*केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह का एलान ‘2024 में पहले से भी बड़े बहुमत से पीएम बनेंगे मोदी*।
एक संविधान से चलने वाले प्रजातांत्रिक देश में धर्म के आधार पर अलग कानून का क्या तर्क बनता है? इस व्यस्वस्था में भेदभाव और तुष्टीकरण निहित हैं। हमारा मानना है कि हर नागरिक के लिए समान कानून हो और समान अधिकार हो। राहुल गांधी को देश की जनता को बताना चाहिए कि उनका ऐसा क्या प्रेम है जो वो देशविरोधियों के साथ हर वक्त खड़े दिखते हैं ‘2024 में पहले से भी बड़े बहुमत से पीएम बनेंगे मोदी…’, आगामी लोकसभा चुनाव को लेकर अमित शाह ने किया बड़ा एलान
राजस्थान और छत्तीसगढ़ में वोट का तुष्टीकरण एक बड़ा मुद्दा
हर नागरिक के लिए एक समान कानून हो- अमित शाह
राहुल गांधी देश की जनता को बताएं वह देशविरोधियों के साथ क्यों रहते हैं खड़े?
आशुतोष झा, की रपट साभार नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बाद भाजपा के सबसे बड़े स्टार प्रचारक और अब तक के सबसे सफल चुनावी रणनीतिकार व केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने अपने लिए फिर से कठिन लक्ष्य रखा है। अन्य राज्यों में अहम चुनावी भूमिका निभाने के साथ-साथ वह मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ का जिम्मा सीधे तौर पर संभाल रहे हैं। ये वे दो राज्य है जहां भाजपा के लिए लड़ाई अपेक्षाकृत कठिन मानी जा रही थी। लेकिन शाह अब भरोसे से लबालब हैं। वह दावा करते हैं कि हिंदी बेल्ट के तीनों राज्यों में भाजपा ही जनता की पसंद है।
कानून व्यवस्था, आदिवासी, दलित, ओबीसी कल्याण के मोर्चे पर वह कांग्रेस को कठघरे में खड़ा करते हुए कहते हैं कि यह लड़ाई वादा कर भागने वाले और वादा निभाने वाली पार्टियों के बीच की है। पीएम मोदी की कल्याणकारी योजनाओं ने देश की 70 प्रतिशत आबादी का जीवन बदल दिया है। इसी आधार पर अगले लोकसभा चुनाव मे भी मोदी सरकार बहुत बड़े बहुमत से बनेगी। दैनिक जागरण के राजनीतिक संपादक आशुतोष झा ने गृह मंत्री अमित शाह से विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। पेश हैं बातचीत के मुख्य अंश:
सवाल : पांच राज्यों के चुनाव को लेकर आपका आकलन क्या है?
जवाब : तेलंगाना विधानसभा चुनाव में अभी काफी वक्त है, लेकिन तीनों हिंदी बेल्ट के राज्यों यानी मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और राजस्थान में हमारा लगातार दौरा चल रहा है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में लगभग ढाई महीने से गहराई से देख रहा हूं। इन तीनों राज्यों में कांग्रेस के खिलाफ माहौल है। मध्य प्रदेश में कांग्रेस के डेढ़ साल की सरकार के कुशासन को जनता अभी तक नहीं भूली है। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में कानून व्यवस्था, भ्रष्टाचार और विकास पथ से भटके प्रशासन का बहुत गहरा असर जनता के मन पर है। इसके साथ-साथ इन दोनों राज्यों में विपक्ष में होने के बावजूद कोई भी केंद्र पर यह आरोप नहीं लगा पाया कि उनके साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है। मोदी सरकार ने विकास का एजेंडा बहुत अच्छी तरह रखा है। खासकर शहरी और युवा मतदाताओं के मन पर इसका भी असर है। जीत का आकार क्या होगा, यह अभी नहीं कह सकते है लेकिन मेरा आकलन है कि इन तीनों राज्यों में भाजपा की सरकार बनने जा रही है।
सवाल : आपने मध्य प्रदेश में कांग्रेस के डेढ़ साल की सरकार के खिलाफ सत्ताविरोधी लहर की बात की लेकिन भाजपा तो 2003 से लगातार है। क्या उसके खिलाफ कोई लहर नहीं होगी?
