*वर्ष 2002 में मुख्यमंत्री रहते जालसाजी मामले में कोर्ट ने दिग्विजय सिंह व राजा पटेरिया के विरुद्ध दिए जांच के आदेश*
वर्ष 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह तथा तत्कालीन तकनीकी शिक्षा मंत्री राजा पटेरिया द्वारा सत्यसांई इन्स्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के तत्कालीन संचालक सुनील कपूर के साथ मिलकर की गई धोखाधड़ी के अपराध में विशेष न्यायाधीश एमपी एम एल ए जज भोपाल तथागत याग्निक न्यायालय ने थाना एमपी नगर भोपाल को इस मामले की जांच करने के आदेश दिए हैं
*फरियादी वरिष्ठ पत्रकार राधावल्लभ शारदा की ओर से अधिवक्ता यावर खान द्वारा प्रस्तुत परिवाद पर न्यायालय ने संज्ञान लेकर आदेश दिए हैं*
— पूर्व में भी आरकेडीएफ कॉलेज की कथित तरीके से 24 लख रुपए फीस माफ कर शासन को हानि पहुंचाने के अपराध में आर्थिक अपराध ब्यूरो में दिग्विजय सिंह के विरुद्ध प्रकरण दर्ज हुआ था- विवेचना अधिकारी ने दिग्विजय सिंह के कथन लिए थे और दिग्विजय सिंह से पूछा था कि उन्होंने आरकेडीएफ कॉलेज की फीस माफ करने के मामले में प्रस्तुत नस्ती में अपने मन से अतिरिक्त कॉलेज सत्यसांई इन्स्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी का नाम क्यों जोड़ा?
तब दिग्विजय सिंह ने अपने जवाब में यह बताया था कि – यह देखने का काम मुख्य सचिव का था
परंतु तत्कालीन मुख्य सचिव आदित्य विजय सिंह ने अपने नोटशीट में लिखा था कि आरकेडीएफ कॉलेज पर लगे जुर्माने को माफ किया गया तो इससे अन्य संस्थाओं पर विपरीत संदेश जाएगा इस बात को नजरअंदाज करते हुए दिग्विजय सिंह ने केवल आरकेडीएफ कॉलेज की फीस ही नहीं माफ की बल्कि एक अन्य अपराध करते हुए कूट रचना करते हुए अपनी नोट शीट में अपने हाथ से आरकेडीएफ कॉलेज के साथ सत्यसांई इन्स्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी का नाम भी लिखकर दोनों कॉलेज पर लगा 24 लख रुपए का जुर्माना भी माफ कर 5 लाख कर दिया
*इससे मध्य प्रदेश शासन को कुल 29 लाख रूपयों की राजस्व हानि हुई थी –कोर्ट ने इस मामले की जांच 15 जुलाई तक पेश करने के आदेश दिए हैं*
24 लाख रुपए का जुर्माना 5 लाख रुपए किया, जुर्माना आर के डी एफ कालेज पर अनियमितता के लिए था जबकि विभाग के नियमों के अनुसार प्रथम एवं द्वितीय अनियमितता पर जुर्माना लगाया जाएगा और यदि तीसरी गलती की जाती है तो मान्यता निरस्त की जाती है
परन्तु सारे नियमों को नजरंदाज कर आर के डी एफ कालेज के साथ सत्य साईं इन्स्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी को जोड़ा गया इस तरह एक कालेज का जुर्माना दो से लिया गया मतलब 2 लाख 50 हजार एक से।
बड़ा प्रश्न यह है कि सत्यसांई इन्स्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी ने क्या अनियमितता की,
राज्य आर्थिक अपराध अन्वेषण ब्यूरो ने जांच में इस मामले को नजरंदाज किया कारण समझ से परे है या यह कहें कि हाई प्रोफाइल व्यक्ति अथवा भारी संख्या में लेन देन हुआ।
जब भोपाल न्यायालय में प्रकरण विचाराधीन था तब दो अनजान लोगों ने घर आकर धमकी दी थी कि राजा साहब के प्रकरण से हट जाओ नहीं तो मारे जाओगे। एफआईआर दर्ज नहीं हुई।