Hindi हिंदी पत्रकारिता दिवस पर एक छोटी सी भेंट पूरे देश से आबाज उठे संविधान में चौथे स्तंभ को जोड़ने की*
लोकतंत्र में पिछले कुछ समय पहले संसद को लोकतंत्र का पहला स्तंभ कहा जाता था क्योंकि संविधान में संशोधन करने का अधिकार था।
समय का फेर, लोकसभा में ध्वनी मत से पारित नियमों को दरकिनार कर दिया जाने लगा न्यायपालिका द्वारा,
पहला स्तंभ विधायिका, फिर न्यायपालिका,
अब कार्यपालिका पसो पेश में विधायिका के अनुसार चले या न्यायपालिका के अनुसार तो उसने भ्रष्ट तंत्र का सम्मान करते हुए ग्रहण किया।
देश के जिस संविधान को बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर द्वारा बनाया गया उसमें इन तीनों पर नजर रखने बालों को कहीं स्थान नहीं दिया। यह एक विचारणीय विषय है अब जरुरत है संविधान में संशोधन कर चौथे स्तंभ के रूप में पत्रकारिता को स्थान देने का।
आज नहीं स्वतंत्रता दिलाने के लिए जो योगदान पत्रकारिता ने दिया था और आज उसे बनाए रखने के लिए जो योगदान दे रहा है बह स्वर्ण अक्षरों में लिखा जाना चाहिए।
आज जब लोकतंत्र के तीन स्तंभ समाज के लिए मनमानी पर आतुर होते हैं और तानाशाह बनकर भ्रष्टाचार की चरम सीमा पार करते हैं तब समाज पत्रकारिता का सहारा लेता है वही पत्रकार समाज का मददगार बनकर अपनी कलम की ताकत से समाज के साथ खड़ा होता है…
हिंदी पत्रकारिता दिवस की शुभकामनाएं..
राधावल्लभ शारदा
प्रांतीय अध्यक्ष
एम पी वर्किंग जर्नलिस्ट यूनियन, भोपाल