PM नरेंद्र मोदी की दूल्हा-दुल्हन से भारत में ही शादी करने की अपील
*मन की बात में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का दुःख झलका*
26 नवंबर, 2023 को मन की बात के 107 वें एपिसोड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देश से बाहर होने वाले डेस्टिनेशन वेडिंग और देश से बाहर जाकर शादी करने को लेकर चिंता जाहिर की है.
दूल्हा-दुल्हन से भारत में ही शादी करने की अपील क्यों कर रहे हैं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी?
नवंबर की शुरुआत के साथ ही भारत में शादियों का सीजन भी शुरू हो गया है. यहां अलग अलग शहरों में शादी के जो आंकड़े सामने आ रहे हैं उसके अनुसार अगले कुछ दिनों में यहां कम से कम 38 लाख शादियां होंगी और इन पर कम से कम 4.74 लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे.
यह आंकड़ा व्यापारियों के एक राष्ट्रीय संगठन ने जारी किया है. जिसमें लगभग 50 हजार ऐसी शादियां भी हैं जिनका खर्च एक करोड़ से भी ज्यादा होगा. भारत में होने वाली शादियों की खास बात ये है कि यहां हर बीतते साल के साथ शादियों का आयोजन भव्य और शाही होता जा रहा है.
एक वक्त था जब लोग अपने गृह नगर से पूरे परंपरा और रिवाज के साथ शादियां करते थे, लेकिन जैसे-जैसे वक्त बदल रहा है लोगों की पसंद भी बदलती जा रही है.
अमीर लोग डेस्टिनेशन वेडिंग करने विदेशों में जाना पसंद कर रहे है. ऐसा करना भले ही उन्हें या उनके परिवार को अच्छा लग रहा हो लेकिन ऐसी शादियां देश की अर्थव्यवस्था पर जरूर असर डाल रही है.
दरअसल 26 नवंबर, 2023 को मन की बात के 107 वें एपिसोड में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी देश से बाहर होने वाले डेस्टिनेशन वेडिंग और देश से बाहर जाकर शादी करने को लेकर चिंता जाहिर की है.
प्रधानमंत्री ने अपने इस संबोधन में कहा कि भारत के लोग अगर देश के बाहर जाकर शादी करने के बजाए अपने ही देश में शादियां करते हैं तो देश का पैसा भीतर ही रहेगा और अर्थव्यवस्था को मजबूती भी मिलेगी.
इस रिपोर्ट में जानते हैं दूल्हा दुल्हन विदेश में शादियां करना क्यों पसंद कर रहे हैं, डेस्टिनेशन वेडिंग के नाम पर देश का कितना पैसा बाहर जा रहा है और जानिए क्यों पीएम मोदी को करनी पड़ी देश में शादी करने की अपील….
*भारत में होने वाली शादियों में कितना खर्च होता है*
व्यापारिक संगठन की एक रिपोर्ट के अनुसार केवल राजधानी दिल्ली में ही इस सीजन चार लाख शादियां होने की उम्मीद है. उन शादियों पर सवा लाख करोड़ रुपये खर्च होंगे. जिसमें से देश में लगभग 1.25 लाख करोड़ रुपये का कारोबार होने की संभावना है. वहीं जितनी शादियां भारत से बाहर किसी अन्य देश में होगी उतना ही भारत के अर्थव्यवस्था को भी झटका लगेगा.
व्यापारिक संगठन कैट ने जो शादियों का अनुमान लगाया है उसके आधार पर, इस साल लगभग 7 लाख शादियां 3 लाख रुपये के खर्च पर होंगी. वहीं 8 लाख शादियां ऐसी हो सकती है, जिनमें हर शादियों पर 6 लाख रुपये खर्च होंगे और 10 लाख शादियां, 10 लाख रुपये प्रति शादी के खर्च के हिसाब से होंगी.
इसी रिपोर्ट के अनुसार 7 लाख शादियां ऐसी होंगी, जिन पर 15 लाख रुपये के हिसाब से खर्च किए जाएंगे. पांच लाख शादियां, ऐसी होंगी, जिन पर 25 लाख रुपये के हिसाब से खर्च होगा और 50 हजार शादियां, 50 लाख रुपये के खर्च वाली होंगी. वहीं 50 हजार शादियां ऐसा होंगी जिसमें 1 करोड़ रुपये या उससे ज्यादा के खर्च होने की उम्मीद है.
भारत से बाहर कहां ज्यादातर लोग कर रहे हैं शादियां
कैव इवेंट प्लानर के संस्थापक क्रिश एंड्रयू ने एबीपी से बातचीत में बताया कि किसी एक जगह का नाम लेना सही नहीं है. दरअसल जिस व्यक्ति के पास जितना पैसा है वह अपनी शादियों में भी उसी हिसाब से जगह चुनते हैं, कुछ लोग कम खर्च करने के लिए आसपास के देशों में चले जाते हैं. पिछले कुछ सालों में दुबई, आबू धाबी, कतर, मलेशिया, थाईलैंड, वियतनाम, इंडोनेशिया जैसे जगह पर शादी की डिमांड काफी बढ़ी हैं.