जवाब : देखिए, राजनीति में आपकी कार्यशैली का असर होता है। गुजरात में तो हम 1995 से हैं। पिछली बार तो अब तक के इतिहास में सबसे बड़ी जीत मिली। जब आप सत्ता में हैं तो काम क्या करते हैं, कैसे करते हैं, गरीबों के लिए आपकी सोच कितनी गहरी है, आप हर किसी को समान ²ष्टि से देख पाते हैं या नहीं, इन सबका असर होता है। मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में कांग्रेस ने गरीबों के कल्याण की योजनाएं बंद कर दीं। विकास की योजनाएं बंद हो गईं और लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ा। राजस्थान और छत्तीसगढ़ में तो वोट का तुष्टीकरण भी बहुत बड़ा चुनावी मुद्दा है। जब वोट बैंक का लालच कानून व्यवस्था को प्रभावित करने लगे तो जनता की प्रतिक्रिया बहुत तेज होती है। इन दोनों राज्यों में मुझे यह स्पष्ट दिखता है।
सवाल : कुछ महीने पहले कर्नाटक के चुनाव हुए थे और उस समय भी भाजपा जीत को लेकर आश्वस्त थी। लेकिन उल्टा हुआ था।
जवाब : हां, वहां हमारी पार्टी जीत हासिल नहीं कर सकी। उसे लेकर हमारा आकलन सही नहीं निकला। मुझे लगता है कि हम वहां की जनता को नहीं समझा सके या उन्होंने हमारी बात नहीं सुनी। लेकिन आप भी देख रहे हैं कि महज कुछ महीनों में ही वहां की जनता कांग्रेस सरकार से त्राहिमाम है। आप लोकसभा चुनाव में देख लेना, भाजपा उसी कर्नाटक में स्वीप करेगी।
सवाल : वादे करना और वादों को पूरा करना दो अलग अलग बाते हैं। क्या कर्नाटक में मिली पराजय का कारण इस बार के चुनावों में भाजपा का अपनी स्ट्रैटजी बदलना है। परंपरा से हटकर विधायकों के टिकट कम काटे, नेताओं के परिवार के बच्चों को टिकट दीं। कुछ भय था।
जवाब : ऐसा बिल्कुल नहीं है। पार्टी इस आधार पर फैसले नहीं लेती है। ऐसा तो नहीं है कि भाजपा पहले कभी चुनाव नहीं हारी है। यह सच है कि जीतने की क्षमता सबसे पहली शर्त होती है। उसी आधार पर फैसले होते हैं। कई बार विकल्प कम होते हैं तो उस स्थिति के आधार पर फैसले होते हैं।
सवाल : जिस हिसाब से बड़ी संख्या में सांसद व केंद्रीय मंत्री विधानसभा चुनावों में उतारे गए हैं, वैसा पहले तो नहीं हुआ।
जवाब : हर चुनाव एक जैसा होता है क्या? फिर हर चुनाव एक ही तरह से क्यों लड़े जाएंगे? ऐसे ढेर सारे सांसद हैं जो लंबे समय से राज्य की राजनीति से बाहर रहकर केंद्र की राजनीति कर रहे हैं। अगर किसी में राज्य की राजनीति में जाने की इच्छा है तो उनके लिए यह एक व्यवस्था है।
सवाल : पार्टी के वर्तमान मुख्यमंत्री शिवराज सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे तथा रमन सिंह के लिए राज्य की राजनीति का मार्ग बचा हुआ है या बंद माना जाए।
जवाब : ये तीनों तो चुनाव लड़ रहे हैं। फिर रास्ता बंद होने की बात कहां आती है।
सवाल : छत्तीसगढ़ में आप सरकार बनाने की बात तो कर रहे हैं। क्या महादेव एप घोटाले की घटना के बाद भाजपा यह परिवर्तन देख रही है?
