Exclusive: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के निर्देश पर काम अगले तीन महीनों में देश में 14 नए एयरपोर्ट टर्मिनलों का होगा उद्घाटन- ज्योतिरादित्य सिंधिया
भोपाल से राधावल्लभ शारदा द्वारा संपादित रपट नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का कहना है कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से साफ निर्देश है कि देश के उड्डयन क्षेत्र की पहुंच ज्यादा से ज्यादा आम आदमी तक ले जाना है। आने वाले दिनों में यह काम और रफ्तार पकड़ेगा। उन्होंने कहा कि पीएम मोदी का इस बारे में साफ निर्देश है कि यह सेक्टर समाज के एक सीमित वर्ग तक नहीं होना चाहिए।
नागरिक उड्डयन मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया का कहना है कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से साफ निर्देश है कि देश के उड्डयन क्षेत्र की पहुंच ज्यादा से ज्यादा आम आदमी तक ले जाना है। आने वाले दिनों में यह काम और रफ्तार पकड़ेगा। दैनिक जागरण के विशेष संवाददाता जयप्रकाश रंजन के साथ एक विशेष बातचीत में उन्होंने बताया कि आगामी आम चुनाव से पहले कम से कम 14 शहरों में नए एयरपोर्ट टर्मिनल का उद्घाटन होगा जिसमें पांच उत्तर प्रदेश में होंगे। एविएशन सेक्टर में सरकार की भावी नीतियों के बारे में सिंधिया ने विस्तार से बातचीत की।
नागरिक उड्डयन सेक्टर को लेकर सरकार की दीर्घकालिक नीति क्या है?
पीएम मोदी का इस बारे में साफ निर्देश है कि यह सेक्टर समाज के एक सीमित वर्ग के पास नहीं होना चाहिए, बल्कि ज्यादा से ज्यादा आम जनता तक इसकी पहुंच होनी चाहिए। हम इस दिशा में ही कार्यरत हैं। साल 2014 में देश में घरेलू विमान यात्रियों की संख्या छह करोड़ थी, जो कोरोना महामारी से पहले 14.5 करोड़ पहुंच गई थी। इस साल हम 15 करोड़ यात्रियों की संख्या पार कर जाएंगे। मझोले व छोटे आकार के शहरों को हवाई मार्ग से जोड़ने की योजना के तहत 76 एयरपोर्टों पर हवाई सेवाओं की शुरुआत हुई। दरभंगा, देवघर, कुशीनगर जैसे दर्जनों एयरपोर्ट आज आम जनता को देश व दुनिया से जोड़ रहे हैं। देश में यात्री विमानों की संख्या 400 से बढ़कर 700 हो चुकी है। हमारा अनुमान है कि वर्ष 2030 तक देश में 25 से 30 करोड़ यात्री विमानन सेवा का इस्तेमाल करेंगे।
क्या देश में एविएशन सेक्टर में ढांचागत सुविधाएं इस विशाल मांग को पूरा करने में सक्षम होंगी?
एविएशन सेक्टर की ढांचागत सुविधाओं पर हमारा फोकस है और यह काम लगातार चल रहा है। आज भारत में जितनी कंपनियां नये हवाई जहाज खरीदने का ऑर्डर दे रही हैं वैसा ऑर्डर किसी और देश में नहीं दिया जा रहा। एयर इंडिया ने 470 विमानों का, इंडिगो ने 500 विमानों का ऑर्डर दिया है। आकाशा एयरलाइन, जो एक स्टार्टअप है उसके विमानों की संख्या एक से बढ़ कर 20 हो चुकी है। हम उसे जल्द ही अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की अनुमति देने जा रहे हैं। सरकार के तौर पर ढांचागत सुविधा, इस महत्वपूर्ण सेक्टर को उपलब्ध कराने में हम हमेशा तत्पर हैं। अभी देश में तकरीबन 150 एयरपोर्ट हैं जिनकी संख्या साल 2030 तक 200 के करीब हो जाएगी। पूरे देश में हवाई अड्डों का बहुत ही विशाल नेटवर्क स्थापित होने जा रहा है। हमारा मानना है कि भारत को एक वैश्विक एविएशन हब बनाने के लिए यह बहुत ही महत्वपूर्ण साबित होगा।
हवाई अड्डों के विस्तारीकरण से कैसे हम एक वैश्विक एविएशन हब बनेंगे?