जो कपल अपने देश में ही लक्जरी वेडिंग करना चाहते हैं तो पहले किसी पैलेस या फोर्ट में शादी करते हैं. ऐसे लोग उदयपुर, जयपुर, गोवा, केरल आदि डेस्टिनेशन पसंद करते हैं. इससे कम बजट वालों के बीच कलिमपोंड, वायनाड, धर्मशाला, आगरा जैसे जगह लोकप्रिय हैं.
इवेंट प्लानर नताशा गोखले इस सवाल के जवाब में एबीपी से बातचीत में कहती हैं कि इसके पीछे कई कारण है. एक कारण तो सबको पता है कि हर किसी को अपनी शादी का दिन खास और यादगार बनाना होता है. इसके अलावा एक और कारण ये भी है कि ज्यादातर शादी में सजावट से लेकर हर छोटी छोटी चीजों की झंझट से खुद को बचाना चाहते हैं. अपने घर के बजाय वह किसी होटल में शादी करते हैं तो ये होटल मैनेजमेंट की जिम्मेदारी होगी कि शादी से जुड़े सारे सामानों का बंदोबस्त ठीक तरीके से हो. ऐसे में परिवारों को न सिर्फ इन जिम्मेदारियों से छुटकारा मिलता है बल्कि वह इस खास दिन को इंजॉय भी कर पाते हैं
कैव इवेंट एजेंसी के संस्थापक क्रिश एंड्रयू कहते हैं, किसी भी शादी में 50 प्रतिशत का खर्च सामान की खरीदारी में हो जाती है. बाकी बचे 50 प्रतिशत होटल बुकिंग वगैरह में जाती है. अब इसे ऐसे समझिए कि अगर किसी व्यक्ति ने शादी की खरीदारी पूरी तरह भारत में ही की है और शादी किसी और देश में करने जा रहे हैं तो भले ही उन्होंने सामान का 50 प्रतिशत खर्च भारत में किए हो लेकिन होटल से लेकर रहने के व्यवस्था का जो खर्च है वो दूसरे देश के पास जा रहा है.
क्रिश आगे कहते हैं, शादी का सीजन कई लोगों के लिए साल भर की कमाई का जरिया भी होता है. उदाहरण के लिए हमें ही ले लीजिए, या फिर फोटोग्राफर को , इन लोगों की ज्यादातर कमाई शादियों के सीजन में ही होती है. शादी के सीजन में ये इतना कमा लेते हैं कि किसी महीने काम कम भी मिला तो उनके पास बैकअप होता है. ऐसे में अगर ज्यादातर दुल्हा दुल्हन देश से बाहर शादियां करने लगें तो इन्हें भी नुकसान झेलना पड़ता है.
क्रिश कहते हैं भारत में इतनी महंगी शादियां होने का एक कारण भारतीय सिनेमा या बॉलीवुड सिनेमा है. हमने बचपन से ही फिल्मों में भव्य शादियां देखी हैं. आमतौर पर लड़के और लड़कियां इन्ही से प्रेरित होते हैं. उन्होंने कहा कि मेरे पास कई ऐसे जोड़े आते हैं जिनका मांग ही फिल्मों जैसी शादी होती है. मतलब उन्हें सब कुछ फिल्मों जैसा ही चाहिए. कपड़े से लेकर सजावट तक. यही एक कारण भी है कि भारत की सारी शादियों एक ही तरह की होती है.
प्रधानमंत्री ने अभी ही क्यों किया इस बात का जिक्र
डेस्टिनेशन वेडिंग को लेकर पीएम मोदी ने अभी इसलिए भी चिंता जताई है, क्योंकि भारत में तेजी से अमीरों की संख्या बढ़ती जा रही है. साल 2022 में 8 करोड़ या उससे ज्यादा की नेटवर्थ वाले अमीरों की संख्या 7,97,714 थी. अनुमान है कि साल साल 2027 तक यह बढ़कर 16,57,272 हो जाएगी. ऐसे में जाहिर है कि पैसा आने के साथ ही लोग डेस्टिनेशन वेडिंग करना चाहेंगे और अपनी शादी का ज्यादा से ज्यादा यादगार बनाना चाहेंगे.
व्यावसायिक संगठन कैट का भी ऐसा ही मानना है. बीबीसी की एक रिपोर्ट में खंडेलवाल का कहना है कि लोगों के हाथों में पैसा आ जाता है. इसलिए लड़के-लड़की की शादी में हाथ खोल कर खर्च कर देते हैं.
नाम न बताने की शर्त पर एक परिवार ने कहा कि भारत में चाहे कितना भी कम खर्च करने की क्यों न सोचे लेकिन 1 लाख तो लग ही जाते हैं. उन्होंने कहा कि हाल ही में मेरी बेटी की शादी हुई है. हमने इस शादी को जितना सिंपल हो सकता था उतना रखा. लेकिन फिर भी हमारा डेढ़ लाख के करीब खर्चा हो ही गया.