जवाब : महादेव एप मामले का राजफाश होने का असर भी होगा लेकिन वहां की सरकार तो पहले से ही हर स्तर पर भ्रष्टाचार के मामलों में घिरी रही है। अलग-अलग तरह के घोटालों की बातें आती रही हैं। लोग महसूस करते हैं कि उनके यहां भ्रष्टाचारी सरकार है।
सवाल : इन चुनावों के छह महीने बाद ही लोकसभा चुनाव है। क्या इनके नतीजों का कोई असर लोकसभा चुनाव पर पड़ेगा।
जवाब : दोनों अलग चुनाव होते हैं। हम ये चुनाव जीत रहे हैं, लेकिन पिछली बार तो हम इसी समय में पांच राज्यों में हारे थे लेकिन लोकसभा चुनाव में इन राज्यों की 80 प्रतिशत से ज्यादा सीटें जीतीं। 80 प्रतिशत इसलिए कि तेलंगाना में उस वक्त हमारा बड़ा जनाधार नहीं था वरना जैसी आज की स्थिति है, उसके अनुसार 90 प्रतिशत से ज्यादा सीटें जीतते। आप 2024 का इंतजार कीजिए। मोदी जी पहले से भी भारी बहुमत से जीतकर फिर से प्रधानमंत्री बनेंगे।
सवाल : चुनाव नतीजों पर असर नहीं पड़ता हो लेकिन क्या हार-जीत के कारण गठबंधन के नेता के रूप में कोई दबाव बढ़ता या घटता है।
जवाब : कम के कम राजग पर तो कोई राजनीतिक दबाव नहीं पड़ता है। सभी दल अपनी स्वीकार्यता और क्षमता के अनुसार ही सीटों की मांग भी करते हैं।
सवाल : विपक्षी एकता के लिए आप इस चुनाव को कैसे देखते हैं?
जवाब : पहली बात तो यह है कि विपक्षी एकता है कहां? यह तो एक छलावा है। बिहार मे तो पहले ही एक हैं, कश्मीर और तमिलनाडु में भी वही हालात हैं। पंजाब और दिल्ली में एकता होनी नहीं है, तेलंगाना में भी नहीं हो सकता। बाकी राज्यों में भाजपा और कांग्रेस ही हैं। तो फिर किस नई एकता की बात हो रही है।
सवाल : भाजपा किस आधार पर वोट मांग रही है?
जवाब : विकास और गरीब कल्याण पर। देखिए हर राज्य में 60 से 70 प्रतिशत मतदाताओं के जीवन में परिवर्तन स्पष्ट रूप से दिखाई दे रहा है। कोविड के कारण मिला फ्री अनाज और बाद में उसे बढ़ाया जाना, बिजली, पानी, गैस, शौचालय, पांच लाख रुपये तक का आयुष्मान भारत, बच्चों की पढ़ाई लिखाई व्यवस्था आदि ने करीब दो-तिहाई आबादी का जीवन बदला है। इसके साथ-साथ अन्य उपायों के कारण देश की समृद्धि और देश का सम्मान बढ़ा है। वह चाहे जी20 हो, चाहे नई संसद का निर्माण, कर्तव्यपथ हो या चंद्रयान का चांद पर पहुंचना। लोगों के जीवन और मन में उत्साह बढ़ा है। हाल ही में मोदी सरकार ने महिला आरक्षण कानून बना दिया। हर वर्ग मोदी सरकार के सुशासन से प्रभावित है। हम तो इसी आधार पर वोट मांगते हैं।
सवाल : मुफ्त राशन को पांच साल तक लागू करने की घोषणा को बड़ा दाव माना जा रहा है। क्या लोकसभा चुनाव से पूर्व ऐसी कुछ और घोषणाएं हो सकती हैं?
