*Teacher बिहार में 22 हजार शिक्षकों की नौकरी जाने की तलवार लटक रही है, हाईकोर्ट का फैसले से उठा सबाल।*
पटना से रमेश कुमार की रपट भोपाल से राधावल्लभ शारदा के द्वारा संपादित।
क्या बिहार में चली जाएगी 22 हजार B.Ed शिक्षकों की नौकरी? हाईकोर्ट के फैसले के बाद सबसे बड़ा सवाल
पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विनोद चंद्रन और जस्टिस राजीव राय की खंडपीठ ने प्राइमरी टीचर्स के लिए बैचलर ऑफ एजुकेशन (B.Ed) डिग्री धारकों को किसी प्रकार की राहत नहीं दी है. 2021 और 2022 में प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्तियों से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा, “ये कहने की जरूरत नहीं है कि की गई नियुक्तियों पर फिर से काम करना होगा.”
पटना हाई कोर्ट के फैसले के बाद बिहार में करीब 22 हजार बीएड शिक्षकों की नौकरी पर संकट मंडरा रहा है. बुधवार (06 दिसंबर 2023) को पटना हाईकोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला देकर प्राइमरी क्लासेस को पढ़ाने के लिए बीएड डिग्रीधारियों को अयोग्य घोषित किया है. कोर्ट का कहना है कि प्राइमरी क्लासेस यानी कक्षा 1 से 5वीं तक के स्कूली बच्चों को को केवल डीएलएड वाले ही पढ़ा सकते हैं. इस फैसले के बाद सबसे बड़ा सवाल ये है कि क्या अब बिहार में 22 हजार बीएड शिक्षकों की नौकरी चली जाएगी?
पटना हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विनोद चंद्रन और जस्टिस राजीव राय की खंडपीठ ने प्राइमरी टीचर्स के लिए बैचलर ऑफ एजुकेशन (B.Ed) डिग्री धारकों को किसी प्रकार की राहत नहीं दी है. सुप्रीम कोर्ट के आदेश के आलोक में पटना हाईकोर्ट ने बीएड डिग्रीधारियों को प्राइमरी स्कूलों में पढ़ाने के लिए सक्षम नहीं माना है. बेंच ने एक साथ तीन अलग-अलग मामलों पर सुनवाई के बाद अपना फैसला सुनाया है. कोर्ट ने संविधान के अनुच्छेद 141 के तहत सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खुद को बंधा हुआ बताया है और राज्य सरकार को इस फैसले का पालन करने के लिए कहा है
कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा है कि छठे चरण में क्लास 1 से 5 तक के लिए जिन बीएड पास अभ्यर्थियों की नियुक्ति की गई है अब उन्हें नए सिरे से नियुक्ति प्रक्रिया का पालन करना होगा. कोर्ट ने सरकार एनसीटीई की तरफ से साल 2010 में जारी मूल अधिसूचना के मुताबिक उम्मीदवारों को नियुक्त करने के लिए कहा है. पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से यह भी कहा है कि जो शिक्षकों के पद खाली हुए हैं उसे कैसे भरा जाए इसपर भी सरकार फैसला ले. 2021 और 2022 में प्राथमिक शिक्षकों की नियुक्तियों से संबंधित याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा, “ये कहने की जरूरत नहीं है कि की गई नियुक्तियों पर फिर से काम करना होगा.”
क्या पटना हाईकोर्ट के फैसले के बाद 2020-21 में बहाल हुए करीब 22 हजार बीएड शिक्षकों की नौकरी चली जाएगी? फिलहाल पटना हाईकोर्ट के घेरे में आने वाले बीएड शिक्षकों को घबराने की जरूरत नहीं है. वे सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटा सकते हैं. हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने अभी ये नहीं बताया कि 11 अगस्त 2023 को प्राइमरी लेवल के लिए बीएड शिक्षकों पर आया फैसला कब से लागू होगा. कोर्ट का फैसला भविष्यलक्षी है या भूतलक्षी है? कोर्ट इसे जल्द ही स्पष्ट कर सकता है.
सुप्रीम कोर्ट में अगले सप्ताह अर्नब घोष की याचिका पर सुनवाई होनी है, जिसमें उम्मीद की जा रही है कि कोर्ट इस फैसले को भविष्यलक्षी यानी फैसले की तारीख के बाद से लागू कर सकता है. अगर ऐसा होता है तो हाईकोर्ट को भी उस फैसले को मानना होगा और बीएड शिक्षकों की नौकरी बच जाएगी. इससे पहले मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने भी ऐसे ही मामलों में याचिकाकर्ताओं को सुप्रीम कोर्ट के फैसले का इंतजार करने के लिए कहा है.