journalist राधावल्लभ शारदा जिसने आर टी ओ आफिस की नोकरी 1970 में छोड़ पत्रकारिता मे आया न्याय के लिए मुख्यमंत्री मोहन यादव को स्पीड पोस्ट से भेजा पत्र, Bhrashtachar को उजागर किया तो मिली जान से मारने की धमकी, पूर्व मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान, पूर्व गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा, पूर्व मंत्री कमल पटेल, मंत्री राजेन्द्र शुक्ल सहित किसी ने सुनवाई नहीं की पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह सहित अन्य पर प्रकरण निम्न धाराओं में 420,467,468,471,120 बी एवं धारा 13 सह पठित ( 1 ) डी 13( 2)की भ्रष्टाचार अधिनियम 1988 में मुकदमा दर्ज किया सुप्रीमकोर्ट में 2020, Case no – SLP(cri) No,004691-2020
इसी तरह एक प्रकरण सुनील कपूर पर 2017 SLP( cri)005872 भी विचाराधीन है एक प्रकरण सुनील कपूर पर 2007 का भी है ऐसा ज्ञात हुआ।
मेरे द्वारा मध्यप्रदेश की जांच एजेंसी राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो में 2003 में की 2015 तक जांच एजेंसी ने स्वत संज्ञान नहीं लिया तब मैंने न्यायालय की शरण ली।
माननीय न्यायाधीश के आदेश पर राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने अपनी जांच प्रस्तुत की जिसमें निम्न धाराओं में मुकदमा दर्ज किया।
प्रकरण न्यायालय में विचाराधीन था उसी दौरान 14 नवम्बर को रात्रि 8 बजे दो व्यक्ति मेरे निवास स्थित कार्यालय में घुसे मैं अपना काम कर आफिस बंद कर रहा था उन्होंने धक्का देकर मुझे मेरी कुर्सी पर बैठा दिया और लाईट बंद कर दी। एक पिस्तौल मेरी टेबल पर रख जान से मारने की धमकी दी तथा गंदी गालियां देते हुए कहा कि मुख्यमंत्री शिवराजसिंह सिंह,शिव चौबे, गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा हमारा कुछ नहीं विगाड सकते हैं।
दूसरे दिन 15 नवंबर को मैंने एक पत्र थाना प्रभारी टी टी नगर को डाक से भेजा और एफआईआर दर्ज करने का निवेदन किया।
उस पत्र की कापी मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान,शिव चौबे एवं गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा को भी भेजा।
कोई संज्ञान नहीं लिया इससे मुझे लगता है कि भारी संख्या में रुपयों का लेन-देन हुआ अन्यथा मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान अथवा गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा पुलिस को आदेश जारी करते एफआईआर दर्ज करने के लिए।
जांच एजेंसी ने न्यायालय से प्रकरण बापिस क्यों लिया यह भी जांच का विषय है लगता है कि यहां भी भारी-भरकम लेने देन हुआ और जांच एजेंसी के अधिकारियों पर भी प्रश्न चिन्ह लगता है जो जांच का विषय है।
जब भोपाल न्यायालय ने प्रकरण समाप्त कर दिया तो मैं मेरे अधिवक्ता के माध्यम से उच्च न्यायालय गया। उच्च न्यायालय ने भी प्रकरण निरस्त कर दिया।
भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग है जान एवं परिवार की चिंता छोड़ मैं मेरे अधिवक्ता यावर खान के माध्यम से उच्चतम न्यायालय में प्रकरण दर्ज कराया। उच्चतम न्यायालय ने मेरे आवेदन को स्वीकार कर जांच एजेंसी राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो, पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, पूर्व तकनीकी शिक्षा मंत्री राजा पटेरिया, एवं आर के डी एफ कालेज जो अब विश्वविद्यालय है के संचालक सुनील कपूर को आरोपी मानते हुए प्रकरण को भ्रष्टाचार का मानते हुए क्रिमिनल केस दर्ज किया 2020 में। सबसे महत्वपूर्ण बात पुलिस कहती हैं कि उच्चतम न्यायालय में याचिका दर्ज है इसलिए एफआईआर दर्ज नहीं कर सकते।