जवाब : देखिए, हम चुनाव के कारण फैसला नहीं लेते हैं। इसे चुनाव से जोड़ना भी नहीं चाहिए। हर व्यक्ति को जनधन अकाउंट से जोड़ने का विषय आया तो कहां चुनाव था, हर घर शौचालय का फैसला लिया गया तो कहां चुनाव था, जब गैस देने का फैसला लिया गया तो कहां चुनाव हो रहा था? शासन का काम है कि गरीबों के सुव्यवस्थित विकास का रोडमैप बनाए। इसे चुनाव की दृष्टि से नहीं देखना चाहिए।
सवाल : कांग्रेस तो यह आरोप लगाती है कि भाजपा पिछड़ा विरोधी है। ओबीसी को लेकर घमासान मचा है।
जवाब : देखिए भाई, कांग्रेस को जैसी राजनीति करनी है वह करे लेकिन पूरा देश जानता है कि कांग्रेस ने पिछड़ों को कैसे पीछे धकेलकर रखा। काका कालेलकर की रिपोर्ट को किसने दबा कर रखा, वह तो जवाहर लाल नेहरू के समय से आ रहा है। मंडल आयोग की रिपोर्ट को किसने रोका, ओबीसी आयोग को संवैधानिक दर्जा कांग्रेस ने रोके रखा, मोदी जी ने दिया। कांग्रेस ने ओबीसी को कभी भी सेंट्रल पूल में शिक्षा मे आरक्षण नहीं दिया, हमने दिया। नीट, केंद्रीय विद्यालय, पेट्रोल पंप के आंवटन में आरक्षण दिया। परंपरा देख लीजिए। आदिवासी मंत्रालय भाजपा के समय में बना, आदिवासी आयोग भाजपा के समय बना, पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति हमारे समय में बनीं। कांग्रेस हम पर आरोप लगा रही है, क्या लोगों ने कांग्रेस का इतिहास नहीं देखा है? भई, सबसे ज्यादा ओबीसी सांसद-विधायक हमारे हैं, सरकारों में सबसे ज्यादा प्रतिनिधित्व भाजपा ने ही दिया है। उन्हें भोंपू लेकर चिल्लाने दीजिए। उनका काम है चीखना, हमारा काम है सिर्फ काम करना।
सवाल : ओबीसी के वर्गीकरण को लेकर आपकी सरकार ने एक आयोग का गठन किया था और उसकी रिपोर्ट आ चुकी है। उसका क्या हो रहा है?
जवाब : रिपोर्ट पेश की गई है, कैबिनेट के समक्ष आएगी और उसके बाद ही कुछ कह पाऊंगा।
सवाल : हिमाचल प्रदेश चुनाव के वक्त पुरानी पेंशन स्कीम का बड़ा मुद्दा बना था और अब फिर राजनीतिक रंग ले रहा है।
जवाब : हां, कइयों की मांग है कि यह होना चाहिए। दूसरी तरफ यह भी समझना जरूरी है कि इसका आने वाले समय पर बजट पर क्या असर होगा। भारत सरकार ने एक कमेटी बनाई है। उसकी रिपोर्ट आने दीजिए।
सवाल : लोकसभा चुनाव का सबसे बड़ा एजेंडा क्या होगा जिसके आधार पर आपको लगता है तीसरी बार बहुमत का आंकड़ा पार हो सकता है?
जवाब : देश में सबसे बड़ा वोट युवाओं का है और प्रधानमंत्री मोदी उन युवाओं के मन में भारत के मजबूत भविष्य की छवि को बनाने में सफल रहे हैं। उन युवाओं मे इस आशा का संचार हुआ है कि जब मेरा वक्त आएगा तो भारत की नींव इतनी शक्तिशाली होगी कि हमारी सुनी जाएगी। यही उत्साह भारत को भी ताकत देता है, भाजपा को भी ताकत देता है। बाकी मैंने आपको शुरूआत में कहा कि किस तरह मोदी सरकार की गरीब कल्याणकारी योजनाओं से देश की बहुत बड़ी आबादी को बल मिला है। उन्हें सम्मान के साथ, सिर उठाकर जीने का बल मिला है। भाजपा का राजनीतिक एजेंडा कुछ अलग नहीं है। हमें स्वर्णिम भारत का निर्माण करना है उसमें हर किसी का साथ चाहिए।
सवाल : पहले आपने तीन तलाक हटाया और अब समान नागरिक संहिता लाने की तैयारी हो रही है। विपक्ष का आरोप है कि यह धर्म विशेष के विरुद्ध भाजपा की राजनीति का हिस्सा है।