हवाई अड्डे सबसे बुनियादी जरूरत हैं एविएशन हब बनने के लिए। हम साल 2024 में कुल 9,800 करोड़ रुपये की लागत से 21 शहरों में नये हवाई अड्डे बनाएंगे या फिर नये टर्मिनल का उद्घाटन करेंगे। आपने देखा होगा कि माननीय प्रधानमंत्री जी ने पिछले कुछ हफ्तों में सूरत, पोर्टब्लेयर, उदयपुर, जोधपुर, हीरासर में एयरपोर्ट टर्मिनल का उद्घाटन किया या नये हवाई अड्डे के निर्माण का शिलान्यास किया है। इसमें से तीन महीनों में ही 14 नये एयरपोर्ट टर्मिनलों का उद्घाटन होगा। अयोध्या में नये एयरपोर्ट का उद्घाटन तो एक दिन बाद ही पीएम करेंगे। सिर्फ उत्तर प्रदेश को पांच नये एयरपोर्ट हम देने जा रहे हैं। ये एयरपोर्ट मुरादाबाद, आजमगढ़, अलीगढ़, श्रावस्ती और चित्रकूट में होंगे। हम यह भी ध्यान रख रहे हैं कि रिकॉर्ड समय में देश में अंतरराष्ट्रीय स्तर के एयरपोर्ट का निर्माण हो। इससे हम एविएशन हब बनेंगे। भारत सबसे बड़े एविएशन बाजार के तौर पर उभर रहा है, ऐसे में यहां एक नहीं, कई एविएशन हब होने चाहिए। हम दिल्ली में पहला एविएशन हब बनाना चाहते हैं। इस योजना में इंडिगो व एयर इंडिया भी शामिल है। हम कई मंत्रालयों के साथ मिलकर एक विस्तृत योजना पर काम कर रहे हैं। एक दशक में देश में इस तरह के तीन हब होंगे।
विनिवेश के बाद एयर इंडिया के संचालन को कैसे देख रहे हैं? खास तौर पर यात्रियों की सुविधा के हिसाब से।
एयर इंडिया अभी बदलाव के दौर में है। कंपनी नये विमान खरीद रही है। पुरानी कंपनी की संस्कृति में बदलाव हो रहा है। कभी कंपनी को 600 करोड़ रुपये का घाटा प्रति माह होता था। उसका भी दबाव है। टाटा समूह की दो विमानन कंपनियों का विलय हो रहा है, लेकिन यात्रियों की सुविधा को लेकर कुछ समस्याएं हैं। हम उन्हें कई सुझाव भी दिए हैं ताकि यात्रियों को कोई शिकायत ना हो। यात्रियों का अनुभव ही सब कुछ है। एक बार यात्री को खराब अनुभव होता है तो वह कंपनी के ब्रांड पर सबसे बड़ी चोट होती है। कई बार खराब सीट मिलने की समस्या सामने आती है तो मेरा तो मानना है कि त्रुटिपूर्ण सीटों की बिक्री एविएशन कंपनी को करनी ही नहीं चाहिए।
हवाई किराये में कई बार काफी ज्यादा उतार-चढ़ाव देखने को मिलता है, क्या सरकार इसमें हस्तक्षेप कर सकती है?
सरकार के स्तर पर तकरीबन 60 रूटों पर हवाई किराये की निगरानी की जाती है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम उन्हें लगातार निर्देश दे सकते हैं। यह भी याद रखना होगा कि एविएशन में जिस तरह की प्रतिस्पर्द्धा है और जिस तरह की लागत है उसमें कंपनियां किराये को लेकर ज्यादा बदलाव कर सकती हैं। कुछ खास अवसरों में बेहद बढ़ी हुई मांग की बात दूसरी है। पिछले साल के व्यस्त सीजन से आप तुलना करें तो इस साल काफी मांग है, लेकिन किराया कम है। हवाई जहाजों के संचालन लागत में 40 फीसद हिस्सा ईंधन का होता है। कोविड के बाद हवाई ईंधन तीन गुणा बढ़ चुका था, अभी भी यह दोगुना है। जहां जरूरत होती है, हम हस्तक्षेप करते हैं।