Breaking News

समाचार पत्रों की एम पी नगर की लीज रिन्यू एवं शासकीय आवास में रहने वाले पत्रकारों के आवास रिन्यूअल पर विशेष* *समाचार पत्रों के मालिकों की तानाशाही* *पत्रकारों की दादागिरी* *अफसरों की लापरवाही* *राजनेताओं की मजबूरी* *अपने लिए जिए तो क्या जिए*समाचार पत्र मालिक के लिए जिए तो पेट, परिवार और पेटी भरेगी*।

*समाचार पत्रों की एम पी नगर की लीज रिन्यू एवं शासकीय आवास में रहने वाले पत्रकारों के आवास रिन्यूअल पर विशेष*

*समाचार पत्रों के मालिकों की तानाशाही*
*पत्रकारों की दादागिरी*
*अफसरों की लापरवाही*
*राजनेताओं की मजबूरी*

*अपने लिए जिए तो क्या जिए*समाचार पत्र मालिक के लिए जिए तो पेट, परिवार और पेटी भरेगी*।
अंग्रेजों की गुलामी सही, आक्रांताओं का कहर सहा इसके बाद भी भारत अपनी एक पहचान बनाये हुए हैं।
इसी पहचान को बनाएं रखने के लिए बड़े-बड़े मीडिया संस्थानों में कार्यरत पत्रकार मालिकों के आदेश पर चल रहा है।
मालिकों के आदेश को मानना उनकी मजबूरी है नहीं मानने पर संस्थान से बाहर। दरोगा कहलाना पसंद है अपने हक की बात नहीं उठा सकते हैं।
मालिकों ने कहा कि किसी पत्रकार यूनियन के सदस्य नहीं बनना है, किसी भी पत्रकार यूनियन के समाचारों का प्रकाशन नहीं करना है।
स्वयं के लिए मजीठिया वेज बोर्ड के अनुसार वेतन नहीं मांगना नहीं तो काले पानी की सजा की तरह देश और विदेश में ट्रांसफर कर दिया जाता है।
अब मजबूरी है मालिक की बात मानना।
शहर से लेकर ग्रामीण अंचल तक कांटेक्ट, टारगेट और कमीशन पर काम कर रहे हैं सिर्फ इसलिए कि पत्रकार कहलाना चाहते हैं । अधिकारियों में धमक, राजनेताओं से पहचान, माफियाओं से साठ-गांठ,
अपने जिले, गांव, शहर, राजधानी तक पहुंच,
समाज में रुतबा
रुपया मिलेगा
मकान बनेगा,
मकान पर एक बात याद आ गई,जिन पत्रकारों को राजधानी में सरकारी आवास मिलें हैं उनमें से अधिकांश का आवास आवंटन का नवीनीकरण नहीं हुआ, बाजार दर पर किराया लग रहा है चिंता नहीं,
राजधानी में सरकारी आवास प्राप्त कई पत्रकारों ने किराया जमा नहीं किया,
सरकार आवास में रहना एक स्टेटस अलग ही रुतबा होता है।
यह सब मिलेगा
परंतु है तो बंधुआ मजदूर क्योंकि करना बही होगा जो मालिक कहेगा। *भला हो पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान का कि नियमों में बदलाव कर एक मौका दिया परंतु लाभ नहीं लिया क्योंकि पत्रकार जो है*।
*पत्रकारों को जो अवसर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने दिया वैसा ही अवसर समाचार पत्रों के मालिकों को भी दी एम पी नगर जोन एक में लीज रिन्यू करने के लिए*
जानकारी के अनुसार मात्र स्वदेश और कृषक जगत समाचार पत्रों के मालिकों ने लीज रिन्यू करा ली ,
समाचार पत्र मालिकों एवं शासकीय आवास में रहने वालों ने ठान लिया है कि सरकार उनका क्या बिगाड़ लेगी ‌।
गलत सोच रहे हैं उन्हें मालूम है या नहीं मैं याद दिलाता हूं कि पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने लगभग 90 पत्रकारों के आवास खाली करा लिए थे।
एक बात और है जिन पत्रकारों ने 2020 में आवास रिन्यूअल के लिए आवेदन दिया था उनके आवास 2022 में गृह विभाग द्वारा रिन्यू किए गए, संपदा विभाग उन पर बाजार दर पर किराया लगा रही है, यह विभागीय अधिकारियों की लापरवाही का नतीजा है,
अधिकारियों की ग़लती की सजा पत्रकार क्यों भुगते।
मुख्यमंत्री मोहन यादव को चाहिए कि उन दो वर्षों का किराया उन अधिकारियों के वेतन से काटे जिनकी लापरवाही से ऐसा हुआ।

मुझे उम्मीद है कि प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव इस प्रकरण पर संज्ञान लेकर कार्यवाही करेंगे

About Mahadand News

Check Also

letter असेंबली आफ एमपी जर्नलिस्ट्स के प्रांतीय अध्यक्ष ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव को लिखा पत्र*

*letter असेंबली आफ एमपी जर्नलिस्ट्स के प्रांतीय अध्यक्ष ने मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री श्री मोहन यादव …