जवाब : जी नहीं, देश में समान कानून हो ये हमारे संविधान निर्माताओं की सोच थी। समान नागरिक संहिता (यूसीसी) को हमारे संविधान निर्माताओं ने संविधान के अनुच्छेद 44 में निर्देशक तत्व के तहत परिभाषित किया है। साथ ही माननीय न्यायालय ने भी कई अवसरों पर इस प्रविधान का हवाला देते हुए सरकारों को पुनर्निर्देशित किया है। लेकिन दुर्भाग्यवश कांग्रेस ने वोटबैंक के लालच में संविधान निर्माताओं की सोच और न्यायालय के निर्देशों की अवेहलना की। आप ही बताओ कि एक संविधान से चलने वाले प्रजातान्ति्रक देश में धर्म के आधार पर अलग कानून का क्या तर्क बनता है? इस व्यवस्था में भेदभाव और तुष्टीकरण निहित हैं। हमारा मानना है कि हर नागरिक के लिए समान कानून हो और समान अधिकार हो। आप हमारा नौ वर्ष का कार्यकाल देख लीजिए। हमने बिना भेदभाव के हर योजना को हर नागरिक तक पहुंचाया है बिना उसका धर्म देखे। धर्म देख कर राजनीति करना कांग्रेस की फितरत है और इसी वजह से तीन तलाक जैसा अभिशाप मोदी जी के आने तक चल रहा था। मोदी जी ने मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक के दंश से मुक्त करने का ऐतिहासिक काम किया है।
सवाल : आपके रोहिंग्या के विरुद्ध अभियान को विपक्ष मानव अधिकार हनन के रूप में बताता है।
जवाब : मोदी सरकार ने रोहिंग्याओं व अन्य घुसपैठियों को देशभर में ढूंढने का अभियान चलाया हुआ है और अभी तीन दिन पहले ही एनआइ को इसमें एक बहुत बड़ी कामयाबी मिली है जिसमें एक साथ दस राज्यों में 44 घुसपैठियों को पकड़ा गया है। ये कोई एक अलग-थलग कार्रवाई नहीं है, यह एक समन्वित अभियान है जिसमें भारत के अलग-अलग हिस्सों से घुसपैठियों को पकड़ना जारी रहता है। यह समझना जरूरी है कि शरणार्थी और घुसपैठियों में बहुत अंतर होता है। रोहिंग्या घुसपैठिये हैं और कांग्रेस ने हमेशा मानवाधिकार की आड़ में तुष्टीकरण की राजनीति की है। लेकिन हमारे लिए देश की सुरक्षा और हमारे नागरिकों के अधिकार सर्वोपरि हैं। इस विषय पर मेरी स्पष्ट राय रही है कि हम इनको चिह्नित करने और इनके नेटवर्क को समाप्त करने के लिए संकल्पित हैं। ये भारत की सुरक्षा और उसके नागरिकों के अधिकारों का सवाल है।
सवाल : पीएफआइ पर आपने बैन लगाया। इसे लेकर भी विपक्ष के कई दल सवाल खड़ा करते हैं।
जवाब : पीएफआइ या उसके जैसे अन्य अलगाववादी संगठन न सिर्फ भारत की एकता, सुरक्षा और समृद्धि के लिए खतरा हैं बल्कि धार्मिक कट्टरता फैलाने वाले ये लोग मानवता के भी सबसे बड़े विरोधी हैं। मोदी सरकार की इनके विरुद्ध जीरो टालरेंस की स्पष्ट नीति है, हम इनको जड़ समेत उखाड़ फेंकने के लिए कटिबद्ध हैं। पीएफआइ पर जिस तरह की कार्रवाई हमने की, वो पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल है। पूरे देश में एक साथ जिस तरह इनके प्रमुख नेताओं को हमने पकड़कर इसको बैन किया, उससे भारत में आतंकवाद का पोषण करने वालो की कमर टूट गई है। लेकिन ये आइएनडीआइए गठबंधन वालों को इस पर भी एतराज है और वह इन देश विरोधियों पर की गई कार्रवाई का विरोध करते हैं। राहुल गांधी को देश की जनता को बताना चाहिए कि उनका ऐसा क्या प्रेम है जो वो इन देशविरोधियों के साथ हर वक्त खड़े दिखते हैं?
