Demolish Anyone House किसी का भी घर गिराना ‘फैशन’ हो गया है.हाई कोर्ट ने नगर निगम को खूब सुनाया , भोपाल के पत्रकार भवन का भी यही हाल है
*इंदौर से रजनी खेतान के साथ भोपाल से राधावल्लभ शारदा द्वारा संपादित रपट, टिप्पणी – विभागीय अधिकारियों की 100 प्रतिशत ठीक है परन्तु एक नागरिक के नाते हमारा भी कुछ कर्तव्य होता है, क्या जिस व्यक्ति का घर गिराया गया उसने नगर निगम को सूचना दी कि अब यह घर उसके नाम हो गया है। भोपाल में एक पत्रकार भवन हुआ करता था कांग्रेस सरकार ने उसे गिरा दिया फिर पुनः भाजपा सरकार बनी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान ने भूमि पूजन कर दिया, जमीन जनसंपर्क विभाग के नाम पर हो गई,अब नगर निगम ने भूमि पर कब्जा कर सम्पत्ति कर बकाया बताया, क्या नगर निगम के अधिकारी कर्मचारी आंखों पर पट्टी बांध कर रहते हैं या कानों में रुई लगा रखी है।देखा जाए तो यह लगता है कि अधिकारी कर्मचारी और नेता के साथ आम आदमी अपनी जबावदारी लेने से कतराते हैं*।
इंदौरः मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने एमपी सरकार की बुलडोजर कार्रवाई पर प्रश्न खड़ा किया है। कोर्ट ने इस कार्रवाई की कड़ी आलोचना की है। कोर्ट ने कहा कि घरों को तोड़ना एक फैशन बन गया है। इंदौर बेंच के जज विवेक रुसिया ने कहा कि अब किसी भी घर को तोड़ना प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों का पालन न करते हुए एक ‘फैशन’ बन गया है।
उज्जैन में एमपी सरकार का बुलडोजर चला था। जिसमें राधा लांगरी और विमल गुर्जर के घरों को तोड़ा गया था। जिसके बाद दोनों ने इंदौर कोर्ट में याचिका डाली थी। कोर्ट ने दोनों को एक लाख रुपए का मुआवजा देने का आदेश दिया।
नगर निगम ने 13 दिसंबर 2023 को उज्जैन के संदीपनी नगर में राधा लांगरी और विमल गुर्जर के घरों को तोड़ने का नोटिस दिया लेकिन सुनावाई का मौका नहीं दिया और उनके घरों को तोड़ दिया गया। जिसके बाद उन दोनों ने हाई कोर्ट में याचिका डाली, जिस पर सुनवाई करते हुए जज विवेक रुसिया ने नगर निगम के कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई का आदेश दिया है। विवेक रुसिया ने उज्जैन के अधिकारियों की आलोचना करते हुए कहा कि इन्होंने प्राकृतिक न्याय के सिद्धांत का पालन किए बिना तोड़फोड़ किया। रुसिया ने कहा कि ऐसा लगता है कि यह मामला भी क्रिमिनल मामला है जो याचिकाकर्ताओं के खिलाफ दर्ज किया गया और बाद में तोड़फोड़ की गई।
हाई कोर्ट के निर्देशों पर उज्जैन नगर निगम आयोजन कमिश्नर ने मामले की जांच की और रिपोर्ट प्रस्तुत किया, जिसमें याचिकाकर्ताओं के घर अवैध रूप से बने थे। उन्होंने रिपोर्ट दिया था कि नगर निगम के अधिकारियों ने दोनों के घरों को अवैध होने का नोटिस पिछले मालिकों को दिया था न की जो वर्तमान में मालिक हैं उनको। रुसिया ने बिना साइट वेरिफिकेशन किए तोड़फोड़ करने पर नाराजगी जताई।
हाईकोर्ट ने कहा कि सर्वर डाउन होने के कारण संपत्ति कर के विवरण के बारे में स्पष्टीकरण देने से अपने आप को कमिश्नर ने बचा लिया। नगर निगम के पास हाउस टैक्स जमा करने के कागज हैं। जिससे यह सत्यापित किया जा सकता था कि इस घर का टैक्स कौन देता है। कोर्ट ने कहा कि दोनों ने घर बनाया नहीं था बल्कि खरीदा था। इनका घर तोड़ने की बजाय नियमितीकरण का पालने करना चाहिए था।