्मचारी अधिकारी को स्थानांतरित करने के स्थान पर सेबा मुक्त कर उनकी तमाम सम्पत्ती राज सात की जाय।
वैसे न्याय की कुर्सी पर बैठे हुए जो इंसान है उनका व्यवहार भी दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की जमानत पर नजर डालें तो सब कुछ साफ हो जाता है।
अरविंद केजरीवाल के वकील मनु सिंघवी ने सुप्रीम कोर्ट में पेश अर्जी में लिखा था कि अरविंद केजरीवाल को ई डी ने नोटिस क्यों भेजा इस पत्र पर सुप्रीम कोर्ट ने जमानत दे दी। पिछले दिनों रात्रि 8 बजे कोर्ट ने जमानत याचिका पर सुनवाई करते हुए जमानत दी गई।
कानून संविधान से चलता है या न्यायाधीश की सोच पर।