सवाल : आप हर भाषण में राम मंदिर का मुद्दा उठाते हैं। विपक्ष इसे चुनावी राजनीति बता रहा है।
जवाब : भाजपा के लिए राम मंदिर कभी भी राजनीति का विषय नहीं रहा, राम जन्मभूमि और प्रभु श्री राम असंख्य लोगों की आस्था के प्रतीक हैं। अयोध्या में राम मंदिर का निर्माण उसी आस्था का सम्मान है। इसको चुनाव की दृष्टि से देखना बहुत संकीर्ण होगा। भव्य राम मंदिर का निर्माण कार्य अंतिम दौर में है और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति में श्री राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी 2023 को होने वाली है। हर भारतवासी ही नहीं, संपूर्ण विश्व के सनातनियों के लिए यह एक गर्व का दिन होगा। हमें हर्ष है कि 550 साल से चले आ रहे इस संघर्ष का समाधान उस समय हुआ जब मोदी देश के प्रधानमंत्री हैं। इस अवसर पर मैं लाखों कारसेवकों और दिवंगत अशोक सिंघल जैसे नेताओं को भी नमन करता हूं जिनके संघर्ष के बिना यह संभव नहीं था। 70 सालों तक प्रभु श्री राम को तंबू में रखने वाली और राम मंदिर के निर्णय को कोर्ट में निरंतर टालने वाली कांग्रेस को आज अयोध्या में बनता गगनचुंबी राम मंदिर आंखों में चुभना स्वाभाविक है।
सवाल : जम्मू कश्मीर में चुनाव कब होंगे और अनुच्छेद 370 हटाने के बाद वहां क्या परिवर्तन हुआ है?
जवाब : मोदी सरकार प्रजातांत्रिक व्यवस्था पर विश्वास रखती है। मैंने हमेशा से कहा है कि जम्मू कश्मीर में चुनाव कराना चुनाव आयोग का विषय है। वहां पर परिसीमन की प्रक्रिया समाप्त हो चुकी है। मुझे विश्वास है कि चुनाव आयोग इस विषय पर जल्द ही कोई निर्णय लेगा। जहां तक जम्मू कश्मीर की वर्तमान स्थिति का प्रश्न है, केंद्र के शासन में वहां वो हो रहा है जो पहले कभी नहीं हुआ। पत्थरबाजी खत्म हो गई है और जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद आज अपनी अंतिम सांसें गिन रहा है। आतंकवाद और उसका पोषण करने वालों के महिमामंडन पर पूर्णत: प्रतिबंध लगा दिया गया है। बंद और आतंकियों के जनाजे अब कश्मीर में निकलना इतिहास की बात हो गई है। इस वर्ष रिकार्ड संख्या में दो करोड़ से ज्यादा सैलानी गए। सांस्कृतिक विरासत की पुनर्स्थापना हो रही है। खीर भवानी मेला हो या श्री अमरनाथ यात्रा, वहां तीर्थ यात्रियों का हुजूम उमड़ रहा है। डल झील की रौनक वापस लौट आई है। निजी निवेश लगातार आ रहा है और आइआइएम, मेडिकल कालेज, इंजीनियरिंग कालेज खोले जा रहे हैं। सड़क, पुल, सुरंगे, रेलवे, सिचाई, बिजली उत्पादन के नए प्रकल्पों द्वारा घाटी में इंफ्रास्ट्रक्चर तेजी से मजबूत हो रहा है। कश्मीरवासियों का प्रजातांत्रिक व्यवस्था में भरोसा लौटा है जिसका उदाहरण पंचायत और शहरी निकाय चुनावों में रहा भारी वोटर टर्न आउट है।
सवाल : नागरिकता कानून कब लागू होने वाला है? कहीं ऐसा तो नहीं कि 2024 लोकसभा चुनावों में आप सीएए को राजनीति मुद्दे के रूप में इस्तेमाल करने वाले हैं और इसीलिए इसके क्रियान्वयन में विलंब किया जा रहा है?
