News paper का बड़ा फर्जीबाडा -दूसरों पर उंगली उठाने वालों पर भी उंगली उठती है जिन पर उंगली उठती वह है समाचार पत्र मालिक
मध्यप्रदेश में सबसे बड़ा फर्जीबाडा व्यापम का चर्चित है दूसरा पैरामेडिकल , व्यापम फर्जीवाड़े का प्रकरण सुप्रीमकोर्ट प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने लगाया है यह एक आर्थिक घोटाला मामले में पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने आर के डी एफ कालेज अब विश्वविद्यालय, की जांच में वयान के समय दिया। जांच एजेंसी राज्य आथिर्क अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने और भोपाल न्यायालय , हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में जो कुछ हुआ अब चर्चा का विषय नहीं है,देश के जाने-माने वकील अश्विनी उपाध्याय ने एक प्रकरण में देश के तीन प्रमुख स्तंभ, न्याय पालिका, विधायिका, कार्यपालिका, के बाद खबर पालिका और देश के नागरिकों पर उंगली उठाई है। जहां तक प्रश्न उठता है मैं व्यक्तिगत रूप से उनके साथ हूं। अब मैं बात कर रहा हूं खबर पालिका कि इसके द्वारा जो भ्रष्टाचार किया जा रहा है उसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि कोरोना वायरस जिस समय पूरे विश्व में फैला हुआ था तब भोपाल भी ग्रसित था उस समय दैनिक समाचार पत्र जो केंद्र सरकार द्वारा विज्ञापन के लिए एप्रुव थे कि प्रसार संख्या लगभग 60 लाख थी।जिन विभागों को इनके प्रसार संख्या की जांच की जबावदारी थी और है ने भ्रष्टाचार रुपी काला चश्मा लगा रखा था। आज उसी कड़ी में एक मामला आपके सम्मुख प्रस्तुत कर रहा हूं कि 10 फरवरी को प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के एक कार्यक्रम जो सुबह 11,30 बजे हुआ का विज्ञापन दोपहर के समाचार पत्रों में प्रकाशित हुएं हैं। यह भी एक भ्रष्टाचार का नमूना है। विज्ञापन सुबह के समाचार पत्रों में प्रकाशित हुएं तो कोई आपत्ती नही परंतु कार्यक्रम के बाद प्रकाशित हुआ यह सोचने पर मजबूर कर रहा है। वर्तमान में जनसंपर्क विभाग प्रदेश के मुख्यमंत्री मोहन यादव के पास है और उनके पास इतने छोटे भ्रष्टाचार को देखना संभव नहीं है वो भी अधिकारियों पर निर्भर है।जब 26 जनवरी के विज्ञापन देने के लिए बहुत कुछ नये नियम बनाए सिर्फ समाचार पत्रों के भ्रष्टाचार को रोकने के लिए नियम सभी के लिए होना चाहिए, जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों को इस ओर ध्यान देना चाहिए बाकी अधिकारियों की मर्जी।
