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Bharat के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एम पी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के प्रांतीय अध्यक्ष ने पत्रकारों की समस्याओं से अवगत कराया और हल करने के लिए पत्र लिखा ।

Bharat के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को एम पी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन के प्रांतीय अध्यक्ष ने पत्रकारों की समस्याओं से अवगत कराया और हल करने के लिए पत्र लिखा ।

प्रतिष्ठा में,
श्री नरेन्द्र मोदी,
भारत के प्रधान मंत्री,
नई दिल्ली
विषय: पत्रकार जो आजादी से लेकर आज तक जनसेवा में है कि कुछ समस्याओं के निराकरण वावत्।
आप भली भांति परिचित है कि देश को आजादी दिलाने में आम आदमी के साथ ही समाचार पत्रों में कार्य करने वाले पत्रकारों की भी अहम भूमिका रही, जो आज भी बरकरार है। मैं यहां स्पष्ट करने जा रहा हूं कि यदि आज मीडिया देश में जो कुछ चल रहा है, उसे न लिखे या न दिखाए तो देश एवं प्रदेश में क्या हुआ ज्ञात ही नहीं होगा और स्पष्ट शब्दों में कि वह सांसद-विधायक एवं जनप्रतिनिधी के नाम या उसका फोटो प्रकाशित नहीं करेगा, तो जनता उसे भूल जाएगी। खैर मन की बात आपके सामने रखी।
जिस तरह बाबा साहेब अंबेडकर को हम संविधान निर्माता कहते है उन्होंने देश में विधायिका, न्याय पालिका एवं कार्यपालिका को स्थान दिया, परन्तु खबर पालिका को याद ही नहीं रखा, जबकि खबर पालिका आज अपना प्रथम स्थान रखती है। अत: आपसे निवेदन है कि खबर पालिका की कुछ समस्याएं है जिनका निराकरण आवश्यक लगता है।
समस्याएं निम्नानुसार है :
1. मीडिया संस्थानों में काम करनेवाले पत्रकारों जो आयकर दायरे में नहीं आते हों और जिनके पास संस्थान का नियुक्ति पत्र एवं नियुक्ति पत्र में वेतन का हवाला हो, कि सुरक्षा के लिए राष्ट्रीय स्तर पर सुरक्षा कानून शीघ्र बनाया जाए।
2. समाचार पत्रों में मजिठिया वेतन आयोग की सिफारिशों के अनुसार वेतनमान लागू कराना। समाचार पत्रों के मालिकों द्वारा वेतन आयोग की सिफारिशे न मानने पर सरकारी विज्ञापन एवं अन्य सुविधाओं पर रोक लगाना।
3. पत्रकार की परिभाषा तय होना चाहिए।
4. दैनिक समाचार पत्रों की प्रसार संख्या की निरंतर जांच हों।
5. एम्स में नि:शुल्क चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराई जाए।उन पत्रकारों को जो आयकर के दायरे में नहीं आते हैं।
6. रेल यात्रा में पूर्व में अधिमान्यता प्राप्त पत्रकारों को 50 प्रतिशत छूट की सुविधा थी, उसे पुन: शुरू की जाए।
7. छोटे समाचार पत्रों को जो सरकार और जनता के लिए सेतू का काम करता है को आर्थिक सहायता विज्ञापन के रूप में प्रति माह एक निश्चित राशि नियमित रूप से प्रकाशित समाचार पत्रों को दी जानी चाहिए।

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