जवाब : सीएए कानून देश की संसद से पारित हो गया है और इसके क्रियान्वयन की प्रक्रिया प्रगति में है। पहले कोविड के कारण इसमे विलंब हुआ है लेकिन आप मानकर चलें कि इसका लागू होना निश्चित है। इतने संवेदनशील विषयों को राजनीति का मुद्दा बोलना सही नहीं होगा। सर्वविदित है कि भारत की आजादी के समय विभाजन में ऐसे हालत उत्पन्न हुए कि लाखों लोग बेघर हुए और हजारों की जाने गईं। उस समय काफी लोग तो पलायन कर गए पर कुछ लोग रह गए। उस समय गांधी जी, नेहरू जी, सरदार पटेल और हमारी संविधान सभा ने वो भयावह हालत देखकर वहां रह गए लोगों को यह आश्वासन दिया था कि अगर उन पर कभी उस देश में धार्मिक प्रताड़ना हो तो वे भारत आ सकते हैं। हमने पिछले सात दशकों में देखा कि पड़ोसी देशों में अल्पसंख्यकों के प्रति किस तरह का व्यवहार हुआ। उनकी आबादी को लगभग समाप्त की ओर ले जाया गया, ऐसे में वो क्या करते? शायद उन्हें गांधी जी की बात याद रही होगी और वो भारत आ गए। हमारा भी फर्ज है कि हमारे बड़े नेताओं ने आजादी के समय जो वादा किया था वो हम पूरा करें। विडंबना देखिए, गांधी जी का नाम उधार लेकर चल रही कांग्रेस पार्टी ने अपनी तुष्टीकरण की राजनीति के लिए गांधी जी के वादे को ही मानने से इनकार कर दिया और इसका विरोध किया। मैं सौभाग्यशाली हूं कि मोदी जी के नेतृत्व में इस बिल को पायलट करने का सौभाग्य मुझे मिला। हम जल्द ही इसको लागू भी करेंगे।
सवाल : आपने आइपीसी, सीआरपीसी और एविडेंस एक्ट में संशोधन कर नए नवेले तीन कानून बनाने का बिल पास किया है और इसे अंग्रेजों के जमाने के कानूनों से निजात बताया। लेकिन विपक्ष इसे पुराने कानूनों में सिर्फ मामूली फेरबदल बता रहा है।
जवाब : ब्रिटिश मानसिकता में जीने वालों से और क्या उम्मीद की जा सकती है। उन्हें शायद 19वीं सदी के गुलाम भारत और 21वीं सदी के नए और आकांक्षी भारत का अंतर समझ में नहीं आता है। खैर, मैं उनसे पूछना चाहता हूं कि गुलाम भारत और आजाद भारत में देशद्रोह का मतलब और प्रभाव में कोई अंतर है या नहीं? हत्या बड़ा जुर्म है या फिर चोरी? आप ही बताइए,आज फारेंसिक विज्ञान और नई तकनीक के बिना हमारी न्याय व्यवस्था कैसी होगी? हमारा वर्तमान का खराब कन्विक्शन रेट और न्याय मिलने में विलंब का प्रमुख कारण दकियानूसी कानून ही रहे हैं। भारतीय न्याय संहिता, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम न सिर्फ गुलामी की मानसिकता से आजादी हैं बल्कि 21वीं सदी के भारत में कानून और न्याय की आवश्यकताओं को पूरा करने वाले आधुनिक और युगानुकूल है। यह पीएम मोदी की दूरदर्शी सोच का ही परिणाम है। शीघ्र ही देश को गतिशील और प्रभावी न्याय व्यवस्था को बल देने वाले तीन कानून मिलने वाले हैं।
सवाल : आपने गृह मंत्री बनने के बाद नक्सलवाद को समाप्त करने के लिए बहुत काम किया लेकिन हम देखते हैं छत्तीसगढ़ में अभी भी नक्सली हिंसा पूरी तरह समाप्त नहीं हुई है।
जवाब : ये एक बड़ी लड़ाई थी। नक्सलवाद की जबसे शुरुआत हुई तबसे 2014 तक जो कार्रवाई हुई, उससे कई गुना ज्यादा मोदी सरकार आने के बाद हुई। हमने नक्सलवाद को जड़ से समाप्त करने का संकल्प लिया है। हमने आक्रामक नीति को अपनाया। इनके वित्तीय पोषण पर लगाम लगाई, जिससे ये लगभग असहाय हो गए। 2010 में 96 जिले नक्सलवाद की घटनाओं को रिपोर्ट करते थे, आज नक्सलवाद की घटनाएं सिकुड़ कर सिर्फ 45 जिलों तक सीमित रह गई हैं। नक्सलियों से लड़ने वाले सुरक्षाकर्मियों की मृत्यु में 94 प्रतिशत की कमी आई है। नागरिकों की हत्याओं में 87 प्रतिशत और वामपंथ उग्रवाद की घटनाओं में 76 प्रतिशत की कमी आई है। ये बताता है कि हमारी दिशा भी ठीक है और नीति भी। हमारे सुरक्षाबलों ने इनके कोर एरिया में घुसकर 100 से अधिक स्थायी कैंप बनाए हैं। बूढा पहाड़ और चक्रबंधा को 30 साल बाद नक्सलियों से मुक्त करवाया गया है। मुझे विश्वास है कि हम जल्द ही नक्सलवाद मुक्त भारत को साकार होता देखेंगे