लोकसभा चुनाव के पहले चरण में मतदान प्रतिशत कम होना चिंता का विषय। ठोस कदम की आवश्यकता,
लगभग 35 सांसद निर्विरोध निर्वाचित घोषित किए गए थे अन्य चुनाव में।
गुजरात के सूरत से भाजपा सांसद के चुनाव को लेकर बड़ा बवाल।
भोपाल,2024 में लोकसभा चुनाव की चर्चा आम मतदाता कर रहा है,जब जन मानस के मध्य चुनाव को लेकर चर्चा है तो फिर मत प्रतिशत कम क्यों,
गर्मी का मौसम, शादी विवाह के कार्यक्रम, और सबके बड़ा मतदान के दिन छुट्टी,।बस छुट्टी मतदान के लिए है परन्तु बहुत से लोगों के द्वारा इस छुट्टी का दुरुपयोग करते हैं मतदान के स्थान पर मौज मस्ती के लिए, पिकनिक मनाने के लिए बाहर परिवार, मित्रों के साथ चले जाते हैं।
इस दुरुपयोग को रोकने के लिए कोई कारगर कदम उठाया जाना चाहिए।
मतदान 5 वर्ष में एक बार होता है परन्तु 26 जनवरी और 15 अगस्त राष्ट्रीय पर्व पर भी सरकारी विभागों में उपस्थिति पूरी नहीं होती है कारण मानसिकता,
केंद्र और राज्य सरकारों को इन दो अवसरों पर अनुपस्थित रहने वाले कर्मचारियों पर शख्त कारवाही करनी होगी कहावत है डंडे के आगे भूत भी भागता है।इन दोनों अवसरों पर अनुपस्थित रहने वाले लोगों पर देश द्रोह का मुकदमा चलाया जाना चाहिए, उन्हें सेवा मुक्त किया जाए, लोकसभा चुनाव के इतिहास में अब तक 35 उम्मीदवार ऐसे रहे हैं जिन्होंने निर्विरोध जीत हासिल की है। समाजवादी पार्टी की डिंपल यादव ने साल 2012 में कनौज लोकसभा उपचुनाव में निर्विरोध जीत हासिल की थी। इसके अलावा वाई बी चव्हाण ,फारुक अब्दुल्लाह, हरे कृष्ण महताब ,टीटी कृष्णामाचारी, पीएम सईद सरीखे नेता भी बिना किसी मुकाबले के लोकसभा पहुंच चुके हैं।
अब बात करते हैं गुजरात के सूरत की जिसमें लोकसभा चुनाव में भाजपा निर्विरोध निर्वाचित घोषित किया गया।
यह देश में पहली बार नहीं हुआ इससे पहले भी कई सांसद निर्विरोध निर्वाचित घोषित किए गए हो सकता है तब नोटा विकल्प में नहीं होगा।
सूरत से भाजपा प्रत्याशी को विजई घोषित करने पर एन डी ए विरोधी दलों ने लोकतंत्र को खतरे में बता दिया।
जब लोकतंत्र इमरजेंसी में खतरे में नहीं आया तो फिर अब कैसे