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दागी हाथों से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाला राहत का हकदार नहीं

*आरोपी बिल्डर को जमानत देने से इंकार किया न्यायाधीश ने और कहा दागी हाथों से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाला राहत का हकदार नहीं*

लखनऊ से प्रेमशंकर अवस्थी की रपट * धोखाधड़ी का मामला कानपुर नगर के थाना सिसामऊ का है। गांधी नगर निवासी आशा सिंघानी ने याची मोहमार रिजवान, पंकज मेहरोत्रा और विभव मेहरोत्रा के खिलाफ धोखाधडी और फ्लैट दिलाने के नाम पर लाखों रुपये हड़पने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करवाई थी।

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धोखाधड़ी और लाखों रुपये हड़पने के आरोपी बिल्डर को अग्रिम जमानत देने से इन्कार करते हुए कहा की दागी हाथों से हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाने वाला याची राहत पाने का हकदार नहीं हो सकता। याची बिल्डर ने अपना आपराधिक इतिहास को छुपा याचिका दाखिल की थी आदेश न्यायमूर्ति शेखर कुमार यादव ने कानपुर नगर के मोहम्मद रिजवान की ओर से दाखिल अग्रिम जमानत अर्जी को खारिज करते हुए दिया।
मामला कानपुर नगर के थाना सिसामऊ का है। गांधी नगर निवासी आशा सिंघानी ने याची मोहमार रिजवान, पंकज मेहरोत्रा और विभव मेहरोत्रा के खिलाफ धोखाधडी और फ्लैट दिलाने के नाम पर लाखों रुपये हड़पने का आरोप लगाते हुए एफआईआर दर्ज करवाई थी। आरोप लगाया था कि तीनों आरोपियों ने गांधी नगर में फ्लैट बेचने का एग्रीमेंट उसके पति रमेश चंद्र के साथ किया था।
जिसके एवज में उन्होंने इस वादे के साथ लाखों रुपये वसूले थे कि अगले दो वर्षो में फ्लैट तैयार होते ही कब्जा और रजिस्ट्री करा दी जाएगी। लेकिन निर्धारित समय बीतने के बावजूद उन्होंने न फ्लैट की रजिस्ट्री करवाई और न ही कब्जा दिलवाया। रुपये वापस करने के नाम उनके पति को 23 लाख रुपये का चेक दिया था, जिसमे 12 लाख का चेक अनादृत हो गया। इस सदमे से उसके पति मानसिक तनाव के कारण बीमारी के शिकार भी हो गए। जब इस दंपती ने वकील के जरिए बिल्डरों को नोटिस भिजवाया तो उन्होंने उनके बेटे को सपरिवार जान से मारने की धमकी दी।
धोखाधड़ी, गबन और जान से मारने की धमकी देने के आरोप में दर्ज मुकदमे में गिरफ्तारी से बचने के लिए तीनों आरोपियों ने हाईकोर्ट में अग्रिम जमानत याचिका दाखिल की थी। हाईकोर्ट ने पंकज मेहरोत्रा और विभव मेहरोत्रा की अग्रिम जमानत तो मंजूर कर ली लेकिन चमनगंज थाना क्षेत्र के निवासी मोहम्मद रिजवान की अर्जी खारिज कर दी।
रिजवान के खिलाफ नौ आपराधिक मामलों का इतिहास था, लेकिन याचिका में उसने अपने विरुद्ध किसी भी आपराधिक इतिहास से इन्कार किया था। कोर्ट ने कहा कि याची ने स्वच्छ हाथों से हाईकोर्ट का दरवाजा नही खटखटाया है, कोर्ट को गुमराह करने का प्रयास किया है इसलिए वह राहत पाने का हकदार नहीं है। कोर्ट ने रिजवान की अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी।

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