*ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के अध्यक्ष ने ‘हलाल टैग’ को बताया गैर शरई, योगी सरकार से की ये मांग*
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि सिर्फ हलाल सर्टिफिकेट दे देने से गैर शरई काम शरई नहीं हो सकता है। जो संस्थाएं इस तरह का खेल कर रही हैं तो वो मज़हब की आड़ में मुसलमानों को धोखा दे रही हैं।
आजकल हलाल सर्टिफिकेट को लेकर पूरे देश में चर्चाएं हो रही हैं। इसे लेकर लोग भी असमंजस में हैं। उत्तर प्रदेश में कार्रवाई की जा रही है, वहीं इस मुद्दे को लेकर देशभर से मुसलमान सवाल कर रहे हैं। शरीयत इस बारे में क्या कहती है, उसके बारे में पूछ रहे हैं। इस पर ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्ट्रीय अध्यक्ष मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी बरेलवी ने बृहस्पतिवार को बयान जारी किया।
मौलाना ने कहा कि सिर्फ सर्टिफिकेट के नाम से एक कागज का टुकड़ा दे देने से शरई तौर पर हराम चीज को हलाल और हलाल चीज को हराम नहीं कहा जा सकता। ऐसे लोग और वो संस्थाएं जो सिर्फ कागज का सर्टिफिकेट देकर किसी चीज को हलाल करार देते हैं तो वो दोहरी गुनहगार हैं। एक तो उन्होंने गैर शरई काम को किया कि कागज का टुकड़ा पकड़ाकर लिखकर दे दिया की ये चीज हलाल है। और दूसरा जुर्म ये कि अगर सर्टिफिकेट न दिया होता तो इंसान खुद अपने तौर पर जांच पड़ताल करके हलाल व हराम होने का पता लगा लेता। इस तरह अपने और अपने परिवार को संतुष्ट कर देता। ऐसा न करके सर्टिफिकेट देकर एक तरह से लोगों को धोखे में डाल दिया।
*क्या है हलाल*
मौलाना ने कहा कि शरई तरीका है कि मांसाहारी चीजों जानवरों की जो चार रगें होती हैं, उनमें से कम से कम तीन रगें ‘बिस्मिल्लाह अल्लाहु अकबर’ कहकर कोई मुसलमान उसे जबह (गला काटकर प्राण लेने की क्रिया) करें। उसके साथ ही एक पलभर के लिए मुसलमान की नजर से ओझल न हो, तो ये हलाल होगा। अगर इसके विपरित कोई कार्य होगा तो वो गैर शरई होगा।
उन्होंने कहा कि सिर्फ सर्टिफिकेट दे देने से गैर शरई काम शरई नहीं हो सकता है। जो संस्थाएं इस तरह का खेल कर रही हैं तो वो मज़हब की आड़ में मुसलमानों को धोखा दे रही हैं। ये ऐसा कारोबार है जो अल्लाह का नाम लेकर ही शुरू होता है और दुनिया में कोई दूसरा कारोबार ऐसा नहीं है जो अल्लाह का नाम लेकर शुरू होता हो।
*सिर्फ मीट उत्पाद पर लग सकता है ये टैग*
मौलाना ने कहा कि हलाल टैग सिर्फ मीट पर ही लगाया जा सकता है, अगर अन्य किसी दूसरे उत्पाद पर इसे लगाया जा रहा है तो ये एक अच्छे शब्द का दुरुपयोग है। इस्लामी शरीयत में हलाल शब्द सिर्फ जानवरों के मांस के संबंध में इस्तेमाल हुआ है। इसके अलावा अन्य चीजों का इस्तेमाल जायज या नाजायज हो सकता है, लेकिन उन पर हलाल का टैग नहीं लगाया जाना चाहिए।
मौलाना ने आगे कहा कि कुछ संस्थाओं ने हलाल टैग की मार्केटिंग करना शुरू कर दिया था। हर चीज पर हलाल टैग लगाने के लिए हलाल सर्टिफिकेट इशू करके कमाई का एक माध्यम बना रखा था। हद यहां तक हो गई कि सब्जियों ,फलों , बिस्किट आदि खाने-पीने की चीजों पर भी हलाल टैग लगाया जाने लगा। मुस्लिम संस्थाओं को इस तरह की भ्रमित और गुमराह करने वाली चीजों से बचना चाहिए।
मौलाना ने उत्तर प्रदेश सरकार से कहा है कि मीट की दुकानों के लाइसेंस पहले से ही प्रशासन ने जारी किए हैं, इसलिए जांच टीमें उनको परेशान न करें। मौलाना ने सरकार से मांग की है इस व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए एक हलाल बोर्ड का गठन करे, जिसमें ऐसे लोगों को जिम्मेदारी दी जाए, जो शरई तौर पर काम करने में सक्षम हो ।